NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 4 आत्मकथ्य
NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 4 आत्मकथ्य
1.कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है।
उत्तर:
कवि बादलों को क्रांति का प्रतीक मानता है। वह चाहता है कि बादल केवल शांति या सौम्यता का संदेश न दें, बल्कि अपने भीतर छुपी ताकत और पौरुष को प्रकट करें। इसलिए वह उन्हें रिमझिम या हल्की फुहार की बजाय तेज़ गरजने और ज़ोर से बरसने के लिए बुलाता है। कवि को समाज की पीड़ा और दुख दूर करने के लिए कोमलता नहीं, बल्कि क्रांतिकारी ऊर्जा और साहसिक परिवर्तन की आवश्यकता लगती है।
2.आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर:
"अभी समय भी नहीं" — कवि ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि उसे लगता है कि उसके जीवन में अब तक ऐसी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं हुई है जिसे वह दूसरों को बता सके। साथ ही, उसकी पीड़ा और दुःख फिलहाल शांत हैं, जैसे वह उन्हें कुछ हद तक भूल चुका हो। इस शांत क्षण में वह उन पुराने दुखों को याद करके फिर से उदास नहीं होना चाहता।
3.स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
इस कविता में "बादल" तीन महत्वपूर्ण अर्थों का प्रतीक है—
1. वह एक ऐसी शक्ति है जो जल बरसाकर जीवन देती है।
2. वह कवि के भीतर उत्साह और संघर्ष की भावना भरता है, जैसे वह क्रांति का प्रेरणास्रोत हो।
3. साथ ही, वह पीड़ा और दुख के ताप को शांत करने वाली सुखदायक शक्ति का भी संकेत देता है।
4.भाव स्पष्ट कीजिए–
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
उत्तर:
(क) – इन पंक्तियों में कवि कहता है कि वह भी दूसरों की तरह सुखी जीवन जीने का सपना देखता था, लेकिन वह सपना पूरा होने से पहले ही टूट गया। जब सुख उसके पास आने ही वाला था, तब वह मुस्कराकर छूट गया—जैसे उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई और वह सुख क्षण भर में उससे दूर हो गया।
(ख) – इन पंक्तियों में कवि अपनी प्रेयसी की अनुपम सुंदरता का वर्णन करता है। उसके कपोल इतने लाल और आकर्षक थे कि मानो सुबह की उषा भी उनसे अपनी सुंदरता उधार लेती हो। कवि की नज़र में उसकी पत्नी की शोभा उषा की लालिमा से भी अधिक मनमोहक थी।
5.‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’ – कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर:
कवि कहना चाहता है कि चाँदनी रातों में प्रेयसी के साथ बिताए गए वे मधुर पल उसके जीवन की एक उज्ज्वल, पवित्र गाथा की तरह हैं। ये स्मृतियाँ अब उसके अंधकारमय जीवन में आगे बढ़ने का एकमात्र संबल बन चुकी हैं। वह नहीं चाहता कि इन निजी और भावनात्मक पलों को सबके सामने लाकर कोई उसका मज़ाक बनाए। इसलिए वह इन मधुर यादों को किसी से साझा नहीं करना चाहता और उन्हें अपने मन में ही सहेजकर रखना चाहता है।
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6.‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य’ की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
1.भाषा-शैली:
इस कविता में कवि ने खड़ी बोली हिंदी का प्रयोग किया है, जो सरल, प्रभावशाली और भावप्रवण है। उदाहरण:
“यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास।”
2.बिंबों का प्रयोग:
कवि ने मनोभावों को सजीव बनाने के लिए सुंदर, ललित और नवीन बिंबों का प्रयोग किया है।
उदाहरण:
“जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में,
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।”
3.नवीन शब्दों का प्रयोग:
कविता में नवीन व कठिन शब्दों का प्रयोग किया गया है जिससे भावों की गहराई और सौंदर्य बढ़ा है।
उदाहरण:
“यह विडंबना! अरी सरलते, तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।
भूले अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं।”
4.मानवीकरण:
मानवेतर वस्तुओं को मानव के समान प्रस्तुत करना छायावाद की विशेषता है, जो यहाँ स्पष्ट है।
उदाहरण:
“थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।”
“अरी सरलता, तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।”
5.अलंकारों का प्रयोग:
कविता में अलंकारों का प्रयोग काव्य-सौंदर्य को और अधिक प्रभावशाली बनाता है—
•पुनरुक्ति अलंकार: “खिल-खिलाकर”, “आते-आते”
•रूपक अलंकार: “अरुण-कपोलों”
•अनुप्रास अलंकार: “मेरी मौन”, “अनुरागिनी उषा”
ये सभी विशेषताएँ मिलकर कविता को भावनात्मक, सौंदर्यपूर्ण और छायावादी काव्य का उत्कृष्ट उदाहरण बनाती हैं।
7.कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था, उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?
उत्तर:
कवि के सुखद स्वप्न में उसे अपनी प्रेयसी के साथ कुछ मधुर क्षण बिताने का अवसर मिला था, लेकिन जैसे ही वह उसे आलिंगन में लेना चाहता है, वह मुस्कराकर उससे दूर चली जाती है। चाँदनी रात में प्रेयसी के साथ बिताए वे पल अब केवल एक मीठी याद नहीं रहे, बल्कि स्थायी पीड़ा में बदल गए हैं, जो कवि के हृदय में गहराई से बस गई है।
रचना और अभिव्यक्ति
8.इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद छायावादी काव्य के प्रमुख प्रवर्तक माने जाते हैं। उनका जीवन सादगी से भरा हुआ था और उन्होंने अनेक अभावों में भी संयमित जीवन जीया। वे अत्यंत विनम्र और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे, जिनके जीवन में कभी दिखावे के लिए कोई स्थान नहीं रहा। हालाँकि उन्हें जीवन में कई बार धोखा मिला, फिर भी उन्होंने अपनी सरलता और भोलापन नहीं छोड़ा। वे अपनी कमजोरियों को सबके सामने प्रकट करने में संकोच करते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि लोग उनकालाल उपहास करेंगे। इसीलिए वे अपने दुखों को अपने भीतर ही सीमित रखते थे और उन्हें दुनिया से छिपाकर रखते थे।
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