NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Antra) Chapter 4–Gunge Questions/Answer
1.गूँगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय किस प्रकार दिया?
Ans-गूँगे ने संकेत के माध्यम से बताया कि वह स्वाभिमानी है। गूँगे अपने सीने पर हाथ रखकर संकेत के माध्यम से यह कहता है कि आज तक उसने किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया है। उसने कभी भी भीख नहीं माँगी है। वह अपनी भुजाओं को दिखाते हुए संकेत करता है कि उसने मेहनत करके खाया है। उसने पेट बजाकर यह भी बताया कि उसने यह सब अपने पेट के लिए किया है।
2.‘मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया है।’ कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
Ans-यह कथन दर्शाता है कि मानवता की करुणा और सहानुभूति की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया होती है, जिसे वह अपने कार्यों और विचारों में प्रकट करता है। आज के समय में, जब समाज तेजी से बदल रहा है और लोग तकनीकी और आर्थिक विकास की ओर बढ़ रहे हैं, व्यक्तिगत संबंधों में कमी आ सकती है। इससे व्यक्ति के भीतर की भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, और ऐसे में उनकी करुणा और सहानुभूति की भावना भी दब सकती है।
हालांकि, इस समाजिक परिवेश में भी ऐसे कई उदाहरण हो सकते हैं जहाँ लोग अपने समय और संसाधनों का प्रयोग करके दूसरों की मदद करने का प्रयास कर रहे हैं। आजकल के युवा पीढ़ी भी सामाजिक सुधार और सहायता कार्यों में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए सक्रिय हैं, जिससे उनकी करुणा और सहानुभूति की भावना प्रकट होती है।
इस प्रकार, वर्तमान समाज में कुछ लोग भीतरी गूँगेपन के बावजूद भी करुणा और सहानुभूति की भावना को अपने कार्यों और समाज सेवा में प्रकट करते हैं।
3.‘नाली का कीड़ा! ‘एक छत उठाकर सिर पर रख दी’ फिर भी मन नहीं भरा।’–चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है?
Ans-चमेली ने दया करके गूँगे को अपने पास रख लिया था।गूँगे चमेली के छोटे-मोटे काम करता था और गूँगे का स्वभाव था कि काम करते करते वह कुछ समय के लिए चला जाता और फिर वापस आ जाता था। एक दिन जब गूँगा चमेली को बिना बताए भाग गया, तब चमेली यह कथन कहती है।उसे लगता है कि गूँगा नाली के कीड़े के समान है, उसे जितना भी बेहतर जीवन दे दो मगर वह गंदगी को ही पसंद करेगा। चमेली के इस कथन से पता चलता है कि वह गूँगे जैसे लोगों के प्रति क्या सोच रखती है। वह उसे कीड़े के समान समझती है।
4.यदि बसंता गूँगा होता तो आपकी दृष्टि में चमेली का व्यवहार उसके प्रति कैसा होता?
Ans-यदि बसंता गूँगा होता तो चमेली उसके प्रति ममता और सहानुभूति का व्यवहार करती क्योंकि बसंता चमेली का अपना बेटा होता। वह उसे मूक-बधिरों के विद्यालय में पढ़ाती।उसे सक्षम बनाती और उसके संकेतों को समझने का प्रयास करती।
5.‘उसकी आँखों में पानी भरा था। जैसे उनमें एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।’ क्यों?
Ans-गूँगा चमेली को अपने माँ के समान ही समझने लगा था। आरंभ में गूँगा को चमेली में उसे ममतामयी माँ का रूप दिखा था।पर गूँगा को चमेली के साथ रहते हुए उसे अब ये अहसास होने लगा था कि चमेली के लिए वह कुछ नहीं है। जब चमेली के बेटे बसंता ने एक दिन गूँगा पर चोरी का झूठा आरोप लगाया, तो उससे यह सहा नहीं गया। गूँगा को यह उम्मीद था कि चमेली उसका पक्ष लेगी।पर चमेली ने गूँगे के स्थान पर अपने बेटे का पक्ष लिया। गूँगे को यह बात बहुत बुरी लगी। चमेली के इस दुर्व्यवहार को देख कर वह बहुत दुखी हुआ और उसकी आँखों में पानी भी भर गया। जैसे उसमें एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।
6.‘गूँगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता था’–सिद्ध कीजिए।
Ans-‘गूँग’ कहानी में दया, ममता और सहानुभूति के पात्र के रूप में चित्रित हुआ है।गूँगा को अपने अधिकारों की परवाह है, और वह चाहता है कि उसके अधिकारों का पालन किया जाए बिना किसी प्रकार की दया या सहानुभूति के बिना। गूँगा की दृष्टि में उसके अधिकार सबसे महत्वपूर्ण हैं और उसे उसका सम्मान मिलना चाहिए, चाहे दूसरों के प्रति उसकी दया और सहानुभूति हो या न हो। वह नही चाहता की लोग उस पर दया करें क्योंकि वह स्वाभिमानी हैं।
7.‘गूँगे’ कहानी पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न होते हैं और क्यों?
