NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 1 पद

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 1 पद

NCERT Solutions For Class 10

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 1 पद


1.गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?

उत्तर:
गोपियाँ उद्धव को "भाग्यवान" कहती हैं, पर यह सीधी प्रशंसा नहीं है — इसमें वक्रोक्ति है। वे ऊपर से तो उद्धव की सराहना करती दिखती हैं, लेकिन भीतर से उनका आशय उल्टा है। वे कहना चाहती हैं कि तुम वास्तव में बड़े अभागे हो। न तुमने प्रेम किया, न किसी का प्रेम पाया। न किसी के हो सके, न किसी को अपना बना सके। तुम प्रेम के रस को कभी समझ ही नहीं सके। यही तुम्हारा सबसे बड़ा दुर्भाग्य है।

2.उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?

उत्तर:
•उद्धव के व्यवहार की तुलना दो वस्तुओं से की गई है—
पहली, कमल के पत्ते से जो पानी में रहकर भी गीला नहीं होता।
•दूसरी, तेल में डूबी गागर से जो तेल के कारण पानी से गीली नहीं होती।

3.गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

उत्तर:
•गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए—

•उनका प्रेम उनके मन में ही दबा रह गया; न कृष्ण से कह सकीं, न और किसी से।

•वे केवल कृष्ण के आने की प्रतीक्षा कर रही थीं, पर कृष्ण ने स्वयं आना छोड़ योग-संदेश भेज दिया।

•वे रक्षा की गुहार और प्रेम का संदेश चाहती थीं, पर वहाँ से उपदेश आ गया—जिससे उनका दिल टूट गया।

•उन्होंने सोचा था कृष्ण उनके प्रेम की मर्यादा रखेंगे, पर योग-संदेश भेजकर उन्होंने वही मर्यादा तोड़ दी।

4.उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

उत्तर:
श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने पर गोपियाँ पहले से ही विरहाग्नि में जल रही थीं। वे उनके प्रेम-संदेश और आगमन की प्रतीक्षा कर रही थीं। ऐसे में जब श्रीकृष्ण ने योग-साधना का संदेश भिजवाया, तो उनकी पीड़ा कम होने के बजाय और बढ़ गई। उद्धव द्वारा दिया गया यह योग-संदेश उनकी विरहाग्नि में घी का काम कर गया।

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 1 पद

5.मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

उत्तर:
प्रेम की मर्यादा यही है कि प्रेमी और प्रेमिका दोनों प्रेम को समझें और निभाएँ। वे उसकी सच्ची भावना को अपनाएँ और उसकी मर्यादा की रक्षा करें। परंतु कृष्ण ने गोपियों से प्रेम निभाने के बजाय उन्हें नीरस योग-संदेश भेजा—जो उनके लिए एक छल और भटकाव था। गोपियों ने इसी को प्रेम की मर्यादा का उल्लंघन माना।

6.कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?

उत्तर:
गोपियाँ श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति को इन रूपों में प्रकट करती हैं—

•वे अपनी स्थिति गुड़ से चिपटी चींटियों जैसी मानती हैं, जो किसी भी हाल में कृष्ण-प्रेम से अलग नहीं हो सकतीं।

•वे श्रीकृष्ण को हारिल की लकड़ी के समान मानती हैं—जिसे एक बार थामा, तो कभी छोड़ नहीं सकतीं।

•वे मन, वचन और कर्म से पूरी तरह श्रीकृष्ण को समर्पित हैं।

•वे सोते-जागते, दिन-रात उन्हीं का नाम जपती हैं।

•उनके लिए योग-संदेश, कृष्ण-प्रेम के सामने कड़वी ककड़ी जैसा कड़वा और अस्वीकार्य लगता है।

7.गोपियों ने उधव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?

उत्तर:
गोपियों ने उद्धव से कहा कि वे योग की शिक्षा उन्हें दें—
जिनके मन स्थिर नहीं हैं,
जिनके हृदयों में कृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम नहीं है,
जिनके मन में भटकाव, दुविधा, भ्रम और चक्कर हैं।

8.प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

उत्तर:
सूरदास द्वारा रचित इन पदों में गोपियों का कृष्ण के प्रति एकनिष्ठ प्रेम, गहरी भक्ति, गाढ़ी आसक्ति और स्नेह झलकता है—जिस पर कोई और प्रभाव नहीं पड़ता। श्रीकृष्ण का प्रेम ऐसा रंग बन चुका है कि उनके भेजे योग-संदेश को गोपियाँ कड़वी ककड़ी और रोग-व्याधि जैसा मानती हैं, जिसे वे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं कर सकतीं।

