यह देखा माँ आजखिलौनेवाला कविता
खिलौनेवाला फिर से आया है।कई तरह के सुंदर-सुंदर नए खिलौने लाया है।हरा-हरा तोता पिंजड़े में गेंद एक पैसे वालीछोटी सी मोटर गाड़ी हैसर-सर-सर चइने वाली।सीटी भी है कई तरह कीकई तरह के सुंदर खेलचाभी भी देने से भक भककरती चलने वाली रेल।गुड़िया भी है बहुत भली-सीपहने कानों में बालीछोटी-सी 'टी सेट' हैछोटे-छोटे हैं लोटा-थाली।छोटे-छोटे धनुष-बाण हैहै छोटी-छोटी तलवारनए खिलौने ले लो भैयाजोर-जोर वह रहा पुकारमुन्नों ने गुड़िया ले लो हैमोहन ने मोटर गाड़ीमचल-मचल सरला कहती हैमाँ से लेने को साड़ीकभी खिलौनेवाला भी माँक्याख साड़ी ले आता हैसाड़ी तो वह कपड़े वालाकभी-कभी दे जाता है।अम्मा तुमने तो लाकर केमुझे दे दिए पैसे चारकौन खिलौने लेता हूँ मैंतुम भी मन में करो विचार।तुम सोचोगी मैं ले लूँगीतोता, बिल्ली, मोटर, रेलपर माँ, यह मैं कभी न लूँगा।ये तो हैं बच्चे के खेल।मैं तो तलवार खरीदूँगा माँथा मैं लूँगा तीर-कमानजंगल में जा, किसी ताड़काको मारूँगा राम समान।तपसी यज्ञ करेंगे, असुरों-को मैं मार भगाउँगायों ही कुछ दिन करते-करतेरामचंद्र मैं बन जाऊंगातुम कह दोगी वन जाने कोहँसते-हँसते जाऊंगा।पर माँ बिना तुम्हौरे वन मेंमैं कैसे रह पाउँगा?
खिलौनेवाला कविता का सारांश:-
इस कविता में एक बच्चे का भोलापन और उसकी बहादुरी के बारे में बताया गया है। यह बच्चा अपनी माँ से बहुत ही खुश होकर कहता है कि माँ आज फिर खिलौनेवाला आया है और अपने साथ में तरह-तरह के खिलौने लाया है। खिलौनेवाले के पास पिंजरे में बंद तोता, गेंद, मोटरगाड़ी और गुड़िया है। चाबी देने पर चलने वाली रेलगाड़ी, छोटा-सा टी और लौटा थाली भी हैं। उसके पास छोटे-छोटे धनुष-बान और तलवार भी हैं। वह बच्चा अपनी माँ से यह भी कहता है कि वह खिलौनेवाला चिल्ला-चिल्ला कर सबसे कह रहा है की उसके पास तरह-तरह के नए-नए बहुत सारे खिलौने है, उसे सभी ख़रीदे लें। फिर वह बच्चा अपनी माँ से कहता है कि मन्नू ने गुड़िया खरीदी है और मोहन ने मोटरगाड़ी और सरला अपनी माँ को साड़ी खरीदेने को कह रही है। यह देखकर बच्चा अपनी माँ से पूछता है कि माँ क्या खिलौनेवाला साड़ी भी लेकर आता है बेचने के लिए? साड़ियाँ तो खिलौनेवाले नहीं बेचते वह तो कपड़े वाले बेचते हैं जो कभी कबार ही आते है।बच्चा फिर कहता है की उसे बच्चों वाले खिलौने नहीं चाहिए। बल्कि उसे तो तलवार या तीर-कमान चाहिए जिसे लेकर वह जंगल में जाकर श्रीराम की तरह वह तड़का राक्षसी को मारेगा। बच्चा कहता है कि अगर उसकी माँ उसे जंगल में जाने को कहे तो वह खुश होकर जंगल भी चला जाएगा। फिर वह छोटा सा बच्चा यह सोचकर घबरा जाता है की वह अपनी माँ के बिना उस घनघोर जंगल में कैसे रह पाएगा? अगर वह अकेला जायेगा तो उस जंगल में उसकी देखभाल कौन करेगा? जब वो नाराज हो जाएगा तो उस प्यार से कौन मनाएगा? प्यार से उसे अपनी गोद में बैठाकर, उसे उसकी मनचाही चीजें कौन दिलाएगा।
इस कविता में सुभद्रा कुमारी चौहान एक छोटे से मासूम से बच्चे के स्वभाव के बारे में चित्रण किया है।कैसी लगी आपको सुभद्रा कुमारी चौहान की यह कविता कॉमेंट कर के हमें जरूर बताएं। उनके बारे में जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।