Class 9 Science Chapter 7 जीवों में विविधता Notes in Hindi जीवों में विविधता Class 9 Science Chapter 7 Question Answer

Class 9 Science Chapter 7 जीवों में विविधता Notes in Hindi जीवों में विविधता Class 9 Science Chapter 7 Question Answer 


Class 9 Science Chapter 7 जीवों में विविधता Notes in Hindi 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 

1.जीवों के वर्गिकरण से क्या लाभ है? 
(i)जीवों के वर्गिकरण से जीवों के बारे में अध्यपन करना, उनका नामकरण करना तथा उनके विशिष्ट गुणों को पहचानना सरल हो जाता है। 

(ii)वर्गिकरण के द्वारा ही पृथ्वी पर उपस्थित असंख जीवों की क्या-क्या उपयोग होती है, इसकी सही जानकारी हमें प्राप्त होती है। 

(iii)वर्गिकरण के द्वारा ही जीवों के विभिन्न समूहों के बीच पास्परिक संबंधों की जानकारी प्राप्त होती है। 

2.मोनरा क्या है? 
Ans-इन जीवों में न तो संगठित केंद्रक और कोशिकांग हैं और न ही उनके शरीर बहुकोशिक होते हैं। इनमें कुछ में कोशिका भित्ति पाई जाती है तथा कुछ में नहीं। कोशिका भित्ति के होने या न होने के कारण मोनोरा वर्ग के जीवों की शारीरिक संरचना में आए परिवर्तन तुलनात्मक रूप से बहुकोशिक जीवों में कोशिका भित्ति के होने या न होने के कारण आए परिवर्तन से विभिन्न होते है। पोषण के स्तर पर ये स्वपोषी अथवा विषमपोषी दोनों हो सकते हैं। उदाहरणार्थ-जीवाणु, नील-हरित शैवाल अथवा सायनोबैक्टीरिया, माइकोप्लाजमा। 

3.वर्गीकरण में पदानुक्रम विधा निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेंगे? 
Ans-वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में पहले–
(i)उस लक्षण का चयन किया जायेगा जो जीवों में मुख्य अंतर निर्धारण करता है। जिससे मुख्य समूह का निर्धारण किया जा सके। जैसे जीवों की मूल इकाई कोशिका के आधार पर प्रोकैरियोटी और यूकैरियोटी।

(ii)उस लक्षण का चयन किया जायेगा जो उन्हें उप समूहों में वर्गीकरण किया जा सके जैसे स्वपोषी विषमपोषी इत्यादि। 

4.प्रोटिस्ट किसे कहते है? 
Ans-इसमें एककोशिक, यूकैरियोटी जीव आते हैं। इस वर्ग के कुछ जीवों में गमन के लिए सीलीया फ्लेजैला, नामक संरचनाएं पाई जाती है। ये स्वपोषी, एककोशिक शैवाल डाइएटम, प्रोटोजोवा इत्यादि। 

5.थैलोफ़ाइटा किसे कहते है? 
Ans-इन पौधों की शारीरिक संरचना में विभेदीकारण नहीं पाया जाता है। इस वर्ग के पौधों को सामान्यतया शैवाल कहा जाता है। ये मुख्य रूप से जल में पाए जाते हैं। उदाहरणर्थ, यूलोथ्रिक्स, क्लैडोफोरा, अल्वा, स्पाइरोगाइस, करा इत्यादि। 

6.ब्रायोफ़ाइटा किसे कहते है। 
Ans-इस वर्ग के पौधों को पादप वर्ग का उभयचर कहा जाता है। यह पादप, तना और पत्तों जैसी संरचना में विभाजित होता है। इसमें पादप शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक जल तथा विशिष्ट ऊतक नहीं पाए जाते हैं। उदाहरणर्थ मॉस (फ्यूनेरिया), मार्केशिया इत्यादि। 

7.टेरिडोफ़ाइटा क्या है? 
Ans-इस वर्ग के पौधों का शरीर जड़, तना तथा पत्ती में विभाजित होता है। इनमें शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक जल तथा अन्य पदार्थों के संवहन के ऊतक भी पाए जाते हैं। उदाहरणर्थ-मार्सीलिया, फर्न, हॉर्स-टेल इत्यादि।

तीन समूह के पौधों में जननांग अप्रत्यक्ष होते हैं। तथा इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है। 

