आस्था एवं विश्वास Social Science Class 7th Chapter-8 Ncert solution
(क)नयनार और अलवार साधु संत घुमक्कड़ प्रवृत्ति के होते थे।
(ख)अलवार संतों में एकमात्र महिला संत अंडाल थी।
(ग)शंकरराचार्य का दर्शन अद्वैतवाद कहलाता है।
(घ)वीर शैववाद कर्मकांड और मूर्तिपूजा के विरोधी थे।
(ड०)सूफी संतों ने हिंदू-मुस्लिम एकता को प्रोत्साहित किया।
(च)गुरुनानक के उपदेश आदिग्रन्थ में संग्रहित है।
2.सही मिलान कीजिए।
संत स्थान
शंकरदेव अजमेर
मोईनुद्दीन चिश्ती असम
रामानुज राजस्थान
गुरुनानक वाराणसी
कबीर तलवंडी
उत्तर यहाँ देखें:-
शंकरदेव असम
मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेर
रामानुज तलवंडी
गुरुनानक वाराणसी
कबीर राजस्थान
3.निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर संपेक्ष में दिजिए।
क. दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
Ans-दक्षिण भारत में सातवीं से 12 वीं शताब्दी के माध्य शैव (नयनार) और वैष्णव (अलवार)संप्रदायों ने धार्मिक आंदोलन का नेतृत्व किया।
ख.श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार मनुष्यों को पूर्नजंम से मुक्ति कैसे मिल सकती है?
Ans-मनुष्यों को पुनर्जन्म से मुक्ति के लिए श्रीमदभगवद् गीता के अनुसार-व्यक्ति जब भक्ति भाव से ईश्वर की शरण में जाए, तो उसे इस संसद से छुटकारा मिल सकता है।
ग. लोग सूफी संतों के मजार पर क्यों जाते हैं?
Ans-सूफी संतों के मजार (समाधि स्थल) पर लोग अपनी श्र्ध्दा सुमन आर्पित करने जाते थे। कई लोग अपनी मन्नतें लेकर भी इन स्थानों पर जाते थे।
घ.मीराबाई के भक्ति गीतों को क्या कहा जाता है?
Ans-मीराबाई के भक्ति गीतों को पदावली कहा जाता है।
ड०.रामचरितमानस के रचनाकार कौन हैं?
Ans-रामचरित्मानस के रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास जी है।
आइए चर्चा करें:
4.कबीर द्वारा अभीव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे?
- वे निराकार परमेश्वर में विश्वास रखते थे और उन्होंने यह उपदेश दिया कि भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष यानि मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
- उनके उपदेश प्रमुख धार्मिक परम्पराओं की पूर्ण एवं प्रचंड अस्वीकृति पर आधारित थे।
- उनके उपदेशों में ब्राह्मणवादी हिंदु धर्म और इस्लाम दोनों की बाह्य आडंबरपूर्ण पूजा के सभी रूपों में मजाक उड़ाया गया है।
5.बाबा गुरुनानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थी?
बाबा गुरुनानक की प्रमुख शिक्षाएं निम्नांकित है:-
- वे एकेश्वरवाद में विश्वास करते थेउन्होंने निर्गुण की उपासना पर बल दिया।
- परमात्मा के लिए उन्होंने हरिराम, अल्लाह और खुदा के नामों का भी प्रयोग किया।
- वे अवतारवाद में विश्वास नहीं करते थे।
- उनका मानना था कि मनुष्य के रूप में यदि ईश्वर जन्म लेंगे, तो वे भी जन्म-मृत्यु के बंधन में बंध जायेंगे।
- गुरुनानक ने गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए ईश्वर की प्राप्ति पर बल दिया।
- उन्होंने धार्मिक कर्मकांडों एवं आडम्बरों (मूर्तिपूजा, छुआछूत, ऊँच-नीचे) का जोरदार विरोध किया।
- गुरुनानक ने सती प्रथा का विरोध किया और नारी मुक्ति की दिशा में काफी प्रयत्न किये।
- गुरूनानक के विचारों का सिक्ख आंदोलन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा।
- नानक ने अपने उपदेशों को छोटी-छोटी कविताओं के रूप में दिया। जिसे सिक्खों के पाँचवें गुरु अर्जुनदेव ने आदि ग्रन्थ में संकलित किया।
- गुरूनानक के ज्यादातर अनुयायी गृहस्थ और जनोपयोगी व उत्पादक पेशों से जुड़े थे।
6.चिश्ती संप्रदाय भारत में अधिक लोकप्रिय क्यों हुआ?
Ans-भारत में चिश्ती संप्रदाय की स्थापना ख्वाजा मोइनद्दीन चिश्ती ने की थी। लाहौर और दिल्ली के बाद अजमेर में इस संप्रदाय का प्रभाव पड़ा। ख्वाजा के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उनके विरोधियों भी शिष्य बन गये। उन्होंने मानव प्रेम पर बल दिया। अजमेर स्थित उनके दरगाह का वार्षिक उर्स (मिला) विश्वाविख्यात है।
7.मध्यकाल में लोग तीर्थयात्राएं क्यों करते थे?
Ans-संत के उपदेशों को लोग आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक समझते थे। इन उपदेशों को सुनने और मंदिर के दर्शन के लिए लोग तीर्थ यात्राएं करते थे।
8.शंकराचार्य के प्रमुख संदेश?
Ans-भक्ति आंदोलन के प्रथम प्रचारक शंकराचार्य को माना जाता है। शंकराचार्य ज्ञानमार्गी थे। जगत को मिथ्या तथा बृह्मा (ईश्वर) को सत्य मानते थे। ईश्वर प्राप्ति के लिए उन्होंने ज्ञान मार्ग पर बल दिया है। उनका दर्शन अद्वैतवाद के नाम से प्रसिध्द है। अद्वैतवाद का अर्थ है-एक ईश्वर में विश्वास या आस्था रखना। उन्होंने सांसारिक मोह-माया को छोड़ सन्यास लेने और ब्रह्मा की सही प्रकृति को समझने पर बल दिया। उन्होंने मोक्ष प्राप्त करने के लिए ज्ञान के मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया।
9.सूफियों के आचार-व्यवहार कैसे थे?
सूफी या सूफी संप्रदाय का उदय सल्तनत काल की महत्वपूर्ण घटना थी। सूफी संत एकेश्वरवाद को मानते थे। उनका मानना था कि सब त्याग कर प्रेम के द्वारा ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। वे लोग शांत एवं सादा जीवन व्यतीत करते थे। सूफी संतों ने धार्मिक क्रियाकलापों के साथ मानव सेवा पर विशेष बल दिया। सूफी संत धार्मिक विभेद न करके सभी मनुष्यों के लिए सेवा का भाव रखते थे। दीन-दुखी और निर्धानों की सेवा को प्राथमिकता देते थे। उन्होंने हृदय की शुध्दता पर जोर दिया। सूफी संतों ने इस्लाम धर्म को उदार बनाकर हिंदू-मुस्लिम एकता को प्रोत्साहित किया।
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