NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?

उत्तर:👇

•यह धनुष अत्यंत पुराना और जर्जर था, श्रीराम ने तो इसे केवल सहज भाव से छुआ मात्र था, परंतु उसकी जर्जरता के कारण वह स्वतः ही टूट गया। इसमें बल प्रयोग जैसी कोई बात नहीं थी।

•हमने बाल्यकाल में भी अनेक धनुष तोड़े हैं, उस समय न तो किसी ने आपत्ति जताई, न ही कोई क्रोधित हुआ। फिर इस धनुष को लेकर इतनी उग्रता क्यों?

•हमें यह धनुष कोई विशेष दिव्य अस्त्र प्रतीत नहीं हुआ, यह तो एक सामान्य सा धनुष लगा जिसे श्रीराम ने सहजता से उठाया।

•इस धनुष के टूटने से हमें न कोई लाभ हुआ, न ही किसी प्रकार की हानि दिख रही है, फिर इसमें इतना रोष क्यों?

2.परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:👇

राम बहुत शांत और धैर्यवान हैं। जब परशुराम क्रोधित होते हैं, तो राम बिलकुल विनम्रता से जवाब देते हैं। वे कहते हैं कि अगर धनुष टूटा है, तो शायद किसी दास या सेवक ने तोड़ा होगा, यानी वे खुद को नहीं बताते।
राम की मीठी और सम्मानजनक बातें परशुराम का गुस्सा शांत करने की कोशिश करती हैं। जब लक्ष्मण गुस्से में बोलने लगते हैं, तो राम अपनी आँखों से इशारा कर उन्हें शांत होने को कहते हैं। इससे राम की गंभीरता और समझदारी दिखती है।

दूसरी ओर, लक्ष्मण का स्वभाव थोड़ा तेज़ और गुस्से वाला है। वे परशुराम की बातों पर व्यंग्य करते हैं और कहते हैं कि इतनी छोटी सी बात पर इतना गुस्सा करना ठीक नहीं है।
लक्ष्मण साफ़ कहते हैं कि किसी को अपशब्द कहना गलत है, चाहे वो कोई भी हो। वे परशुराम के गुस्से को गलत मानते हैं और उसका डटकर जवाब देते हैं, क्योंकि वे अन्याय के खिलाफ हैं।

3.लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।

उत्तर:👇

परशुराम (क्रोध में):
“यह दुस्साहस किसने किया? शिवजी के इस महान धनुष को तोड़ने की हिम्मत आखिर किसने की है?”

राम (विनम्रता से):
“हे नाथ! यह दिव्य धनुष जिसने भी तोड़ा है, वह निश्चित ही आपका कोई दास होगा। वह आपके चरणों में समर्पित कोई सेवक ही होगा।”

परशुराम (गुस्से में भड़कते हुए):
“सेवक वही होता है जो सेवा करे, सम्मान से रहे। पर जो मेरे सामने शत्रु जैसा व्यवहार करे, उससे तो युद्ध करना पड़ेगा। जिसने भी यह धनुष तोड़ा है, वह अब मेरा दुश्मन है।
उसे तुरंत इस सभा से बाहर जाना चाहिए, वरना यहाँ मौजूद सभी राजा मारे जाएँगे!”

4.परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए -

बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही||
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही||
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा||
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर||

उत्तर:👇

परशुराम ने अपने बारे में कहा कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं और उनका स्वभाव अत्यधिक क्रोधी है। सारा संसार उन्हें क्षत्रिय वंश का विनाश करने वाले के रूप में जानता है।
उन्होंने कई बार अपनी भुजाओं के बल से पृथ्वी को क्षत्रियों से मुक्त किया है और फिर वह भूमि ब्राह्मणों को दान में दे दी।

इसके बाद उन्होंने अपना परशु (फरसा) दिखाते हुए कहा —
"इसी से मैंने सहस्त्रबाहु की बाहें काट डाली थीं।"
फिर चेतावनी देते हुए बोले —
"मैं अपने माता-पिता की चिंता नहीं करता। मेरा यह परशु इतना प्रचंड है कि यह गर्भ में पल रहे शिशुओं तक का नाश कर सकता है।"

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद


5.लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं ?

