विनिर्माण उद्योग Class 10 Geography Chapter-6 Ncert
1.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
1.विनिर्माण क्या हैं?
Ans-जब कच्ची प्रदार्थों का कारखानों में उपयोग कर उनसे नवीन उपयोग वस्तुओं का निर्माण किया जाता है तो वस्तु के उत्पादन की इस प्रक्रिया को ही विनिर्माण कहा जाता है। जैसे-कपास से सूती वस्त्र बनाना, गन्ने से चीनी तैयार करना इत्यादि।
2.उधोगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक बताएं।
Ans-उधोगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक करक निम्नलिखित है:-
(i)कच्चे माल की प्राप्ति।
(ii)शक्ति के साधन।
(iii)उपयुक्त जलवायु।
3.औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताइए।
Ans-औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक निम्नलिखित है:-
(i)सस्ती श्रमकों की अपलब्धता।
(ii)बाजार की सुलमता।
(iii)सरकारी नीतियां।
4.आधारभूत उद्योग क्या है? उदाहरण देकर बताएं।
Ans-आधारभूत उद्योग वैसे उद्योगों को कहा जाता है जिसके विकास पर दूसरे अन्य उद्योगों का विकास आश्रित होता है जैसे- लोहा-इस्पात उद्योगों के विकास पर ही हम दूसरे अन्य उद्योगों की स्थापना कर सकते हैं और उद्योगिक क्षेत्र के प्रगति कर सकते हैं।
2.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
1.समन्वित इस्पात उद्योग मिनी उत्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योगों की क्या समस्याएं है? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बड़ी है?
Ans-समन्वित इस्पात उद्योग
(i)ऐसी उद्योगों में कच्चे माल को एक स्थान पर एकत्रित करने से लेकर इस्पात बनाने उसे ढालने और उसे आकार देने तक की संपूर्ण क्रिया की जाती है।
(ii)ऐसे उद्योगिक सयंत्रों में बड़े पैमाने पर पूंजी की आवश्यकता होती है।
(iii)ऐसी उद्योग स्थानीय तथा अंतरराष्ट्रीय दोनों मांगों को पूरा करने में सक्षम होता है।
मिनी इस्पात उद्योग-
(i)ऐसे उद्योग का नियंत्रण विकेंद्रित द्विवितीय क्षेत्र की इकाइयों हैं और इनमें इस्पात निर्माण के एक या दो ही प्रक्रिया पूरी की जाती है।
(ii)ऐसी उद्योगो को कम पूंजी में भी स्थापना किया जाता सकता है।
(iii)ऐसी उद्योग केवल स्थानीय मांगों को ही पूरा कर पाते हैं।
इस्पात सयंत्रों की मुख्य समस्या है:-
(i)पूंजी की कमी।
(ii)आधुनिकरण की समस्या।
(iii)कम उत्पादन क्षमता।
लेकिन भारत सरकार ने वैश्विकरण तथा उदारीकरण की नीतियों अपना कर और विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया है जिसका ही परिणाम है की आज भारत में लोह-इस्पात उद्योग अच्छी अवस्था है।
2.उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं।
Ans-आज बढ़ती पर्यावरण प्रदूषण के पीछे मूल कारण औद्योगिक प्रगति है अर्थात उद्योगों के विकास के साथ-साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है कारखानों की चिमनी से निकालने वाले जहरीला गैस और राख हमारे वायुमंडल को प्रदूषण कर रहे जिससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। कारखानों से निकलने वाले कूड़े तथा कचरों का बहिष्कार हमारी भूमि को प्रदूषित कर रहे हैं और इसका कचरे तथा रसायनों का बहाव नदी में कर दिए जाने से नदी का जल प्रदूषण का यह एक प्रमुख कारण है कारखानों से उठने वाले ऊंचे शोर ध्वनि प्रदूषण का प्रमुख कारण है। इस प्रकार देखा जाए तो पर्यावरण प्रदूषण के लिए बहुत हद तक ओद्योगिक विकास जिम्मेदार है इसलिए कहा जा सकता है कि ओद्योग पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
3.उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें?
Ans-उद्योगों द्वारा पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए है:-
(i)नदियों व तालाबों में उद्योगों के अपशिष्ट प्रदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका परिशोधन किया जा रहा है।
(ii)वायु में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए कारखानों में उच्ची चिमनी या चलनी गैसीय प्रदूषण प्रदार्थों को शुद्ध करने वाले उपकरण आदि।
(iii)कारखानों में कोयले की अपेक्षा तेल व गैस के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे दुएं का निष्कासन नहीं के बराबर होता है।
(iv)ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए साइलेसर का प्रयोग किया जा रहा है।
(v)जल के अभाव को दूर करने के लिए व्यवस्था की जा रही है।
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