शहर,व्यापर और शिल्प Social Science Class 7th Chapter-4 Ncer solution t

शहर,व्यापर और शिल्प Social Science Class 7th Chapter-6 Ncert solution

शहर,व्यापर और शिल्प


1.रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
(क) हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। 
(ख)राजराजेश्वर मंदिर का वास्तुकार कुंजरमल्लन राजराज पेरूथच्चन लथा। 
(ग) सूरत गुजरात का प्रमुख बंदरगाह था। 
(घ)अजमेर में मसूलीपट्टनम का मजार है। 
(ड०)भारत एवं चीन के साथ व्यापार ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती मार्ग द्वारा होता था।

2.सही कथन के आगे (√) का एवं गलत कथन के आगे (X) का चिन्ह लगाइए-
(क)तंजावूर मुगलों की राजधानी था।(X
(ख)कृष्णदेव राय हम्पी का शासक था।(
(ग)मुगल शासक अकबर ने गोलकुंडा पर अधिकार जमा लिया।(X
(घ)आंध्र तट का सबसे महत्वपूर्ण पत्तन सूरत है।(X

3.रेशम मार्ग क्या था? 
Ans-रेशम मार्ग का नाम चीन के रेशम के नाम पर पड़ा जिसका व्यापार इस मार्ग से होता था। यह मार्ग प्राचीन और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक-संस्कृतिक मार्गों का एक समूह था। जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका जुड़े हुए थे। इस मार्ग का चीन, भारत, मिस्र, ईरान, अरब और प्राचीन रोम की सभ्यताओं पर काफी असर पड़ा। व्यापार के अलावा ज्ञान, धर्म, संस्कृति, भाषाएं, विचारधाराएं भी फैली। भारत का व्यापार भी इस मार्ग से होता था। भारत मसाले, हाथी, दाँत, कपड़े, काली मिर्च और कीमती पत्थर चीन को भेजता था। चीन से रेशम, चाय और चीनी मिट्टी के बर्तन भारत लाये जाते थे। रोम से सोना-चाँद शीशे की वस्तुएं, शराब, कालीन और गहने आते थे। रेशम मार्ग का जमीनी हिस्सा 6500 किमी लम्बा था। 

4.हम्पी क्यों प्रसिध्द था। 
Ans-हम्पी इसलिए प्रसिध्द क्योंकि हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। हरिहार एवं बुक्का नामक दो भाइयों के द्वारा विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में की गई। कृष्णदेव राय के शासन काल हम्पी अपनी समृध्दि की चरम सीमा पर थी। यह स्थापत्य कला, व्यापार आदि के लिए प्रसिध्द थी। 

5.सूरत को मक्का का प्रवेश द्वार क्यों जाता था? 
Ans-सूरत गुजरात का एक मुख्य बंदरगाह था। मुगलकाल में सूरत गुजरात में पश्चिमी व्यापार का वाणीज्य-केंद्र बन गया था। यहाँ से हॉरमुज की खाड़ी से होकर पश्चमी एशिया के साथ व्यापार करना आसान था। मक्का जाने वाले बहुत से हजयात्री सूरत बंदरगाह से प्रस्थान करते थे इसलिए सूरत को मक्का का प्रस्थान द्वार भी कहा जाता था। 

6.मसूलीपट्टनम को स्मृध्द बनाने में योगदान देने वाले समूहों की एक सूची तैयार कीजिए। 
Ans-शहर को घमी आबादी और समृध्दशाली बनाने में गोलकुंडा के कुलीन वर्गों, तेलगु, कोमटी, चेट्टियार और यूरोपीय व्यापारियों तथा फ़ारसी सौदागरों का अहम योगदान था। 

