NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Antra) Chapter 5 ज्योतिबा फुले Questions/Answer
(ख) उनके बाहर निकलने पर लोगों द्वारा उनको गालियाँ दी जातीं, उन पर थूका जाता तथा उन पर गोबर फैंका जाता।
(ग) उनके सामाजिक कार्यों को रोकने के लिए अनेक प्रकार के रोड़े अटकाए गए।
3.ज्योतिबा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार क्या आपके विचारों के आदर्श परिवार से मेल खाता है? पक्ष-विपक्ष में अपने उत्तर दीजिए।
Ans-ज्योतिबा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता था। इस परिवार में समानता, समझदारी और सहानुभूति के गुण महत्वपूर्ण थे। यहाँ शिक्षा का महत्व भी प्राथमिक था। मेरे विचारों के अनुसार, यह आदर्श परिवार सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत होना चाहिए, जिसमें सभी अपने विचारों और योगदान से समृद्धि का संरचना कर सकते हैं।
शोषण-व्यवस्था ने विभिन्न षड्यंत्र रचे ताकि निर्वस्त्र, निर्धन और असमर्थ लोगों को उनके अधिकार से वंचित किया जा सके। यह व्यवस्था निश्चित ग्रुपों को सामाजिक और आर्थिक शक्तियाँ प्रदान करने का उद्देश्य रखती थी, जो कि आम जनता को दास बनाने में सहायक होते थे।
4.स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए ज्योतिबा फुले के अनुसार क्या-क्या होना चाहिए?
(क)स्त्रियों को पुरुषों के समान जीवन जीने का अधिकार तथा स्वतंत्रतापूर्वक रहने का अधिकार देना चाहिए।
5.सावित्री बाई के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किस प्रकार आए? क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
Ans-सावित्री बाई के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन उनके विवाह के बाद आए-
(क)उनके पति ने सबसे पहले उन्हें पढ़ाना आरंभ किया। इसके लिए उनके पति ज्योतिबा फुले ने मराठी तथा अंग्रेज़ी भाषाओं की शिक्षा दी।
(ख)उसके पश्चात उन्होंने अपने साथ लाई पुस्तक को पढ़ा।
(ग)अपने पति के साथ उन्होंने पहले कन्या विद्यालय की स्थापना की।
(घ)विद्यालय खोलने के कारण उन्हें सास तथा ससुर ने घर से निकाल दिया।
(ङ)इसके बाद तो उन्होंने शुद्र जाति के लोगों के लिए निडर होकर कार्य करना आरंभ कर दिया।
6.ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से प्रेरित होकर आप समाज में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
Ans-ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से प्रेरित होकर, मैं समाज में निम्नलिखित परिवर्तन करना चाहता हूँ:
(i).शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता:शिक्षा को सभी के लिए उपलब्ध और समर्पित बनाना। गरीब और पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए उचित शिक्षा के अवसर सुनिश्चित करना।
(ii).महिलाओं की आत्मनिर्भरता:महिलाओं को उद्यमिता, कौशल, और आत्मनिर्भरता की दिशा में मार्गदर्शन करना। उन्हें स्वयं के रोल में मजबूत होने के लिए समर्थन प्रदान करना।
(iii).सामाजिक समानता:जाति, धर्म, लिंग, और जेंडर के आधार पर विभेद के खिलाफ लड़ना और समाज में सामाजिक समानता को प्रमोट करना।
(iv).गरीबी की मुक्ति:गरीबी को कम करने के उपायों को समझना और उन्हें आवश्यक संसाधनों और योजनाओं से लाभान्वित करना।
(v).जागरूकता और संवेदना:समाज में जागरूकता फैलाना, ताकि लोग न्याय, इंसाफ, और सामाजिक सुधार के प्रति संवेदनशील हो सकें।
(vi).व्यावसायिक शिक्षा:व्यावसायिक शिक्षा को महत्वपूर्ण बनाना, ताकि लोग नए और विकल्पिक कौशल सीख सकें और रोजगार के नए माध्यम खोज सकें।
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई की तरह, ये परिवर्तन समाज में समानता, न्याय, और उत्कृष्टता की दिशा में मदद कर सकते हैं।
(vii).उनका दांपत्य जीवन किस प्रकार आधुनिक दंपतियों को प्रेरणा प्रदान करता है?
(viii).फुले दंपति ने स्त्री समस्या के लिए जो कदम उठाया था, क्या उसी का अगला चरण ‘बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम है?
