माता का आँचल Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 NCERT Solutions

माता का आँचल Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 NCERT Solutions 

'माता का आँचल' एक भावनात्मक और मार्मिक रचना है, जिसमें एक बच्चे की नज़र से माँ के वात्सल्य ,ममता, और संघर्षों को दिखाया गया है। लेखक शिवपूजन सहाय ने बड़ी ही संवेदनशीलता से माँ की उपस्थिति को सुरक्षा, प्रेम और त्याग  का प्रतीक बताया है। यह पाठ पाठकों को माँ के प्रति आभर और सम्मान की भावना से भर देता है।
माता का आँचल

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 माता का आँचल

1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?

Ans- माँ और बच्चे का संबंध ममता की डोर से जुड़ा होता है, जबकि पिता से उसका नाता स्नेह पर टिका होता है। जब कोई संकट आता है, तब बच्चे को दोनों की आवश्यकता होती है – माँ की ममता और पिता का स्नेह। भोलानाथ अपने पिता से बहुत प्रेम करता था, परंतु जब उस पर कठिनाई आई, तो उसे सच्चा सुकून और सुरक्षा अपनी माँ की गोद में ही मिली। माँ की गोद एक ऐसी जगह होती है जहाँ बच्चा भय और दुख को भूलकर स्वयं को पूर्ण रूप से सुरक्षित और शांत अनुभव करता है। यह वह स्थान है जहाँ न केवल शरीर बल्कि मन भी विश्राम पाता है।

2. आपके विचार से भोलनाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?

Ans- बच्चों का स्वभाव ही ऐसा होता है — एक पल में आँसू और दूसरे ही पल में मुस्कान। भोलानाथ भी अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तरह खेलकूद में खूब रुचि लेता था। उसे अपनी मित्र मंडली के साथ तरह-तरह के खेल खेलना बेहद पसंद था। उसके दोस्त उसके हँसी-ठिठोली के सच्चे साथी थे। जब वह अपने साथियों को हँसते-खेलते देखता, तो खुद को रोक नहीं पाता। धीरे-धीरे वह अपने दुःख को भूलकर फिर से उन्हीं खेलों में खो जाता। खेल की उसी मस्ती में वह कब रोना और सिसकना भूल गया, उसे खुद भी पता नहीं चला।

3. भोलनाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?

Ans- भोलानाथ और उसके दोस्त खेल के लिए आँगन या खेत में पड़ी चीज़ों जैसे मिट्टी, पत्थर, पत्ते, और पुराने बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। उन्हें खेलने के लिए महंगे खिलौनों की ज़रूरत नहीं थी। वहीं आज के बच्चों के पास क्रिकेट किट, किचन सेट, वीडियो गेम और कंप्यूटर जैसे कई महंगे साधन होते हैं, जो बाजार से खरीदे जाते हैं। पहले के खेल सादे लेकिन मन से जुड़े होते थे, जबकि आज के खेल साधनों पर निर्भर हैं।

4. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों?
  • भोलानाथ जब पिता की गोद में बैठकर आईने में अपना चेहरा देखकर खुश होता है और पिता के देखने पर लजाकर आईना रख देता है — यह दृश्य बच्चों की मासूम जिज्ञासा और संकोच को सुंदरता से दर्शाता है।
  • बच्चों का बारात का नाटक करना और दुल्हन बनाकर लाना, फिर पिता के घूंघट उठाते ही सबका भाग जाना – इसमें उनका खेल-भाव, समाज की झलक और बचपन की नाटकीयता साफ दिखाई देती है।
  • भोलानाथ का पिता से कुश्ती लड़ना, पिता का जानबूझकर हार जाना और बच्चे का उनकी मूंछ खींचना – यह पूरा प्रसंग एक सजीव, आनंदमयी और स्नेह से भरा हुआ चित्र प्रस्तुत करता है।

5. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं।

Ans- तीस के दशक का ग्रामीण जीवन सरल, दिखावे से रहित और मेल-जोल से भरा होता था। त्योहार मिलकर मनाए जाते थे और खेल-खेल में बच्चों को जीवन की व्यावहारिक शिक्षा दी जाती थी। आज के गाँवों में काफी बदलाव आए हैं। अब शहरी सुविधाएँ जैसे बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल व वैज्ञानिक खेती उपलब्ध हैं। लेकिन साथ ही जाति, धर्म और आर्थिक भेदभाव भी बढ़ गए हैं, जिसका कारण राजनीति का बढ़ता असर है।

6. यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य अक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

Ans- पिता का बच्चे को नहलाकर पूजा में बैठाना, तिलक लगाना और कंधे पर बिठाकर गंगा ले जाना — यह सब बहुत ही सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं। लौटते वक्त पेड़ पर झुलाना भी बेहद मनमोहक लगता है।

पिता से कुश्ती, गालों को चूमना, पूँछे पकड़ने पर बनावटी रोना और बच्चे का खिलखिलाकर हँसना – ये दृश्य बहुत जीवंत और प्यारे लगते हैं।

माँ का गोरस-भात, तोता-मैना कहकर खिलाना, उबटन लगाना, श्रृंगार करना, और बच्चा खेल देख सिसकना भूल जाए – ये सभी दृश्य बचपन की मधुर यादें ताज़ा कर देते हैं।

7. माता का अँचल शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए ।

Ans- लेखक ने कहानी का नाम "माँ का आँचल" बिलकुल उपयुक्त रखा है। भोलानाथ को माता-पिता दोनों का प्रेम मिला, लेकिन जब वह साँप से डरता है, तो उसे असली शांति माँ की गोद में ही मिलती है। माँ उसका दर्द समझती है, डर से डरती है, और उसकी पीड़ा मिटाने में खुद को भूल जाती है। यही ममता बच्चे को सच्चा स्नेह और सुख देती है। हालाँकि, इसका एक और शीर्षक "माँ की ममता" भी हो सकता था, क्योंकि पूरी कहानी में माँ का प्रेम ही सबसे प्रमुख है।

8. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?

Ans- शिशु की हर जिद में भी उसका प्रेम छिपा होता है। माँ-बाप और शिशु के बीच का स्नेह इतना गहरा होता है कि यह कहना मुश्किल है कि कौन किससे ज़्यादा प्रेम करता है — दोनों एक-दूसरे के प्रेम के पूरक होते हैं।

शिशु की मुस्कान, उनकी गोद में जाने की ललक, और खेल-खेल में अपनी भावनाओं को जताना — सब उसके प्रेम के स्वाभाविक रूप हैं।

जब बच्चा माँ-पिता की गोद के लिए मचलता है, तो वही उसका सबसे निश्छल प्रेम होता है। सच तो यह है कि शिशु का यह प्रेम इतना पवित्र और गहरा होता है कि उसे शब्दों में बाँध पाना आसान नहीं होता।

Post a Comment

Previous Post Next Post

Offered

Offered