बिहार का बाहुबली MLA अनंत सिंह का जीवन परिचय Biography of Anant Kumar Singh

बिहार का बाहुबली MLA अनंत सिंह का जीवन परिचय Biography of Anant Kumar Singh 

बिहार का बाहुबली MLA अनंत सिंह का जीवन परिचय

बिहार का बाहुबली MLA अनंत सिंह का जीवन परिचय Biography of Anant Kumar Singh 

अनंत कुमार सिंह बिहार की राजनीति में एक ऐसा नाम है, जिसके चर्चे सिर्फ चुनावी मैदान में ही नहीं, बल्कि उनके जीवन के रोमांचक उतार-चढ़ाव की वजह से भी होते हैं। मोकामा क्षेत्र में उन्हें लोग “छोटे सरकार” नाम से बुलाते हैं। उनकी पहचान एक ऐसे नेता की है, जिनके समर्थक उन्हें साहसी और मजबूत व्यक्तित्व वाला मानते हैं, जबकि विरोधी उन्हें बाहुबली छवि से जोड़ते हैं।

जन्म व प्रारंभिक जीवन
अनंत सिंह का जन्म 5 जनवरी 1967 को बिहार के पटना ज़िले के एक गाँव नदवान में हुआ। वे अपने चार भाइयों में से सबसे छोटे थे । साधारण परिवार में जन्म लेने के बावजूद, बचपन से ही उनमें नेतृत्व का साहस और दबदबा दिखता था। गाँव-कस्बों में होने वाली छोटी-छोटी बहसबाज़ियों से लेकर लोगों की मदद करने तक, वे हमेशा आगे रहते थे। इसी वजह से धीरे-धीरे उनका क्षेत्र में नाम बनने लगा।

अनंत सिंह का निजी जीवन परिचय 
अनंत कुमार सिंह, जिन्हें लोग “छोटे सरकार” के नाम से जानते हैं, शुरुआत में धर्म और तपस्या की राह पर चलना चाहते थे। युवावस्था में उनका मन साधु जीवन की ओर झुक गया था, और इसी इच्छा के कारण वे एक बार घर छोड़कर हरिद्वार भी चले गए थे। लेकिन परिवार पर आई एक बड़ी त्रासदी ने उनकी पूरी जिंदगी की दिशा बदल दी।

उनके बड़े भाई विनोद सिंह की हत्या ने अनंत सिंह के भीतर बदले की तीव्र भावना पैदा कर दी। इसके बाद उन्होंने संघर्ष और वर्चस्व की उस राह पर कदम रखा जिसने आगे चलकर उन्हें बिहार के चर्चित बाहुबली नेताओं में शामिल कर दिया।

भूमिहार समुदाय के प्रभावशाली परिवार में जन्मे अनंत सिंह के जीवन में संन्यास की इच्छा, प्रतिशोध की आग और राजनीतिक प्रभाव—तीनों का अनोखा मेल देखा जाता है। स्वयं अनंत सिंह कई बार कह चुके हैं कि उनकी शुरुआत बिल्कुल साधारण और आध्यात्मिक झुकाव वाली थी, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें एक अलग ही रास्ते पर ला खड़ा किया।

अनंत सिंह का शिक्षा व शुरुआती दौर
उनकी शुरुआती पढ़ाई गाँव में ही हुई। पढ़ाई के साथ-साथ वे समाज के लोगों की समस्याओं को भी नज़दीक से देखते थे। यह अनुभव आगे चलकर उनके राजनीतिक जीवन में काम आया और धीरे-धीरे उन्होंने आम लोगों का विश्वास जीता।

अनंत सिंह का राजनीतिक सफर की शुरुआत
बिहार की राजनीति में कदम रखने के बाद उन्होंने बहुत कम समय में लोकप्रियता हासिल कर ली। मोकामा विधानसभा क्षेत्र से वे कई बार चुनाव जीत चुके हैं। उनकी राजनीति का केंद्र हमेशा उनके क्षेत्र के लोग रहे हैं — सड़क, पानी, शिक्षा और रोज़मर्रा की समस्याओं को उठाने में वे काफी सक्रिय रहे।

अनंत सिंह ने पहले जदयू (JDU) के साथ राजनीति की शुरुआत की, बाद में परिस्थितियों के अनुसार उन्होंने RJD के साथ भी चुनावी मैदान में उतरकर अपनी पकड़ कायम रखी।

