25 साल की उम्र विधायक बनी बिहार की बेटी मैथिली ठाकुर का जीवन परिचय Biography of Maithili Thakur
छोटे गांव से बड़े मंच तक, अब राजनीति में भी पहचान!
छोटे‑छोटे गांव के मंचों से अपनी गायकी का सफर शुरू करने वाली मैथिली ठाकुर अब सिर्फ संगीत ही नहीं, बल्कि राजनीति में भी चर्चा का विषय बन गई हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली, तब यह खबर पूरे देश में वायरल हो गई।
मात्र 25 साल की उम्र में संगीत, सम्मान और राजनीति—तीनों में अपनी अलग पहचान बनाना उनके कड़ी मेहनत, समर्पण और लगन का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
भारत के लोकसंगीत जगत में उभरता हुआ एक जगमगाता नाम “मैथिली ठाकुर” है। वे अपनी स्वर–मधुरता, शुद्ध उच्चारण, परंपरागत गायन शैली और सहज व्यक्तित्व के कारण लाखों लोगों के दिलों में अपना स्थान बना चुकी हैं। मैथिली ठाकुर अपनी गायकी के माध्यम से भारतीय लोकधारा, भजन, सोहर, कजरी, चैती, अल्हा, और मिथिला संस्कृति को नई पहचान दिलाने वाली युवा कलाकार हैं।
जन्म व परिवार:
मैथिली का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी क्षेत्र में एक साधारण परिवार में हुआ। संगीत का संस्कार उन्हें बाल्यकाल से ही घर में मिला। उनके पिता श्री रमेश ठाकुर स्वयं शास्त्रीय संगीत शिक्षक हैं और माता श्रीमती भावना ठाकुर भी संगीत में रुचि रखती हैं। उनके दो भाई — रिशव (रिष्य) ठाकुर और आयाची ठाकुर — भी उनके साथ संगीत में सक्रिय रहते हैं और हार्मोनी, वाद्य और कोरस में सहयोग करते हैं।
शिक्षा व प्रशिक्षण:
मैथिली का प्रारंभिक संगीत प्रशिक्षण परिवार से ही शुरू हुआ। बाद में उन्होंने शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और भजन शैली पर गहरा अभ्यास किया। उनका रियाज़, समर्पण और धैर्य उनकी सफलता की सबसे बड़ी शक्ति है।
संगीत करियर की शुरुआत:
मैथिली ने बहुत छोटी उम्र से ही मंचों पर प्रस्तुति देना शुरू कर दिया था। सोशल मीडिया और स्टेज परफॉर्मेंस के माध्यम से उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई। उन्होंने कई लोकगीतों, भजनों और क्षेत्रीय गीतों को अपनी मधुर आवाज में प्रस्तुत कर देश‑विदेश के दर्शकों तक पहुँचाया।
लोकप्रियता और पहचान:
उनकी आवाज की पवित्रता, सरल अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी प्रस्तुति लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ती है। आज वे युवा पीढ़ी को भारतीय लोकसंगीत से जोड़ने वाली प्रेरणा मानी जाती हैं।
विशेषताएँ — क्यों अलग हैं मैथिली?
•गाने में क्लासिकल टच और परंपरागत मिठास।
•भक्ति, लोक, और सांस्कृतिक गीतों को नया आयाम देना।
•सोशल मीडिया, यूट्यूब और लाइव परफॉर्मेंस से लोगों तक जुड़ाव।
•संस्कारपूर्ण, विनम्र और सरल व्यक्तित्व।
संदेश व प्रेरणा:
मैथिली ठाकुर यह साबित करती हैं कि प्रतिभा किसी बड़े मंच की मोहताज नहीं होती। परिश्रम, अनुशासन और परिवार का सहयोग सफलता की मजबूत नींव बन सकते हैं।
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