Ans-मुझे 'गूँगे' कहानी पढ़कर सहानुभूति और प्रेरणा का अहसास होता है। इस कहानी में एक गूँगे लड़के की मेहनत, संघर्ष, और संघर्षों को पार करने की प्रेरणा की गई है, गूँगे लड़के की मेहनत करके खाने की आदत पर गर्व होता है कि गूँगा होते हुए भी वह किसी के सामने अपने हाथ नहीं फैलाता है। जो मुझे सिखाती है कि विरोधाभासी परिस्थितियों में भी संघर्ष करने और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध रहना महत्वपूर्ण है।
8.कहानी का शीर्षक ‘गूँगे’ है, जबकि कहानी में एक ही गूँगा पात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है?
Ans-कहानी 'गूँगे' के माध्यम से लेखक ने समाज में सहानुभूति, साहित्यिकता, और मानवता की प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है। गूँगे बच्चे की कठिनाईयों के बावजूद, वह अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध रहता है और अपनी मेहनत और संघर्ष के माध्यम से समाज में सहायक बनता है। इससे सामाजिक समृद्धि की प्रमुख प्रवृत्तियों को दिखाने का प्रयास किया गया है।
9.यदि ‘स्किल इंडिया’ जैसा कोई कार्यक्रम होता तो क्या गूँगे को दया या सहानुभूति का पात्र बनना पड़ता?
Ans-'स्किल इंडिया' जैसे किसी कार्यक्रम के तहत, गूँगे को सहानुभूति का पात्र बनने के अच्छे अवसर मिल सकते। इस प्रकार के कार्यक्रम उन्हें उनकी कौशल और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करने का मौका देते और समाज में उनके प्रति सहानुभूति और समर्थन की भावना उत्पन्न कर सकते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम से गूँगे के प्रति समाज में सजगता और समर्थन बढ़ सकते हैं, जिससे उनका समाज में समावेश और समानता महत्वपूर्ण हो सकता है।
गूँगे Class 11 Antra Chapter 4 Question Answer NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 4–Gunge
10.निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए–
(क)करुणा ने सबको.........जी जान से लड़ रहा हो।
प्रसंग-इस पंक्ति में, लेखक रांगेय राघव द्वारा रचित रचना 'गूँगे' से ली गई है।
व्याख्या-चमेली की गली में एक बालक आ धमकता है।जो गूँगा है। वह गली की औरतों को अपनी आपबीती संकेतों के माध्यम से बताता है।उसकी कोशिश देखकर लोगों को करुणा हो आती है। गूँगा अपनी व्यथा संकेतों के माध्यम से समझाने की कोशिश करता है, पर बिना शब्दों के अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाता हैं।लेखक ने इस पंक्ति में गूँगे की भावनाओं और अनुभवों को प्रकट किया है।इससे व्यक्ति की सहायता करने का संदेश मिलता है कि हमें दूसरों को समझने की कोशिश करनी चाहिए, चाहे वे शब्दों के माध्यम से या अन्य तरीकों से व्यक्त करें। इस रचना के माध्यम से लेखक ने व्यक्ति के भावनाओं की महत्वपूर्णता को स्वीकार किया है और हमें उन्हें समझने और समर्थन प्रदान करने की आवश्यकता बताई है।
(ख)वह लौटकर चूल्हे पर.........आदमी गुलाम हो जाता है।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। यह पंक्तियाँ एक गूँगे व्यक्ति के दर्दनाक अनुभवों को दर्शाती हैं।
व्याख्या-चमेली खाना बनाने के लिए लौट आती है। पर वह वह मन ही मन गूँगे की स्थिति के बारे में सोच रही होती है। उसका ध्यान चूल्हे की आग पर जाता है।और वह उस आग को देख कर सोचती है कि इस आग के कारण ही पेट की भूख मिटाने के लिए खाना बनाया जाता है। यही खाना उस आग को समाप्त करता है, जो पेट में भूख के रूप में विद्यमान है।इसी भूख रूपी आग के कारण एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी स्वीकार करता है। यदि यह आग न हो, तो एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी कभी स्वीकार न करे। यही आग एक मनुष्य की कमज़ोरी बन उसे झुका देती है।यह पंक्तियाँ एक गूँगे व्यक्ति के दर्दनाक अनुभवों को दर्शाती हैं।और उसकी स्थिति को चित्रित करती है।कोई व्यक्ति अपनी असमर्थता के कारण चूल्हे पर वापस लौटता है, तो उसे समाज में उचित मान्यता नहीं मिलती है और वह गुलामी की स्थिति में आ जाता है।
(ग)और फिर कौन.........ज़िंदगी बिताए।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है।
व्याख्या-चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही।जब वह उसके किसी भी बात का जवाब नहीं दे पाता है, तो वह सोचती है कि यह मेरा अपना नहीं है। अतः मुझे इसके बारे में इतना सोचने की आवश्यकता नहीं है। यदि उसे हमारे साथ रहना है, तो उसे हमारे अनुसार रहना पड़ेगा। इस तरह सोचकर चमेली सोचती है कि नहीं तो उसके कुत्तों के समान दूसरा का झूठा खाकर ही जीवनयापन करना पड़ेगा।यह पंक्ति गूँगों की असमर्थता और उसकी सांस्कृतिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है। गूँगे, जिनके वाक्यातीत व्यक्तिगत अधिकार होते हैं, समाज में भाग लेने और अपने भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं। इस पंक्ति के माध्यम से, रांगेय राघव ने गूँगों के अनुभवों को उजागर किया है जिनका समाज में अलग दर्जा होता है और उनकी विशेषता को समझाया है।
(घ)और ये गूँगे.........क्योंकि वे असमर्थ हैं?