उत्तर:👇

ऐसा प्रतीत होता है जैसे स्वयं सवेरा, वसंत रूपी बालक को जगाने के लिए गुलाब रूपी कोमल उंगलियों से चुटकी बजा रहा हो। इसका आशय यह है कि वसंत ऋतु में प्रातःकाल होते ही गुलाब के फूल मुस्कुराकर खिल उठते हैं, मानो प्रकृति स्वयं उन्हें स्नेह से जगा रही हो।

6.साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर:👇

साहस और शक्ति से हम कई बड़े कार्य कर सकते हैं, लेकिन जब इनके साथ विनम्रता जुड़ जाती है, तो उसका असर और भी ज्यादा होता है। विनम्रता व्यक्ति को संयमित बनाती है, जिससे उसे भीतर से शांति और संतोष मिलता है।जब किसी में विनम्रता का भाव होता है, तो विपक्षी भी उसका सम्मान करने लगते हैं। इससे कार्य आसान हो जाते हैं, और दूसरों के साथ सकारात्मक संबंध बनते हैं।

7.1 भाव स्पष्ट कीजिए – बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी||
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू||

उत्तर:👇

प्रसंग –
यह पंक्तियाँ गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई हैं। इन पंक्तियों में लक्ष्मण जी ने परशुराम जी के अपशब्दों और क्रोध का व्यंग्यपूर्ण उत्तर दिया है। यह प्रसंग उस समय का है जब परशुराम, शिवधनुष टूटने पर अत्यंत क्रोधित होकर सभा में आते हैं

भाव –
लक्ष्मण जी मुस्कुराकर कोमल किंतु तीखे शब्दों में परशुराम पर व्यंग्य करते हैं। वे कहते हैं कि परशुराम तो खुद को बहुत बड़ा वीर मानते हैं, और बार-बार फरसा दिखाकर मुझे डराने की कोशिश कर रहे हैं। लक्ष्मण कहते हैं कि जैसे फूँक मारने से कोई पहाड़ नहीं उड़ता, उसी तरह मुझे बालक समझने की भूल मत कीजिए। मैं आपके फरसे से डरने वाला नहीं हूँ।


7.2 भाव स्पष्ट कीजिए – इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं||
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना||

उत्तर:👇

प्रसंग –
यह पंक्तियाँ गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई हैं। इस प्रसंग में लक्ष्मण जी ने परशुराम जी द्वारा कहे गए कठोर और अपमानजनक शब्दों का उत्तर साहस और व्यंग्य के साथ दिया है। यह प्रसंग उस समय का है जब परशुराम, शिवधनुष टूटने के कारण अत्यंत क्रोधित होकर सभा में आते हैं।

भाव –
लक्ष्मण जी अपने आत्मविश्वास और वीरता का परिचय देते हुए कहते हैं कि हम कोई छुई-मुई के फूल नहीं हैं, जो किसी की ऊँगली दिखाने से डर जाएँ।
वे कहते हैं, हम अवश्य बालक हैं, लेकिन फरसे और धनुष-बाण हमने भी कम नहीं देखे हैं, इसलिए हमें नासमझ या डरपोक न समझा जाए।
जब हमने आपके हाथ में धनुष और बाण देखा, तो लगा कि सामने कोई वीर योद्धा खड़ा है — यह व्यंग्य के रूप में कहा गया, जिससे परशुराम को भी लक्ष्मण की वीरता का अंदाज़ा हो।

7.3 भाव स्पष्ट कीजिए – गाधिसू नु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ||

उत्तर: 👇

प्रसंग –
यह पंक्तियाँ गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई हैं। इस प्रसंग में परशुराम जी के अपशब्दों और आक्रोशित वचनों को सुनकर विश्वामित्र जी उनकी बुद्धि पर तरस खाते हैं। परशुराम जी बार-बार कहते हैं कि वह लक्ष्मण को पलभर में मार देंगे, लेकिन विश्वामित्र जी उनके क्रोध और अज्ञानता को देखकर हृदय में मुस्कराते हैं।

