NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

📚 कक्षा 10 हिंदी - कृतिका भाग 2 | अध्याय 3: साना-साना हाथ जोड़ि | NCERT Solutions नमस्कार साथियों! इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे कृतिका भाग 2 के तीसरे अध्याय "साना-साना हाथ जोड़ि" के NCERT प्रश्नों के उत्तर सरल और स्पष्ट भाषा में। यह अध्याय लेखिका की सिक्किम यात्रा और वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य, कठिनाइयों और जीवन-दर्शन से जुड़ा है आइए, इस अध्याय को गहराई से समझते हैं और सभी प्रश्नों के उत्तर तैयार करते हैं।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3

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1. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?

Ans- रात का आसमान ऐसा लग रहा था जैसे तारे ज़मीन पर उतर आए हों और चारों ओर रोशनी बिखेर रहे हों।
दूर तक फैली तराई पर टिमटिमाते तारे मानो किसी सुनहरी झालर की तरह चमक रहे थे।गंतोक की ये जगमग रात लेखिका के दिल को छू रही थी।वो पल इतना शांत और सुंदर था कि जैसे वक़्त थम गया हो।उसकी सोच रुक गई थी, सब कुछ जैसे मौन हो गया था।वह उस रोशनी में डूबी हुई थी जो सिर्फ आँखों से नहीं, आत्मा से महसूस होती है।

2. गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?

Ans- गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ कहा जाता है क्योंकि यहाँ के लोग बेहद मेहनती और संघर्षशील होते हैं।
यह शहर प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक रंगों से भरा हुआ है।चाहे खेती हो, पर्यटन हो या व्यापार — यहाँ के लोग हर क्षेत्र में पूरी लगन से काम करते हैं।इन्हीं की मेहनत से गंतोक हमेशा ज़िंदा और खास बना रहता है।

3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?

Ans- गंतोक में सफेद बौद्ध पताकाएँ शांति और अहिंसा का प्रतीक मानी जाती हैं। इन पर मंत्र लिखे होते हैं और किसी बौद्ध अनुयायी की मृत्यु के बाद 108 पताकाएँ शहर से दूर लगाई जाती हैं, जिससे उसकी आत्मा को शांति मिले। ये पताकाएँ कभी उतारी नहीं जातीं। कभी-कभी नए काम की शुरुआत पर रंगीन पताकाएँ भी फहराई जाती हैं, जो शुभता का संकेत होती हैं। इस तरह ये पताकाएँ शोक और शुभारंभ — दोनों का प्रतीक बन जाती हैं।

4.जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।

• सिक्किम भारत का एक बेहद खूबसूरत और पहाड़ी राज्य है। इसकी राजधानी गंतोक चारों ओर से पहाड़ों से घिरी हुई है और यहाँ का वातावरण बहुत शांत और मनमोहक है। यहाँ के निवासी बहुत ही परिश्रमी और ईमानदार होते हैं।

• गंतोक से लेकर यूमथांग घाटी तक रास्ते में अलग-अलग रंगों के फूल खिले होते हैं, और ये घाटियाँ फूलों की खुशबू से महकती रहती हैं। खास बात यह है कि यूमथांग की घाटियाँ मात्र पंद्रह दिनों में ही रंग-बिरंगे फूलों से भर जाती हैं, जो देखने वालों का मन मोह लेती हैं।

• यहाँ एक प्रथा है कि जब किसी बौद्ध अनुयायी की मृत्यु होती है, तो सफेद रंग की 108 पताकाएँ फहराई जाती हैं। वहीं, जब कोई नया कार्य आरंभ किया जाता है, तो रंग-बिरंगी पताकाएँ लगाई जाती हैं, जिससे शुभता मानी जाती है।

• सिक्किम का "कवी-लोंगस्टॉक" नामक स्थान इतना सुंदर है कि यहाँ बॉलीवुड की मशहूर फिल्म 'गाइड' की शूटिंग भी हो चुकी है।

• एक खास बात यह भी है कि यहाँ एक धर्मचक्र (प्रार्थना चक्र) स्थित है, जिसे घुमाने से माना जाता है कि सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

• "कटाओ" क्षेत्र को इसके प्राकृतिक सौंदर्य और बर्फीले दृश्य के कारण 'भारत का स्विट्जरलैंड' भी कहा जाता है।

• यहाँ के लोग सादगी पसंद होते हैं — यहाँ चिकने-चमकदार, दिखावटी लोग नहीं मिलते, बल्कि आत्मा से सुंदर लोग मिलते हैं जो प्रकृति से जुड़े हुए हैं।

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5.लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी?