9.गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

उत्तर:
गोपियों के अनुसार, राजा का धर्म होता है कि वह अपनी प्रजा की रक्षा करे—उन्हें अन्याय और अत्याचार से बचाए, और किसी भी प्रकार के दुख से उन्हें सुरक्षित रखे।

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 1 पद

10.गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

उत्तर:
गोपियों को अब श्रीकृष्ण में कई ऐसे परिवर्तन दिखने लगे हैं, जिनसे वे अपना मन उनसे वापस पाना चाहती हैं—

•अब श्रीकृष्ण ने राजनीति सीख ली है, जिससे उनके व्यवहार में छल और कपट आ गया है।

•उन्हें प्रेम की मर्यादा का ध्यान नहीं रह गया।

•वे धीरे-धीरे राजधर्म को भी भूलते जा रहे हैं।

•जो दूसरों को अनीति से बचाते थे, वही अब स्वयं अनीति पर उतर आए हैं।

11.गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?

उत्तर:
गोपियाँ वाक्चतुर हैं—बातों में किसी को भी मात दे सकती हैं। यहाँ तक कि ज्ञानी उद्धव भी उनके सामने निःशब्द खड़े रह जाते हैं। इसका कारण है उनके हृदय में उमड़ता हुआ सच्चा कृष्ण-प्रेम। यही भावों का आवेग, यही प्रेम का ज्वार उद्धव की सारी विद्या पर भारी पड़ जाता है। सच्चे प्रेम में इतनी शक्ति होती है कि सबसे बड़े ज्ञानी को भी झुका देती है।

12.संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए?

उत्तर:
सूरदास के भ्रमरगीत की कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं—

•इसमें विरह-व्यथा का गहरा और मार्मिक वर्णन है।

•सगुण ब्रह्म की भावना की सराहना की गई है।

•गोपियों के माध्यम से उपालंभ, वाक्पटुता और व्यंग्य स्पष्ट रूप से व्यक्त हुए हैं।

•इसमें कृष्ण के प्रति गोपियों के एकनिष्ठ प्रेम का चित्रण है।

•उद्धव के ज्ञान पर गोपियों के प्रेम और वाक्चातुर्य की विजय दिखाई गई है।

•पदों में गेयता और संगीतात्मकता का गुण मौजूद है।

रचना और अभिव्यक्ति

1.गोपियों ने उद्धव के सामने तरह–तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।

गोपियों ने उद्धव के सामने कई तर्क प्रस्तुत किए। हम भी निम्नलिखित तर्क दे सकते हैं—

1.उद्धव पर तो कृष्ण का कोई प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन लगता है कृष्ण पर उद्धव की योग-साधना का असर ज़रूर हो गया है।

2.निर्गुण ब्रह्म, जिसमें कोई गुण ही नहीं है—उसकी उपासना हम नहीं कर सकतीं।

3.योग का मार्ग बहुत कठिन है, और हम गोपियाँ कोमल स्वभाव की हैं। हमारे लिए यह कठोर साधना असंभव है।


2. उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे ; गोपियों के पास ऐसी कौन–सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखिरत हो उठी ?

उत्तर:
सच्चे प्रेम में इतनी अपार शक्ति होती है कि वह बड़े-से-बड़े ज्ञानी और तर्कशील व्यक्ति को भी झुका देता है। गोपियों के हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति निष्कलंक प्रेम और गहरी भक्ति थी। यही प्रेम-शक्ति उनकी सबसे बड़ी ताक़त बन गई। उन्होंने अपने भावों की तीव्रता और वाक्चातुर्य के बल पर उद्धव जैसे ज्ञानी और नीतिज्ञ को भी निरुत्तर कर दिया। प्रेम की यह विजय ज्ञान पर भाव की श्रेष्ठता को सिद्ध करती है।


3.गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
गोपियों को ऐसा प्रतीत होता है कि कृष्ण द्वारका जाकर राजनीति के विद्वान बन गए हैं। अब वे राजा बनकर चालें चलने लगे हैं, और छल-कपट जैसे गुण उनके स्वभाव का हिस्सा बन गए हैं। गोपियाँ यह इसलिए कहती हैं क्योंकि श्रीकृष्ण ने सीधे-सपाट संवाद करने के बजाय रहस्यमय ढंग से उद्धव के माध्यम से संदेश भेजा। उनका यह कथन—"हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं"—आज की भ्रष्ट राजनीति पर भी गहरा व्यंग्य करता है। आज भी राजनीति छल, कपट और झूठे वादों से भरी है। जैसे कृष्ण ने मिलने का वादा करके उसे निभाया नहीं, वैसे ही आज के नेता भी वादे कर के उन्हें भुला देते हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post

Offered

Offered