अशोक का शस्त्र त्याग Class 8 Hindi Chapter 6 Ncert Question answer
वस्तुनिष्ट प्रश्न
1.उपरोक्त पंक्तियों के लेखक कौन हैं?
(A)ज्ञानरंजन
(B)बंशीधर श्रीवास्तव√
(C)प्रेमचन्द
(D)रामचन्द्र शुक्ल
2.उपरोक्त पंक्तियाँ कहाँ से उध्दधृत है?
(A)अशोक का शस्त्र-त्याग√
(B)डायन
(C)अमरुद का पेड़
(D)मित्रता
3.यह हिंदी साहित्य की कौन-सी विधा है?
(A)कविता
(B)कहानी
(C)नाटक√
(D)निबंध
4.कौन आज भी जीता नहीं जा सकता है?
(A)बर्मा
(B)नेपाल
(C)कलिंग√
(D)चीन
5.दोनों ओर के कितने लोग मारे गए?
(A)लाखों√
(B)हजारों
(C)करोड़ों
(D)इनमे से कोई नहीं
6.किसने समाचार लाया कि कलिंग के महाराजा लड़ाई में मारे गए?
(A)गुप्तचर√
(B)संवाददातां
(C)द्वारपा
(D)इनमें से कोई नहीं
7.लड़ाई में कौन मारे गए?
(A)कलिंग का सिपाही
(B)कलिंग का महाराज√
(C)कलिंग का सेवक
(D)इनमें से कोई नहीं
8."कलिंग-दुर्ग के फाटक आज भी बंद है।" किसने कहा?
(A)संवाददाता√
(B)सेवक
(C)द्वारपा
(D)इनमें से कोई नहीं
9."मगध की विजय हुई है!" यह किसने कहा?
(A)अशोक ने√
(B)संवाददाता ने
(C)गुप्तचर ने
(D)इनमें से कोई नहीं
10.'जीत शब्द का विलोम है-
(A)हार√
(B)पराजय
(C)नष्ट होना
(D)इनमें कोई नहीं
अभ्यास प्रश्न
(Q)1.सम्राट अशोक क्यों चिंतित थे?
Ans-सम्राट अशोक इसलिए चिंतित थे कि चार वर्षों के युध्द के उपरांत भी कलिंग जीता नहीं जा सका था। दोनों ओर के लाखों आदमी के मारे जाने और लाखों के घायल होने पर भी कलिंग आज तक अजेय था।
(Q)2.पद्मा अपनी सेना को युध्द-भूमि में क्या प्रण करने को कहती है?
Ans-कलिंग महाराज की कन्या पद्मा सेना को प्रण करने के लिए कहती हैं कि जाननी जन्मभूमि को पराधीन होते देखने के पहले तुम सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर लोगी।
(Q)3.पद्मा की युद्ध करने की चुनोती को स्वीकार न करना अशोक के चरित्र की किस विशेषता को प्रकट करता है?
Ans-पद्मा की युद्ध करने की चुनौती को स्वीकार न करना अशोक का स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना और उसके चरित्र की दृढ़ता को प्रकट करता है।
(Q)4.पद्मा ने अशोक को क्यों जीवित छोड़ दिया?
Ans-पद्मा ने आशिक को जीवित छोड़ दिया क्योंकि सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तित हो चुका था, उन्होंने हिंसा का मार्ग त्यागते हुए कभी हथियार न उठाने और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा कर ली थी।
(Q)5.पद्मा और अशोक के बीच हुए संवादों के परिणामस्वरूप अशोक के विचारों में क्या परिवर्तन आया?
Ans-कलिंग की राजकुमारी पद्मा और सम्राट अशोक के बीच हुए संवादों के परिणामस्वरूप अशोक के विचार में अभुतपूर्ण परिवर्तन आया। उसका हृदय द्रवित हो गया। सम्राट अशोक ने अब हिंसा का विचार त्याग दिया, कभी हथियार न उठाने की कठिन प्रतिज्ञा ली और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए प्रा की भलाई, सब प्राणियों को सुख और शांति पहुंचाने और अब धर्मों का समान दृष्टि से देखने की शपथ लेते हुए बौद्ध-धर्म अपना लिया।
अशोक का शस्त्र-त्याग एक महत्वपूर्ण घटना है जो यह सिखाती है कि सच्ची विजय हिंसा से नहीं, बल्कि अहिंसा, दया, और करुणा से होती है। अशोक का जीवन और उनकी नीतियाँ हमें नैतिकता और मानवीयता का महत्व सिखाती हैं। उनके द्वारा स्थापित आदर्श और मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं और हमें एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं।
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