Ans-जब लेखिका "लोंगस्टॉक" नामक स्थान पर घूम रही थीं, तो उनकी नजर एक घूमते हुए चक्र पर पड़ी। उन्होंने उत्सुकता से उसके बारे में जानकारी ली, तो बताया गया कि यह एक "धर्मचक्र" है। यहाँ की मान्यता है कि इसे घुमाने से जीवन के पाप मिट जाते हैं और मन को शांति मिलती है।

इस बात को सुनकर लेखिका के मन में एक गहरी भावना जागी। उन्हें महसूस हुआ कि चाहे भारत के लोग अलग-अलग प्रदेशों में रहते हों, पर उनकी आत्मा एक है। मैदानी क्षेत्रों में जैसे गंगा नदी को पवित्र माना जाता है और उसमें स्नान करने से पाप मुक्त होने की धारणा है, ठीक वैसे ही पहाड़ी क्षेत्रों में धर्मचक्र को लेकर विश्वास है।

लेखिका को यह सोचकर आश्चर्य हुआ कि विज्ञान ने चाहे जितनी तरक्की कर ली हो, लेकिन लोगों की आस्था, विश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणाएँ पूरे देश में कहीं न कहीं एक जैसी ही हैं। यही भारत की एकता की खूबसूरती है — विविधता में भी एकता।

6. जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?

Ans-जितेन नार्गे एक अत्यंत योग्य और समझदार गाइड हैं। सामान्यतः पर्यटन स्थलों पर ड्राइवर और गाइड की भूमिकाएँ अलग-अलग होती हैं, लेकिन जितेन इनमें अपवाद हैं। वे एक साथ ड्राइवर भी हैं और गाइड भी। इससे यह सीख मिलती है कि एक अच्छे गाइड को वाहन चलाने का भी ज्ञान होना चाहिए, ताकि किसी विशेष स्थिति में वह दोनों भूमिकाएँ निभा सके।

जितेन को न केवल अपने क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं की जानकारी है, बल्कि वे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक तथ्यों में भी दक्ष हैं। उदाहरण के लिए, उन्हें यह अच्छी तरह ज्ञात है कि प्रसिद्ध अभिनेता देवानंद की लोकप्रिय फिल्म "गाइड" की शूटिंग सिक्किम के "लोंगस्टॉक" नामक स्थान पर हुई थी। इस प्रकार की जानकारी पर्यटकों को उत्साहित करती है और उस स्थान के प्रति उनकी रुचि बढ़ा देती है।

यद्यपि जितेन नेपाली मूल के हैं, फिर भी उन्हें सिक्किम के जनजीवन, संस्कृति, धार्मिक विश्वासों और कठिन जीवन-स्थितियों की पूरी जानकारी है। यही नहीं, उनमें एक गहरे मानवीय भाव की भी समझ है, जो किसी भी सफल गाइड की पहचान होती है।

जितेन का सबसे सराहनीय गुण है—उनकी संवेदनशीलता और संप्रेषण की सादगी। वे सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वहाँ के लोगों की पीड़ा, संघर्ष और जीवन की सच्चाई को भी लेखिका से साझा करते हैं। उनका संवाद शैली अपनापन और आत्मीयता से भरपूर है, जो उन्हें एक असाधारण गाइड बनाता है।

7. इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए

Ans-इस यात्रा के दौरान लेखिका ने हिमालय के बदलते हुए रूपों को बेहद नज़दीक से देखा और महसूस किया। जैसे-जैसे वाहन ऊँचाई की ओर बढ़ता गया, वैसे-वैसे हिमालय और भी भव्य और विराट होता चला गया। जहाँ शुरुआत में छोटी-छोटी पहाड़ियाँ थीं, वहीं कुछ ही देर में वे ऊँचे-ऊँचे पर्वतों में बदल गईं। घाटियाँ इतनी गहरी नज़र आईं मानो धरती की गहराइयों तक पहुँच रही हों।

फूलों से सजी चौड़ी वादियाँ चारों ओर एक इंद्रधनुषी मुस्कान बिखेर रही थीं। हर दिशा में प्रकृति अपने रूप में सजी-धजी खड़ी थी। कहीं बलखाती हुई जलधाराएँ चट्टानों के बीच से निकलतीं, तो कहीं झरने दूध की धार की तरह गिरते नज़र आते। इन दृश्यों ने लेखिका के मन को मंत्रमुग्ध कर दिया।