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है।
व्याख्या-चमेली गूँगे के बारे सोची है कि इस प्रकार के गूँगे पूरे संसार में विद्यमान हैं। ये अपनी बात कहने में असमर्थ हैं। इनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है परन्तु अपनी लाचारी के कारण कह नहीं पाते हैं। इनके पास बोलने की शक्ति ही नहीं है। ये न्याय तथा अन्याय के मध्य भेद सरलता से कर सकते हैं क्योंकि इनका ह्दय इस विषय में सोचने-समझने में सक्षम है। ये भी अपने साथ हिंसा करने वाले को जवाब देने की इच्छा और क्षमता रखते हैं। परन्तु उस हिंसा का विरोध नहीं कर सकते हैं। कारण इनके पास आवाज़ नहीं है। जो है, उसका कोई अर्थ नहीं निकलता है। आज यदि देखा जाए, तो समाज में इनके अतिरिक्त और भी गूँगे हैं। वे जीवनभर शोषण गूँगों के समान झेलते रहते हैं, उसका विरोध नहीं करते।
11.निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए–
(क) कैसी यातना है कि वह अपने हृदय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल नहीं पाता।
Ans-चमेली सोचती है कि गूँगे के लिए यह कितना कष्ट से भरा है। गूँगे अपने मानसिक और भावनात्मक दुखदायक स्थिति का वर्णन कर रहा हैं, जिसमें उसकी आत्मा में गहरी यातना और विकलांगता की भावना है, लेकिन वह इसे बयां नहीं कर पा रहा है।
(ख)जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा।
Ans-चमेली गूँगे से अपने प्रश्न का उत्तर माँगती है लेकिन वह कुछ नहीं बोलता है। गूँगा होने के कारण वह अपनी व्यक्तिगत राय या विचार नहीं केह पाता जैसे कि मंदिर की मूर्ति भी किसी प्रश्न का उत्तर नहीं देती, ठीक इसी प्रकार गूँगे की स्थिति है जैसे मंदीर में रखी मूर्ति। गूँगे को कुछ भी केह लो वह कुछ नहीं कहता क्योंकि उसे कुछ सुनाई नहीं देता है।
गूँगे Class 11 Antra Chapter 4 Question Answer NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 4–Gunge
योग्यता-विस्तार
1.समाज मेेें दिव्यांगों के लिए होने वाले प्रयासों में आप कैसे सहयोग कर सकते हैं?
Ans-समाज में दिव्यांगों के लिए होने वाले प्रयासों में निम्नलिखित तरीकों से सहायता कर सकता हूँ।
1.गरूकता फैलाना: मैं समाज में दिव्यांगों के अधिक समझे जाने की जागरूकता फैलाने में मदद कर सकता हूं, जैसे कि उनकी समस्याओं के बारे में लोगों को शिक्षित करने के माध्यम से।
2.सामाजिक समर्थन:मैं दिव्यांग व्यक्तियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने और उन्हें समाज में शामिल होने के लिए सामाजिक समर्थन प्रदान करने में मदद कर सकता हूं।
3.शिक्षा और प्रशिक्षण:मैं उन दिव्यांग व्यक्तियों को शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता हूं ताकि वे अपने कौशलों को विकसित कर सकें।
4.समर्थन प्रोग्रामों का प्रचार:मैं समर्थन प्रोग्रामों की जानकारी देने और उन्हें उनके उद्देश्यों के प्रति प्रेरित करने में मदद कर सकता हूं, ताकि वे समाज में अधिक सक्रिय भागीदारी कर सकें।
5.तकनीकी समर्थन:मैं दिव्यांग व्यक्तियों को तकनीकी समर्थन प्रदान कर सकता हूं, जैसे कि तकनीकी उपकरणों और सहायकों के बारे में जानकारी प्रदान करके।
6.माज में शामिलता की प्रोत्साहना: मैं दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में उनकी शामिलता की प्रोत्साहना देने और उन्हें समाज में समानता का अहसास कराने में मदद कर सकता हूं।
ये कुछ तरीके हैं जिनसे मैं समाज में दिव्यांगों के लिए होने वाले प्रयासों में सहयोग कर सकता हूं।
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