मुरझाया फूल सुभद्रा कुमारी चौहान की एक प्रशिद्ध कविता है, जिसका सारांश हम इस आर्टिकल में पढेंगे।कवियित्रि ने इस कविता में फूल के मध्यम से वृद्ध अवस्था के बारे में वर्णन किया है।
मुरझाया फूल
यह मुरझाया हुआ फूल है,
इसका हृदय दुखाना मत।
स्वयं बिखरने वाली इसकी,पंखुड़ियाँ बिखराना मत।।जीवन की अंतिम घड़ियों में,अगर हो सके तो ठंडी-बुँदे टपका देना, प्यारे।देखो, इसे रुलाना मत।।जल न जाए संतप्त हृदय शीतलता ला देना प्यारे।।मुरझाया फूल कविता का सारांश
इस कविता के माध्यम से कवियित्रि यह कहना चाहती है की फूल के माध्यम से मनुष्य के अंतिम समय की स्तिथि को बताते हुए उनकी पीड़ा को दर्शाती है। इस कविता से कवियित्रि का कहने का तापर्य यह है कि यह फूल मुरझा गया है। अर्थात इसका अंतिम समय पास आ गया है। अब इसका ह्रदय दुखाना मत सुभद्रा कुमारी चौहान ने मनुष्य के विभिन्न-विभिन्न अवस्थाओं को विषय बनाके रचनाएं की है। मुरझाया हुआ फूल इसी प्रकार की रचना है जिसमें उन्होंने वृद्ध अवस्था का चित्रण किया है। जिस तरह से युवाओं द्वारा वृद्धओं का त्रिसकार होता है उसको लेकर यह कविता सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखी है। जिससे वह बताती है कि वृद्ध लोगों की ह्रदय को दुखाना नहीं चाहिए। सुभद्रा कुमारी चौहान कहती है कि जीवन के इन अंतिम घड़ियों में इन्हें यदि हम खुश रख सके तो ठीक है अर्थात इन्हें चोट नहीं पहुँचानी चाहिए अगर संम्भव हो तो अपने प्यार की कुछ बूँदें इन पर टपका देना पूरा जीवन तो विविध प्रकार के कष्टों के कारण मुरझाये हुओं ह्रदय से अपना अंतिम समय कांट रहे है यदि हम उनके साथ कुछ पल बिता कर उनके सुख-दुख की कथा को सुनकर उन पर अपना प्यार का कुछ हिस्सा लुटा कर उनके संतिप्त ह्रदय को शीतलता प्रदान कर पाए तो हम उन्हें नया जीवन दे सकेंगें और वृद्ध वस्था यही कष्ट कर होती है इसलिए कवियित्रि कहती है कि हमें वृद्ध लोगो को नाना प्रकार से प्रसन्न रखने का प्रयास करें।कैसी लगी आपको सुभद्रा कुमारी चौहान की यह कविता कॉमेंट कर के हमें जरूर बताएं।
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