हिमालय का रंग भी जगह-जगह बदलता रहा। कहीं वह घनी हरियाली से ढका हरा-भरा था, तो कहीं पीले रंग में रंगा प्रतीत होता था। कुछ हिस्सों में वह इतना पथरीला था कि मानो कोई मोटी और खरदूरी दीवार खड़ी हो। और जब बादल उसे ढँक लेते, तो पूरी प्रकृति बादलों की गोद में समा जाती।

जैसे ही वे कटाओ क्षेत्र को पार कर आगे बढ़ीं, वहाँ चारों तरफ बर्फ की सफेद चादर बिछी हुई थी। ऊँचे-ऊँचे बर्फ से ढके पहाड़ और झरने दूध जैसी सफेदी में बहते हुए दिखाई दे रहे थे। उन्हीं झरनों के नीचे चाँदी सी चमकती हुई तिस्ता नदी बह रही थी, जिसने लेखिका के मन में एक अनोखी खुशी और शांति भर दी।

8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?

Ans-हिमालय का रूप हर पल बदलता रहता है, मानो स्वयं प्रकृति उसे नए-नए रूपों में अपना परिचय दे रही हो। यह परिवर्तन केवल दृश्य नहीं था, बल्कि भावनात्मक भी था। प्रकृति जैसे उसे जीवन का पाठ पढ़ा रही थी — उसे और अधिक समझदार और संवेदनशील बना रही थी।

इस अनंत, असीम और विशाल प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर लेखिका के मन में कई गहरे अनुभव जागे। उन्हें महसूस हुआ कि जीवन की सच्ची सार्थकता दूसरों के लिए जीने में है। जैसे झरने कभी नहीं रुकते — सतत बहते रहते हैं — वैसे ही जीवन को भी निरंतर गति में रहना चाहिए। और जैसे फूल बिना कुछ माँगे अपनी खुशबू चारों ओर बिखेर देते हैं, वैसे ही इंसान को भी बिना स्वार्थ के अपने गुण और प्रेम दूसरों में बाँटना चाहिए।

प्रकृति के इन्हीं संदेशों को महसूस कर लेखिका के मन में यह विश्वास गहराया कि जीवन केवल जीने के लिए नहीं, बल्कि देने के लिए है — सेवा, परोपकार और प्रेम से भरा हुआ।

9.प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?

Ans-प्राकृतिक सौंदर्य में डूबी लेखिका का मन उस समय हिल गया जब उन्होंने देखा कि कुछ सुंदर पहाड़ी महिलाएँ पत्थर तोड़ने का कठिन काम कर रही थीं। उनके हाथों में कुदाल और हथौड़े थे, और कुछ की पीठ पर टोकरी में उनके बच्चे भी बंधे थे।

चारों ओर फूल, झरने और वादियाँ थीं — फिर भी वहाँ जीवन का एक और रूप दिखा, जहाँ भूख, श्रम और संघर्ष था। लेखिका के मन में यह बात बार-बार आती रही कि स्वर्गिक सुंदरता के बीच भी इंसान का संघर्ष लगातार जारी है।

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10.सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें ।

1. प्रबंधन से जुड़े लोग – जो पूरी व्यवस्था को सुव्यवस्थित रखते हैं और यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखते हैं।

2. स्थानीय गाइड – जिन्हें अपने क्षेत्र का गहरा ज्ञान होता है और वे सैलानियों को हर जगह की खास जानकारी दिलाते हैं।

3. स्थानीय निवासी – जो अपने व्यवहार, मदद और छोटी-छोटी जानकारियों से पर्यटकों का अनुभव सुखद बना देते हैं।

4. सहयात्री – जो पूरे सफर को आनंददायक बना देते हैं, अपने उत्साह, हँसी और सकारात्मक सोच से यात्रा को खास बना देते हैं।

11."कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं" इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?

