विश्वकर्मा पूजा पर निबंध Essay on Vishwakarma Puja in Hindi

विश्वकर्मा पूजा पर निबंध Essay on Vishwakarma Puja in Hindi

विश्वकर्मा पूजा पर निबंध

विश्वकर्मा पूजा पर निबंध Essay on Vishwakarma Puja in Hindi

विश्वकर्मा पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जो भारत में मनाया जाता है। यह पर्व विश्वकर्मा, भगवान विश्वकर्मा की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो विशेष रूप से शिल्पकला और उद्योग के देवता माने जाते हैं। 

विश्वकर्मा पूजा का आयोजन आमतौर पर सितंबर महीने के बाद किया जाता है, विशेष रूप से उत्तर भारत के कई राज्यों में। इस दिन शिल्पकार, उद्योगपति, और करीगर अपने कामशालाओं और उपकरणों को सजाने और पूजन करते हैं।

विश्वकर्मा पूजा का उद्देश्य श्रेष्ठता के कार्यों की प्राप्ति और उद्योगिक सफलता की प्रार्थना करना होता है। इसे विशेष रूप से करीगरों और शिल्पकारों का पर्व माना जाता है, जो अपने काम में माहिरी और कौशल का प्रतीक होते हैं।

विश्वकर्मा पूजा एक महत्व:
विश्वकर्मा पूजा एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो भारतीय समाज में एकता, कौशल, और उत्तरदायित्व की भावना को मजबूती से प्रकट करता है। इस दिन के महत्व को समझते हुए, लोग अपने काम में समर्पित रूप से काम करते हैं और अपने उद्योगों को समृद्धि की ओर बढ़ाते हैं।

विश्वकर्मा पूजा, जो भारत में प्रसिद्ध है, उपकरण और यंत्रों के निर्माता देवता विश्वकर्मा को समर्पित होता है। इस पूजा का महत्व उसके यंत्रशिल्प और विन्यास के क्षेत्र में है, जो समृद्धि और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह पर्व उपकरण और मशीनरी के विकास को प्रोत्साहित करता है और करिगरों को सम्मान देता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन, कार्यशाला और उपकरणों को सजाया जाता है, पुजा के रूप में देवता विश्वकर्मा की प्रतिमा को पूजा जाता है, और कार्यों में नई शुरुआत की जाती है। इस पूजा का महत्व सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी होता है, क्योंकि यह करिगरों को उनके योगदान की महत्वपूर्ण पहचान दिलाता है और उन्हें सम्मानित करता है।

विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य:
विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य विश्वकर्मा देवता की पूजा और आराधना करना होता है। यह पूजा विश्वकर्मा देवता को समर्पित होती है, जिन्हें विभिन्न धार्मिक और पेशेवर क्षेत्रों का प्रतीक माना जाता है, जैसे कि शिल्पकला, वाणिज्यिक कार्य, औद्योगिक निर्माण, और मशीनों के निर्माण में। लोग विश्वकर्मा पूजा के द्वारा विश्वकर्मा देवता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ताकि उनके व्यापार और कार्यों में सफलता और सुरक्षा हो। इसके साथ ही, यह पूजा कला और शिल्पकला के प्रति भक्ति और समर्पण का भी प्रतीक है।

विश्वकर्मा पूजा का कुछ मुख्य पूजा विधियाँ:
विश्वकर्मा पूजा का पूजा विधी भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विश्वकर्मा जयंती भी कहा जाता है। यह पर्व विश्वकर्मा देवता की पूजा और श्रद्धा के रूप में मनाया जाता है, जो कारीगरों और उनके उपकरणों के प्रति समर्पित है। यहां विश्वकर्मा पूजा का कुछ मुख्य पूजा विधियाँ हैं:

1.पूजा का समय: विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाती है।

2.पूजा के लिए सामग्री: पूजा के लिए आपको विश्वकर्मा देवता की मूर्ति, फूल, दीपक, नैवेद्य (फल, मिठाई, और प्रसाद), वस्त्र, धूप, अच्छम् (गंध) आदि की आवश्यकता होती है।

3.पूजा का आयोजन: विश्वकर्मा पूजा को ध्यानपूर्वक और भक्ति भाव से मनाना चाहिए। आप पूजा स्थल को सजाकर, मूर्ति के सामने बैठकर पूजा कर सकते हैं।

4.पूजा विधि: पूजा का आरंभ गणपति और मां लक्ष्मी की पूजा से करें, और फिर विश्वकर्मा देवता की पूजा करें। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें और अपने मन, वचन, और क्रियाओं से देवता को समर्पित करें।

5.आरती: पूजा के बाद विश्वकर्मा आरती गाकर देवता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

6.प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को सभी उपस्थित व्यक्तियों को वितरित करें।

यहीं तो विश्वकर्मा पूजा की सामान्य पूजा विधि है। पूजा के समय स्थानीय परंपराओं और आपकी आस-पास की सामाजिक प्रथाओं का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण हो सकता है।

विश्वकर्मा जी की आरती

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥

आदि सृष्टि मे विधि को,
श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग मे,
ज्ञान विकास किया ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।

ध्यान किया जब प्रभु का,
सकल सिद्धि आई ।
ऋषि अंगीरा तप से,
शांति नहीं पाई।

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।

रोग ग्रस्त राजा ने,
जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर,
दूर दुःखा कीना ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।

जब रथकार दंपति,
तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना,
विपत हरी सगरी ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।

एकानन चतुरानन,
पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,
सकल रूप साजे ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।

ध्यान धरे तब पद का,
सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे,
अटल शक्ति पावे ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।

श्री विश्वकर्मा की आरती,
जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी,
सुख संपाति पावे ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा॥

Post a Comment

Previous Post Next Post

Offered

Offered