भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय Bhawani prasad mishr ka jivan parichay

भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय Bhawani Prasad Mishra Biography In Hindi

भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय
भवानी प्रसाद मिश्र

भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय Bhawani Prasad Mishra Biography In Hindi

नाम-भवानी प्रसाद मिश्र
जन्म-29 मार्च 1913
जन्म स्थान-गांंव टिंगरिया, होशंगाबाद, मध्यप्रदेश
मृत्यु-20 फरवरी 1985
पिता का नाम-पं. सीताराम मिश्र
माता का नाम-गोमती देवी
व्यवसाय-कवि एवं लेखक
भाषा-हिन्दी, अंग्रेज़ी, संस्कृत
शिक्षा-बी.ए.
पुरस्कार-उपाधि 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' और 'पद्मश्री', राज्य स्तरीय शिखर सम्मान
प्रसिद्धि हिन्दी के प्रसिद्ध कवि और गाँधीवादी विचारक
नागरिकता भारतीय


भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय 

भवानी प्रसाद मिश्र आधुनिक युग के नई कविता के रचनाकार हैं। उनका जन्म 29 मार्च 1913 को गिरिया, होशंगाबाद, मध्यप्रदेश में हुआ। इनके पिता पं. सीताराम मिश्र शिक्षा विभाग में अधिकारी थे।  

भवानी प्रसाद मिश्र की शिक्षा-
भवानी प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा सोहागपुर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर और जबलपुर में सम्पन्न हुई. इन्होने बी.ए. की डिग्री 1935 में जबलपुर से प्राप्त की. हिंदी, संस्कृत एवं अंग्रेजी भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी।स्वयं एक पाठशाला खोलकर आरम्भ में उसी में अध्यापक रहे है। 'भारत छोड़ो आंदोलन' में दो वर्ष आठ महीने तथा आठ दिन जेल में रहे। 1946 से 1950 तक महिलाश्रम वर्धा में शिक्षक रहे। 

भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिध्दि रचनायें-
गीत फरोश, चकित है सुख, गाँधी पंचशती अँधरी कविताएँ, खुशबू के लेख, 'बुनी हुई रस्सी', 'नीली रेखा तक','मानसरोवर', 'अनाम तुम आते हो', 'त्रिकाल संध्या', 'चकित है दु:ख' और 'अन्धेरी कविताएँ', आदि।

भवानी प्रसाद मिश्र की कविताओं की विशिष्ट शैली है, इसी विशिष्ट शैली के कारण उनकी कविताएँ अपनी अलग पहचान बनाती हैं। नयी कविता के आंदोलन के आरम्भ काल से ही कविताओं की विषय-वस्तु और शिल्प में इतनी एकरुपता आई कि किसी कवि की कविताओं की अलग पहचान करना कठिन हो गया। ऐसे समय में भी भवानी प्रसाद मिश्र की विचारधारा गाँधीवादी रही है। 

भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिध्दि कविता-
'गीत फरोश' व्यंग्यात्मक है। जिसमें कविता रचने के पीछे कवि के उद्देश्यों पर प्रहार किया गया है। भवानी प्रसाद मिश्र प्रगतिशील विचारधारा के प्रति प्रतिबध्द नहीं हैं-जिसमें रचनाकार की विरुपताओं के मूल कारणों को पचानने की दृष्टि मिलती है अतएव वे आज के यथार्थ की जटिलता को अभिव्यक्ति नहीं दे सके हैं। 

भवानी प्रसाद मिश्र का काव्य अनुभूतिपरक है। उनका काव्य गीतात्मक है, जिसमें तुक और लय का विशेष आकर्षण है। उनके गीतों में वैक्तिक अनुभूतियों की व्यंजन ही नहीं है, प्राकृत-सौंदर्य के साथ देश और समाज की स्थित-परिस्थिति के चित्र भी मिलते हैं-इनकी मुक्त छन्द में लिखी कविताओं में सपाटबयानी अधिक है। भवानी प्रसाद मिश्र ने अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए गद्य का सहारा नहीं लिया है, उनके जो कुछ भी कहना हुआ है उस सबके लिए कविता को ही आधार बनाया है: सपाटबयानी आ जाना स्वाभाविक है।
 
भवानी प्रसाद मिश्र का निधन - 
भवानी प्रसाद मिश्र निधन 20 फरवरी 1985 को 71 वर्ष की आयु में हुआ। लेकिन साहित्य जगत में वह अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए आज भी याद किए जाते हैं।

भवानी प्रसाद मिश्र का साहित्यिक जीवन -
भवानी प्रसाद मिश्र एक प्रमुख हिंदी साहित्यकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने हिंदी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया। उनकी कविताएं, कहानियाँ, नाटक और लेखन उनके समय के आधुनिक साहित्य के प्रमुख आवाज थे। उनकी रचनाओं में सामाजिक, राजनीतिक और मानवीय मुद्दे पर गहरा प्रभाव था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय भूमिका निभाई और अपने लेखों के माध्यम से जनता को संजीवनी दी।

भवानी प्रसाद मिश्र का शैली -
भवानी प्रसाद मिश्र एक उत्कृष्ट भाषा कलावंत थे। उनकी लेखनी बहुत ही सुंदर और प्रभावशाली थी। उनके लेख और कविताएँ भारतीय साहित्य के अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने समाजिक, राजनीतिक, और साहित्यिक विषयों पर अनेक महत्वपूर्ण काम किए। उनका लेखन और विचारधारा आज भी लोगों को प्रेरित करती है।

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