दूसरी ओर, वे पौधे जिनमें जनन अंग पूर्ण विकसित एवं विभेदित होते हैं तथा जनन प्रक्रिया के पश्चात बीज उत्पन्न करते हैं, फैनरोगैम कहलाते हैं। बीज लैंगिक जनन के बाद उत्पन्न होता है। बीज के अंदर भ्रूण के साथ संचित खाद्य पदार्थ होता है, जिसका उपयोग भ्रूण के प्रारंभिक विकास एवं अंकुरण के समय होता है। बीज की अवस्था के आधार पर इस वर्ग में विभक्त किया जाता है। 
8.जिम्नोस्पर्स और एंजियोस्पर्स एक दूसरे से किस प्रकार भिन्न है। 
जिम्नोस्पर्स
इस शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों जिम्नो तथा स्पर्मा का अर्थ है बीज अर्थात इन्हें नग्नबीजी पौधे भी कहा जाता है। ये पौधे बहुवर्षी सदाबहार तथा काष्ठीय होते हैं।उदाहरणर्थ:- पाइनस तथा साइकस इत्यादि। 
 
एंजियोस्पर्स
यह दो ग्रीक शब्दों 'एंजियो और स्पर्मा' से मिलकर बना है। एंजियो का अर्थ है ढका हुआ और स्पर्मा का अर्थ है इनके बीजों का विकास अंडाशय के अंदर होता है, जो बाद में फल बन जाता है। बीजों में बीजपत्र होता है जो बीज के अंकुरण के पश्चात् हरा हो जाता है। बीजपत्रों की संख्या के आधार पर एंजियोस्पर्स वर्ग को दो भागों में बाटा गया है-एक बीजपत्र वाले पौधों को एक बीजपत्री और दो बीजपत्र वाले पौधों को द्विबीजपत्री कहा जाता है। 

9.जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधार में मूल अंतर क्या है? 
Ans-जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अंतर-

जंतु
(i)जंतुओं में कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती है। 
(ii)जंतुओं में वर्ण हरिम नहीं पाया जाता है। जंतु पोषण हेतु पौधों पर निर्भर रहते है अर्थात-जंतु परपोषी होते है। 
(iii)जंतुओं में वृद्धि एक निश्चित उम्र तक ही हो सकती है। 
(iv)जंतु चलायमान होते। 

पौधें
(i)पौधों में कोशिकाभित्ति पायी जाती है। 
(ii)पौधों में पर्णहरिम पाया जाता है जिसकी साहायता से वे सूर्य के प्रकाश में अपना भोजन स्वयं बनाते है अर्थात-पौधे स्वपोषि होते है। 
(iii)जबकि पौधों में वृद्धि अंतिम उम्र तक होती है। 
(iv)जबकि पौधे-स्थिर होते है। 

10.वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणी) को विभिन्न वर्णों में बाँटने के आधार की व्याख्या कीजीए 
Ans-वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणी) को विभिन्न वर्णों में बाँटने के आधार की व्याख्या निम्नलिखित है-

(i)कशेरुक प्राणियों में मेरुदंड तथा अंत: कंकाल पाया जाता है। 
(ii)विभिन्न प्राणियों में बँटवारा अलग-अलग होता है। 
(iii)पेशियाँ कंकाल से जुड़कर कशेरुक प्राणियों  को चलने में सहायता करती है। 
(iv)कशेरुक प्राणियों में ऊतकों तथा अंगों का जटिल विभेदन होता है। 
(v)इन प्राणियों में मस्तिष्क का क्रामिक विकास होता है। 
(vi)मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर के अन्य विभेदीकरण होता है। 
(vii)सिर ग्रीवा, धड़ तथा अन्य अंगों से मिलकर शरीर का निर्माण होता है। 
(viii)इनमें पूर्ण विकसित आहार-नाल, यकृत, अग्न्याशय तथा अन्य ग्रंथियाँ पाई जाती है। 
(ix)इनमें हृदय तथा रुधिर वाहिनियों का एक विकसित तंत्र होता है। 
(x)कशेरुक प्राणियों का श्वसन क्लोमों, फेफड़ों त्वचा तथा मुख गुहा द्वारा होता है। 

हमारें इस पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद। अगर आपको इससे कोई मदत मिली हो तो कमेंट जरूर करें और साथ ही अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करें। 

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