मित्रता Jharkhand Board Class 8 Hindi Chapter 3 Ncert Solution

मित्रता Jharkhand Board Class 8 Hindi Chapter 3 Ncert Solution

मित्रता

मित्रता Jharkhand Board Class 8 Hindi Chapter 3 Ncert Solution

वस्तुनिष्ट प्रश्न—

1.उपरोक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गयाहै? 
(a)अपराजिता 
(b)छोटा जादूगर
(c)मित्रता
(d)अमरुद का पेड़

2.प्रस्तुत गद्यांश के रचियता कौन है? 
(a)आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(b)जयशंकर प्रसाद
(c)शिवानी
(d)ज्ञानरंजन

3.प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी साहित्य की कौन-सी विषहे? 
(a)कहानी
(b)वयंग्य
(c)कविता 
(d)निबंध

4.युवा बाहरी संसार में अपनी क्या जमाता है? 
(a)परिस्थिति
(b)स्थिति
(c)घर
(d)संसार

5.'हेल-मेल' प्रस्तुत गद्यांश में किस प्रकार का शब्द है? 
(a)विलोम शब्द
(b)समानार्थी शब्द
(c)शब्द युग्म
(d)तत्सक शब्द

6.संगति का कैसा प्रभाव हमारे आचरण पर पड़ता है? 
(a)बुरा
(b)गुप्त
(c)समान
(d)इनमें से कोई नहीं

7.हमलोग कैसी मिट्टी की मूर्ति के समान रहते हैं? 
(a)पकी
(b)कच्ची
(c)कोमल
(d)लाल 

8.युवा पुरुषों के जीवन की सफलता निर्भर होती होती है-
(a)मित्रों के चुनाव पर
(b)मेहनत पर
(c)व्यक्ति की अहंकार पर 
(d)इनमें से कोई नहीं

9.युवावस्था में हमारे भाव कैसे होते हैं? 
(a)परिमार्जित
(b)अपरिमार्जित
(c)कोमल 
(d)इनमें से कोई नहीं

10.'देवता' शब्द का विलोम है-
(a)राक्षस
(b)दानव
(c)पशु
(d)इनमें से कोई नहीं

अभ्यास प्रश्न—

1.आप किस प्रकार से कह सकते हैं कि मित्रों के चुनाव की उपयुक्त पर हमारे जीवन की सफलता निर्भर करती है?
Ans-मित्रों के चुनाव की उपयुक्तता पर हमारे जीवन की सफलता निर्भर करती है क्योंकि संगीत का गुप्त प्रभाव हजारे आचरण पर पड़ता है और यदि हमें अच्छी संगति, अच्छे मित्र मिलते हैं तो वे हमें सफलता की ओर ले जाते हैं जबकि बुरी संगति हमारे जीवन का खाक में मिला देती है। 

2.'विश्वसपात्र मित्र जीवन की एक औषध है।' आशय स्पष्ट करें। 
Ans-विश्वसपात्र मित्र जीवन की एक औषध है-ऐसा इसलिए कहा गया है कि यदि हमें विश्ववासी मित्र मिल गया तो हम अपने जीवन में चाहे जैसा भी कदम उठाएँ, उस कदम की आलोचना करके वह हमें सही दिशा की ओर उन्मुख करेगा। हम अपनी गलती रूपी बीमारी को उसकी आलोचना रूपी औषधि से दूर कर सकेंगे। 

3.मित्र का चुनाव करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 
Ans-मित्र का चुनाव करते समय हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए? 
(i)हमारे अच्छे विचारों (संकल्प) को दृढ़ करनेवाला हो, 
(ii)हमें दोषों और त्रुटियों से बचाए। 
(iii)हमारे सत्य पवित्रता और मर्यादा के प्रति प्रेम को पुष्ट करें, 
(iv)जब हम कुमार्ग पर पैर रखें, तब वह हमें सचेत करे, 
(v)जब हम जीवन मार्ग में हतोत्साहित हों, तब हमें उत्साहित करें,
(vi)वह बुध्दिमान हो और हमारे आनंद में सम्मिलित हो,
(vii)हमें कर्त्तव्य पक्ष की और अग्रसर करनेवाला है। 

4.सच्ची मित्रता में उत्तम वैद्य की-सी निपुणता और परख होती है, अच्छी-से-अच्छी माता का-सा धैर्य और कोमलता होती है। इस पंक्ति के आधार पर अच्छे मित्र की विशेताओं का वर्णन करें। 
Ans-इस पंक्ति में एक अच्छे मित्र को वैद्य की सी निपुणता और परखावाला से जान लेता है और रोग की प्राकृति और संक्रामकता के अनुसार इलाज करता है। इलाज में चाहे उसे कड़वी दवा देनी हो तब भी नहीं हिचकता, उसी प्रकार मित्र को भी कठोर निर्णय लेने में नहीं हिचकना चाहिए और अपनी आलोचना रूपी दवा से मित्र का भला करना चाहिए। मित्र में माँ जैसा धैर्य होना चाहिए ताकि वह धैर्यपूर्वक मित्र को सच्चे मार्ग की ओर उन्मुख कर सके। मित्र में कोमलता भी होनी चाहिए, क्योंकि कोमल स्वभाववाला ही किसी के दुःख को दूर कर सकता है। 

5.हमारा विवेक कुंठित न हो, इसके लिए हमें क्या-क्या प्रयास करना चाहिए? 
Ans-हमारा विवेक कुंठित न हो, इसके लिए हमें सर्वप्रथम बुरे लोगों से मित्रता नहीं करनी चाहिए; जो अश्लील, अपवित्र और फूहड़ बातों से हमें हँसाना चाहे। क्योंकि ऐसी बातों को यदि हम आरंभ में एक सामान्य बात समझ लें तो धीरे-धीरे उन बुरी बातों में अभ्यस्त होते-होते हमारी घृणा कम हो जाएगी, जिससे हमारा विवेक कुंठित हो जाएगा और हमें भले-बुरे की पहचान न रह जाएगी। अत: हमें बुरी संगति से बचना चाहिए। 

6.लेखक ने युवा पुरुष के लिए कुसंगति और अच्छी संगीत को किस-किस के सामने माना हैं? उसने ऐसा क्यों माना है? 
Ans-लेखक ने युवा पुरुष के लिए कुसंगति को पैरों में बँधी चक्की के समान तथा अच्छी संगति को सहारा देनेवाली बाहु के समान माना है। लेखक ने युवा पुरुष के लिए कुसंगति को पैरों में बँधी चक्की के समान इसलिए माना जाता है कि जिस प्रकार पैरों में बँधी चक्की व्यक्ति को निरंतर गड्ढे या नीचे की ओर ले जाती है, उसी प्रकार कुसंगति भी व्यक्ति को अवनति के गड्ढे या गर्त में गिराती जाती है। वहीं, अच्छी संगीत व्यक्ति को सहारा देने वाली बाहु के समान होती है जो निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर करती है। 

7.आप किस तरह के लोगों से मित्रता करना चाहेंगे? कारण सहित लिखें। 
Ans-हम उत्तम संकल्पों से युक्त एवं दृढ़ लोगों से मित्रता करना चाहेंगे, जो हमें दोषों और त्रुटियों से हमें बचाएँगे। हमारे सत्य पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे। जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे तब वे हमें सचेत करेंगे। जब हम हतोत्साति होंगे, तब में उत्साहित करेंगे। तात्पर्य यह है कि हम उस तरह के लोगों से मित्रता करना चाहेंगे जो हमें उत्तमता पुर्कक जीवन निर्वाह करने में हर तरह से सहायता देंग। 

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