Kushmanda mata ki Aarti: पढ़ें 'कूष्मांडा' माता की आरती
कूष्मांडा' माता की आरती का मतलब:
कूष्मांडा' माता की आरती का मतलब यह होता है कि भक्त इस आरती के माध्यम से मां कूष्मांडा की पूजा, स्तुति, और आराधना करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य मां कूष्मांडा के दिव्य स्वरूप की महिमा गाने और उनकी कृपा, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करना होता है। मां कूष्मांडा का ध्यान और पूजन भक्तों को मां की आशीर्वाद, सुरक्षा, और सौभाग्य की प्राप्ति में मदद करता है।
कूष्मांडा' माता की आरती का महत्व
'कूष्मांडा' माता की आरती का महत्व मां कूष्मांडा की पूजा और स्तुति करने में होता है।इस आरती के माध्यम से भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति का अभिवादन करते हैं और मां कूष्मांडा से उनकी कृपा, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस आरती का गाना और सुनना भक्तों को मां कूष्मांडा के दिव्य स्वरूप की महिमा याद दिलाता है और उन्हें उनकी आशीर्वाद की कामना करते हैं।
*माँ कुष्मांडा की आरती*
कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझे पर दया कारों महारानी।।
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली।
शाकम्बरी माँ भोली भाली।।
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे।।
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारों प्रमाण ये मेरा।।
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचाती हो माँ अम्बे।।
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी।।
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करों माँ संकट मेरा।।
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो।।
*माँ कुष्मांडा के मूल मंत्र*
सुरासम्पूर्ण कलश रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हास्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।।
*माँ कुष्मांडा के बीज मंत्र*
ऐ ह्री देव्यै नम:।
*माँ कुष्मांडा के स्तुति मंत्र*
या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रुपेण संस्तिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
वन्दे वाञ्छित कामार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम।
सिंहरुढ़ा अष्टभुजा कुष्मांडा यशस्विनीम्।।
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