भाव –
विश्वामित्र जी परशुराम के शब्दों को सुनकर मन ही मन मुस्कराते हुए सोचते हैं, "यह गधि-पुत्र (परशुराम जी) को चारों ओर केवल हरा ही हरा दिखाई दे रहा है, लेकिन जिन्हें वह गन्ने की खाँड़ समझ रहे हैं, वे तो दरअसल लोहे से बनी तलवार (खड़ग) की तरह हैं।" विश्वामित्र जी यह समझते हैं कि इस समय परशुराम की स्थिति "सावन के अंधे" की तरह हो गई है, यानी उन्हें क्रोध और अहंकार ने अंधा कर दिया है, और इसलिए उन्हें सही रास्ता या समझ नहीं दिखाई दे रही। वे जो समझ रहे हैं वह वास्तविकता से बहुत दूर है।

8.पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर:👇

तुलसीदास एक महान रससिद्ध कवि हैं, जिनकी काव्य भाषा रस की खान है। रामचरितमानस को उन्होंने अवधी भाषा में लिखा, जो न केवल सुंदर है बल्कि उसमें गहरी आध्यात्मिकता भी है। इस काव्य में तुलसीदास ने दोहा, छंद और चौपाई का खूबसूरती से प्रयोग किया है, जिनमें संगीत जैसा लय और सौंदर्य है।

भाषा में कोमलता के लिए उन्होंने कठोर शब्दों की जगह कोमल ध्वनियों का प्रयोग किया है। अलंकारों का सुंदर प्रयोग जैसे अनुप्रास, रुपक और उत्प्रेक्षा काव्य को और भी आकर्षक बनाते हैं। व्यंग्यात्मकता का भी बहुत अच्छा मिश्रण है, जो हास्य और गहरे संदेश का संचार करता है।

9. इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:👇

तुलसीदास द्वारा रचित परशुराम – लक्ष्मण संवाद मूल रूप से व्यंग्य काव्य है। उदाहरण के लिए –

(1) बहुधनुही तोरि लरिकाईं।
कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं॥
लक्ष्मण जी व्यंग्य करते हुए परशुराम जी से कहते हैं कि हमने बचपन में भी कई धनुष तोड़े हैं, लेकिन तब आपने कभी हम पर क्रोध नहीं किया।

(2) मातु पितहि जनि सोच बस करसि महीस किशोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर॥
परशुराम जी क्रोध में लक्ष्मण से कहते हैं—अरे राजा के बेटे! तू अपने माता-पिता को चिंता में मत डाल। मेरा फरसा बहुत भयानक है, यह तो गर्भ में पल रहे बच्चों को भी नष्ट कर सकता है।

(3) गाधि सूनु कह हृदयँ हँसि मुनिहि हियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ॥
यहाँ विश्वामित्र जी परशुराम की बुद्धि पर मन ही मन हँसते हैं और सोचते हैं कि परशुराम अभी भी राम-लक्ष्मण को साधारण बालक समझ रहे हैं। वे उन्हें गन्ने की खाँड़ समझ रहे हैं, जबकि वे तो लोहे की तलवार जैसे हैं। परशुराम का हाल सावन के अंधे जैसा है जिसे हर जगह हरा ही हरा दिखता है।

10.4 निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए -
लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु||

उत्तर:👇

(1) उपमा अलंकार –
(i) उतर आहुति सरिस भृगुबर कोप कृसानु में उपमा अलंकार है।
(ii) जल सम बचन में भी उपमा अलंकार है क्योंकि भगवान राम के मधुर वचन जल के समान प्रभावशाली हैं।

(2) रूपक अलंकार –
रघुकुल भानु में रूपक अलंकार है, यहाँ श्री राम को रघुकुल का सूर्य कहा गया है। श्री राम के गुणों की तुलना सूर्य से की गई है।

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