Ans-किसी देश की आर्थिक तरक्की में आम जनता का योगदान भले ही प्रत्यक्ष न दिखे, पर वह बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें मजदूर, किसान, ड्राइवर, फेरीवाले जैसे लोग शामिल होते हैं।

यूमथांग यात्रा के दौरान लेखिका ने देखा कि पहाड़ी महिलाएँ पत्थर तोड़कर रास्ते बना रही थीं। यह रास्ता आने वाले पर्यटकों के लिए था, जिससे पर्यटन बढ़ेगा और देश की अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा।

इसी तरह खेतों में काम करने वाले किसान और मजदूर अन्न उगाकर देश की ज़रूरतें पूरी करते हैं और राष्ट्र की प्रगति में शांत रूप से अपना अहम योगदान देते हैं।

12.आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए|

Ans-आज की पीढ़ी प्रकृति के साथ गंभीर खिलवाड़ कर रही है। हम जंगलों को काट रहे हैं, पहाड़ों को तोड़कर रास्ते बना रहे हैं, और पेड़-पौधों को नष्ट कर रहे हैं। फैक्टरियों का गंदा पानी नदियों में बहाया जा रहा है, जिससे पीने योग्य जल भी जहरीला होता जा रहा है।

इस स्थिति को सुधारने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। कुछ जरूरी कदम ये हो सकते हैं:

1. पेड़ों की कटाई न करें और न ही किसी को करने दें।
2. अपने आस-पास अधिक से अधिक पौधे लगाएँ।
3. प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग को कम करें।
4. जितना हो सके, वाहनों के प्रयोग से बचें या साझा वाहन (कारपूल) का उपयोग करें।
5. घर का कचरा उचित स्थान पर ही डालें और गंदगी फैलाने से बचें।

अगर हम सब मिलकर इन छोटे-छोटे उपायों को अपनाएँ, तो प्रकृति को बचाया जा सकता है और आने वाली पीढ़ियों को भी एक सुंदर और स्वच्छ वातावरण मिल सकता है।

13.प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है? प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें|

Ans-लेखिका को उम्मीद थी कि लायूंग में बर्फ देखने को मिलेगी, लेकिन एक सिक्कमी युवक ने बताया कि अब वहाँ बर्फबारी कम होती है। प्रदूषण के कारण उन्हें कटाओ, जो 500 मीटर ऊपर है, जाना पड़ा।

प्रदूषण से पर्यावरण में कई बदलाव आ रहे हैं। बर्फबारी घटने से नदियों का जल स्तर कम हो रहा है और पीने के पानी की कमी हो रही है। वायु प्रदूषण से सांस की बीमारी, कैंसर और उच्च रक्तचाप जैसे रोग बढ़ रहे हैं। ध्वनि प्रदूषण भी मानसिक तनाव, अनिद्रा और बहरेपन का कारण बन रहा है।

14.‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए?

Ans-कटाओ, सिक्किम की एक शांत और सुंदर जगह है, जहाँ प्रकृति अपने पूरे सौंदर्य के साथ दिखाई देती है। लेखिका जब वहाँ पहुँची, तो बर्फ में चलने के लिए लंबे बूटों की ज़रूरत महसूस हुई। लेकिन वहाँ न तो झांग जैसी कोई दुकान थी और न ही कोई किराए पर सामान देने की व्यवस्था।

फिर भी लेखिका को लगा कि दुकानों का न होना ही इस स्थान का असली सौंदर्य है। अगर वहाँ दुकानें बन जाएँ, तो भीड़ बढ़ेगी, स्थानीय आबादी बढ़ेगी और प्रदूषण भी फैलेगा। ऐसे में कटाओ का प्राकृतिक सौंदर्य खत्म हो सकता है। इसलिए वहाँ दुकानों का न होना अपने आप में एक वरदान है।

15.प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?

Ans-प्रकृति के हिमशिखर जल के स्तंभ की तरह होते हैं। सर्दियों में बर्फ के रूप में जल संग्रह होता है और गर्मियों में वही बर्फ पिघलकर नदियों में बहती है, जिससे जीवन को पानी मिलता है। इस तरह प्रकृति ने जल संचय की अद्भुत व्यवस्था बना रखी है।

16.देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?

Ans-देश की सीमाओं पर तैनात हमारे सैनिक कठिन मौसम—ठंड, गर्मी, बर्फ, बारिश और दलदल जैसी परिस्थितियों में भी दिन-रात डटे रहते हैं। उन्हीं की वजह से हम अपने घरों में सुरक्षित और शांत जीवन जी पाते हैं। उनका त्याग और बलिदान सच में प्रशंसा के योग्य है।

हमारा भी फर्ज है कि हम उनके और उनके परिवारों के प्रति सम्मान और आत्मीयता का भाव रखें। जब वे दूर हों, तब उनके परिवार को सहयोग देकर यह महसूस न होने दें कि वे अकेले हैं।

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