NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 12 संस्कृति भदंत आनंद कौसल्यायन

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 12 संस्कृति भदंत आनंद कौसल्यायन

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 12 संस्कृति

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 12 संस्कृति भदंत आनंद कौसल्यायन

1. लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?

Ans-लेखक के अनुसार, सभ्यता और संस्कृति जैसे शब्दों का इस्तेमाल अक्सर बिना किसी निश्चित नियम के किया जाता है। इनके साथ कई तरह के विशेषण जोड़ दिए जाते हैं, जैसे भौतिक सभ्यता या आध्यात्मिक सभ्यता। इससे इन शब्दों का असली अर्थ बदल जाता है और समझने में भ्रम पैदा होता है। इसलिए लेखक इस पर अपनी स्पष्ट और निश्चित राय नहीं बना पा रहे हैं।

2. आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?

Ans-आग का आविष्कार एक बहुत महत्वपूर्ण खोज थी, खासकर उस समय जब मनुष्य की सोचने समझने की क्षमता इतनी विकसित नहीं थी। उस समय के हिसाब से यह खोज बेहद उपयोगी साबित हुई। संभव है कि आग खोजने का मुख्य कारण अंधकार में रोशनी की आवश्यकता और खाने को पका कर स्वादिष्ट बनाने की चाह रही हो। अंधेरे में सही ढंग से देखने में दिक्कत होने के साथ-साथ कच्चा मांस खाने में मन नहीं लगता था, इसलिए मनुष्य ने आग का उपयोग करना शुरू किया होगा।

3. वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?

Ans-असल अर्थ में ‘संस्कृत व्यक्ति’ वह होता है, जिसमें अपनी बुद्धि और क्षमता के जरिए कुछ नया खोजने या रचनात्मक काम करने की शक्ति हो। जितनी अधिक क्षमता और समझ उस व्यक्ति में होगी, वह उतना ही अधिक संस्कृत माना जाएगा। उदाहरण के लिए, न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोजा था, इसलिए वह एक संस्कृत व्यक्ति था। आज भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी न्यूटन से ज्यादा सभ्य हो सकते हैं, लेकिन संस्कृत नहीं कहे जा सकते, क्योंकि संस्कृतता में केवल जानकारी नहीं, बल्कि रचनात्मकता और नई खोज करने की योग्यता भी शामिल होती है।

4. न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?

Ans-न्यूटन ने अपनी सोच और बुद्धि का इस्तेमाल करके गुरुत्वाकर्षण का रहस्य खोजा था, इसलिए उसे संस्कृत व्यक्ति कहा जा सकता है। आज के समय में भले ही लोग इस विषय पर अधिक जानकारी रखते हैं, लेकिन उनमें वह रचनात्मक शक्ति नहीं है जो न्यूटन में थी। वे केवल न्यूटन द्वारा दी गई जानकारी को आगे बढ़ा रहे हैं। इसलिए आज का व्यक्ति न्यूटन से ज्यादा सभ्य हो सकता है, पर संस्कृत नहीं कहलाएगा।

5. किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?

Ans-सुई और धागे का आविष्कार शायद शरीर को ढंकने और सर्दी से बचाव के लिए किया गया था। समय के साथ-साथ लोगों ने यह भी महसूस किया कि कपड़ों को सजाना भी जरूरी है। इसलिए दो कपड़े के टुकड़ों को जोड़ने के लिए सुई और धागे का इस्तेमाल करना शुरू किया गया होगा। यही वजह रही होगी कि यह आविष्कार हुआ।

6. मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।" किन्हीं दो प्रसंगाें का उल्लेख कीजिए जब-

(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।

उत्तर यहां देखें 👇

(क)
1. वर्ण व्यवस्था के बहाने लोगों ने मानव संस्कृति को अलग-अलग भागों में बाँटने की कोशिश की।

2. धर्म के नाम पर भी मानव संस्कृति में भेदभाव पैदा करने की कोशिश की गई, जिससे हिंदुस्तान और पाकिस्तान जैसे अलग देश बने।

(ख)
1. कार्ल मार्क्स ने दुनिया के मजदूरों को सुखी देखना अपनी ज़िन्दगी का उद्देश्य बना लिया और उसके लिए अपना पूरा जीवन संघर्ष में लगाया।

2. सिद्धार्थ ने केवल मानवता के भले के लिए अपना घर-परिवार छोड़ दिया था।

7. आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?

Ans-मनुष्य हमेशा अपनी सुरक्षा और भलाई के लिए नए-नए आविष्कार करता रहा है। जब ये आविष्कार मानव कल्याण की भावना से प्रेरित होते हैं, तब उन्हें हम संस्कृति कहते हैं। लेकिन यदि आविष्कार केवल विनाश करने के उद्देश्य से किए जाएं, तो यह असंस्कृति कहलाता है। ऐसे विचार और कार्य कभी भी संस्कृत नहीं माने जा सकते, क्योंकि संस्कृति का मूल उद्देश्य समाज और मानवता की भलाई है।

रचना और अभिव्यक्ति

8. लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।

Ans-लेखक ने बताया है कि आजकल सभ्यता और संस्कृति शब्दों का इस्तेमाल बहुत तरह से किया जाता है। मेरे विचार से, सभ्यता उस तरीके को कहते हैं, जिससे मनुष्य अपने जीवन को व्यवस्थित रूप से जीता है, जैसे रहने का तरीका, वस्त्र पहनने की शैली, परिवहन के साधन आदि। वहीं, संस्कृति वह सोच, आदतें, कला, साहित्य और ज्ञान है, जो मनुष्य के जीवन को सुंदर और अर्थपूर्ण बनाती है। हम कह सकते हैं कि सभ्यता संस्कृति का व्यावहारिक रूप है, जो जीवन को व्यवस्थित और सहज बनाता है।

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