आइए चर्चा करें:-

7.मध्यकाल में नगरों का विकास किस प्रकार हुआ? 
Ans-मध्यकाल में विभिन्न स्थानों पर कई मंदिरें बनवाए गए थे। कालांतर में इनमें से कुछ स्थान नगरों में परिवर्तित हुए, जिन्हें मंदिर नगर कहा जाने लगा। मंदिर अकसर समाज और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए ही अत्यन्त महत्वपूर्ण होते थे। मध्यकाल में प्राय: समुद्र के रास्ते व्यापार रहा था। जिसमें मसूलीपट्टनम एवं सूरत जैसे बंदरगाहों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। कालांतर में ये नगर के रूप में विकसित हुए। इन्हें पत्तन नगर कहा जाने लगा। कुछ शहर बड़े व्यापारिक शहरों के रूप में विकसित हुआ। 

8.हम्पी की वास्तुकारिता आज की वास्तुकारिता से किस प्रकार भिन्न है? 
Ans-हम्पी की किलेबंदी उच्च कोटि की थी। किले की दीवारों को शिलाखंडो को आपस में फँसाकर बनाया गया था। इसमें गारे-चूने जैसे किसी भी जोड़ने वाले मसाले का प्रयोग नहीं किया गया था। हम्पी की वास्तुकला विशिष्ट प्रकार की थी। वहाँ भव्य मेहराब और गुंबद से युक्त शाही भवनों का निर्माण होता था। वहाँ स्तंभों वाले कोई विशाल कक्ष बने थे। जिनमें मूर्तियों को रखने के लिए स्थान होते थे। यहाँ कोई सुंदर मंदिर बनवाए गए थे। विरूपाक्ष मंदिर एवं विट्ठलस्वामी मंदिर यहाँ की तत्कालीन वास्तुकारिता के अनुपम उदाहरण हैं। हम्पी में विट्ठलस्वामी मंदिर सबसे ऊँचा है। मंदिर का भीतरी भाग काफी लंबा है। और इसके बीच में ऊँची वेदिका बनी है। 

9.यूरोपीय कंपनियाँ बंदरगाहों पर नियंत्रण करने का प्रयास क्यों करते थे? 
Ans-ब्रिटिश, डच और फ्रांसीसी आदि यूरोपीय कंपनियाँ का अधिकांश व्यापार मसूलीपट्टनम बंदरगाह से होता था। हॉलैंड-और इंग्लैंड की व्यापारिक कंपनियों ने आंध्र तट के सबसे महत्वपूर्ण पत्तन मसूलीपट्टनम पर नियंत्रण प्राप्त करने का प्रयास किया। हॉलैंडवासियों) (डचों) ने यहाँ एक किला का निर्माण करवाया था, जिसे मसूलीपट्टनम का किला का निर्माण करवाया था, जिसे मसूलीपट्टनम का किला का निर्माण करवाया था, जिसे मसूलीपट्टनम का किला कहा जाता है। अंग्रेज इतिहासकार ओविगटन ने 1689 में सूरत बंदरगाह का वर्णन करते हुए भिन्न-भिन्न देशों के औसतन एक सौ जहाज इस बंदरगाह पर लंगर डाले हुए खड़े देखे जा सकते थे। 

10.देवघर का विकास मंदिर नगर के रूप में कैसे हुआ। 
Ans-पौराणिक मान्यता है कि रावण के द्वारा यहाँ इस शिवलिंग को लाया गया था। अत: यह रावणेश्वर वैधनाथ के नाम से भी प्रसिध्द है। राजा पूरणमल ने 1514-15 ई. में बाबा बैधनाथ मंदिर का निर्माण करावा था। मुगलकालीन कृत खुलासती-ए-तवारीख में इस मंदिर की चर्चा की गयी है। भारी संख्या में श्रध्दालुओं के आगमन के कारण पूजा सामग्री एवं अन्य आवश्यकताओं के मद्देनजर शहर की पूरी अर्थव्यवस्था इसी मंदिर से जुड़ गई। धीरे-धीरे देवघर की आबादी में बढ़ोत्तरी होती गई और यह एक मंदिर नगर के रूप में विकसित हो गया। 

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