“छोटे सरकार” की पहचान
अनंत सिंह को “छोटे सरकार” नाम इसलिए मिला, क्योंकि उनके क्षेत्र में उनकी बात को बेहद ताकत से माना जाता है। वे लोगों की मदद तुरन्त करने के लिए जाने जाते हैं। गरीबों की समस्या को सीधा उठाते हैं। और ज़रूरत पड़ने पर सामने खड़े रहने की छवि ने उन्हें बाहुबली नेता का रूप दिया। उनकी लोकप्रियता इतनी है कि कई बार जेल में रहने के बावजूद भी वे राजनीति में सक्रिय रहे और समर्थकों की भारी भीड़ उन्हें समर्थन देती रही।

अनंत सिंह के विवाद और कानूनी मामले
अनंत सिंह का जीवन विवादों से भी जुड़ा रहा है।
वर्षों में उन पर कई गंभीर आरोप लगे —

•हत्या
•अपहरण
•हथियार रखने
•ज़मीन विवाद
•और दबदबे का इस्तेमाल

उनके घर से एक बार भारी मात्रा में हथियार मिलने का मामला काफी चर्चा में रहा। हालाँकि, उनके कई मामलों में अदालत से राहत भी मिली है और कई मामलों में वे बरी भी हुए हैं। इन उतार-चढ़ावों के बावजूद उनका जनाधार कमजोर नहीं पड़ा।

अनंत सिंह का परिवार
अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी खुद भी राजनीति से जुड़ी हैं।
वे भी मोकामा सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं और लोगों के बीच उनकी भी अच्छी पकड़ है। परिवार, राजनीति और सामाजिक काम — तीनों क्षेत्रों में दोनों की सक्रियता ने उन्हें मोकामा में एक मजबूत परिवार के रूप में स्थापित किया है।

जनप्रियता
अनंत सिंह की लोकप्रियता दो कारणों से हमेशा चर्चा में रहती है—(1). उनका बेबाक अंदाज़ (2). और उनका जनता से सीधा जुड़ाव वे अपने समर्थकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। गाँवों में उनकी पहुँच इतनी मजबूत है कि लोगों को लगता है — “समस्या हो, तो छोटे सरकार बताएँगे रास्ता।”

अनंत सिंह के रोचक बातें
•उन्हें ताकतवर और प्रभावशाली नेता माना जाता है।
•मोकामा में उनका अलग ही दबदबा है।
•उन्हें ‘एक फोन पर मदद’ करने वाला नेता कहा जाता है।
•उनके समर्थक उन्हें मसीहा कहते हैं, जबकि आलोचक उन्हें बाहुबली नेता बताते हैं।
•जेल में रहने के बावजूद उनके लिए रैलियों और जुलूसों में लोगों की भीड़ कम नहीं होती।

अनंत सिंह का राजनीतिक सफर 
2025: बिहार विधानसभा चुनाव आते ही जनता दल (यू) ने एक बार फिर मोकामा सीट से अनंत सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया। पार्टी ने उनके अनुभव और क्षेत्र में उनकी पकड़ को देखते हुए यह मौका दिया।

2019: इस वर्ष उन्होंने बिना किसी औपचारिक अनुमति के खुद को मुंगेर लोकसभा सीट से कांग्रेस का दावेदार घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस उनकी उम्मीदवारी नहीं मानती, तो वे स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरेंगे। लेकिन अंत में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा।

2015: (पहला घटनाक्रम): मोकामा विधानसभा सीट से उन्होंने सफलतापूर्वक चुनाव जीता। उनका चुनाव चिह्न ‘डीजल पंप’ था। इस मुकाबले में उन्होंने जदयू प्रत्याशी नीरज सिंह को 18,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया। उनका कुल वोट प्रतिशत करीब 37% रहा, जो पिछले चुनाव की तुलना में थोड़ा कम था।

2015: (दूसरा घटनाक्रम): इसी वर्ष महागठबंधन बनने की घोषणा के बाद जब नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया, तो उन्होंने जदयू से अलग होने का फैसला लिया और पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

2010: जदयू के टिकट पर वे मोकामा सीट से फिर विजयी हुए। उन्होंने लोजपा प्रत्याशी सोनम देवी को लगभग 9 हजार वोटों से मात दी।

2005: इसी वर्ष अनंत सिंह पहली बार जदयू के उम्मीदवार के रूप में मोकामा विधानसभा पहुँचे। उन्होंने लोजपा के नलिनी रंजन शर्मा को करीब 2800 वोटों के अंतर से हराकर अपनी राजनीतिक यात्रा को मजबूत शुरुआत दी।

निष्कर्ष
अनंत कुमार सिंह का जीवन संघर्ष, विवाद, लोकप्रियता और राजनीतिक पकड़ का मिश्रण रहा है। उन्होंने अपने दम पर राजनीति में ऐसी पहचान बनाई है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उनके जीवन की दो खास बातें — लोकप्रियता और विवाद — साथ-साथ चली हैं, जो उन्हें बिहार की राजनीति में एक अलग ही पहचान देती हैं।

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