9.निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए –
(क)सच का सबेरा होते ही वेद डूब गए, विद्या शूद्रों के घर चली गई, भू-देव (ब्राह्मण) शरमा गए।
(ख)इस शोषण-व्यवस्था के खिलाफ़ दलितों के अलावा स्त्रियों को भी आंदोलन करना चाहिए।
(क)ज्योतिबा फुले कहते हैं कि जबसे शूद्र जाति वाले लोगों ने शिक्षा के महत्व को समझकर शिक्षा ग्रहण करना आरंभ किया है, तबसे ब्राह्मण समाज का अंत आ गया है। वेदों के नाम पर इन्होंने समाज के अन्य लोगों को दबाकर रखा। लेकिन आज स्थिति बदल गई है। अब वेदों का महत्व समाप्त हो गए हैं। शूद्रों के पास ज्ञान की शक्ति देखकर ब्राह्मण समाज लज्जित हो गया है। जिसमें इतने वर्षों ने उन्होंने अपना अधिकार बनाए रखा था, अब वह उनका नहीं रहा है। शिक्षा का अधिकार सबके लिए है और अब सब उसका फायदा उठा रहे हैं।
(ख)ज्योतिबा फुले कहते हैं कि सदियों से ब्राह्मण समाज ने शूद्रों के साथ-साथ स्त्रियों का भी शोषण किया है। उन्होंने स्त्रियों को कभी सिर नहीं उठाने दिया। पत्नी धर्म के नाम पर उन्हें गुलाम बनाकर रखा। अतः शूद्रों के अतिरिक्त स्त्रियों को भी अपने अधिकारों के लिए ब्राह्मण समाज का विरोध करना चाहि। वे तभी अपने अधिकारों को पा सकेगीं।
10.निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए–
(क) स्वतंत्रता का अनुभव.............हर स्त्री की थी।
(ख) मुझे ‘महात्मा’ कहकर.............अलग न करें।
व्याख्या-विवाह के समय मंगलाष्टक बोले जाते हैं। पहले में स्त्री अपने पति से कहती है कि हम स्त्रियों की बचपन से स्वतंत्रता ले ली जाती है। मृत्यु तक इस गुलामी युक्त जीवन को स्त्रियाँ जीने के लिए विवश होती हैं।अतःतुम कसम खाओ कि मुझे मेरे अधिकार दोगे और अपने समान स्वतंत्रतापूर्वक जीने दोगे। अर्थात तुम्हें जिस प्रकार जीने का अधिकार है, वैसा ही अधिकार मुझे भी विवाह के बाद मिलेगा। लेखिका कहती है ज्योतिबा फुले ने जो कसम एक विवाहिता स्त्री के लिए तैयार की थी, वह हर स्त्री को चाहिए थी। क्योंकि वह भी गुलामी भरे जीवन से मुक्ति पाना चाहती थी।
व्याख्या-ज्योतिबा फुले के कार्य के लिए उन्हें महात्मा कहकर संबोधित किया गया था। उन्होंने तब कहा था कि मुझे इस प्रकार की पदवी न दें। इस प्रकार की पदवी पाकर मनुष्य अपनी दिशा से भटक जाता है। उसमें अहंकार आ जाता है और उसके कार्यों को विराम लग जाता है।अतःमुझे इस स्थिति से बचाएँ और अपने जैसा ही रहने दें। तभी मैं अपने कार्यों को सही प्रकार से कर पाऊँगा।
योग्यता-विस्तार
1.अपने आसपास के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं से बातचीत कर उसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
रिपोर्ट: सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका और महत्व:
सामाजिक कार्यकर्ताएं समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जो समाज के विभिन्न पहलुओं में सुधार करने में सहायक होती हैं। उनका काम समाज के वर्गमुखियों, दुर्बलों, बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सहायता करना होता है।
सामाजिक कार्यकर्ताएं जागरूकता फैलाने, समुदाय के सदस्यों को सामाजिक सेवाओं की जानकारी प्रदान करने और समस्याओं का समाधान ढूंढने में मदद करती हैं। उनका योगदान विभिन्न सरकारी योजनाओं की पहुँच और लाभार्थियों को उनके अधिकारों की जानकारी प्राप्त कराने में महत्वपूर्ण होता है।
सामाजिक कार्यकर्ताएं समाज में जातिवाद, लिंगानुचितता, गरीबी आदि जैसे मुद्दों के खिलाफ लड़ती हैं और समाज में समानता और न्याय की स्थापना में मदद करती हैं।
समाज में सुधार के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं की अहमियत अत्यधिक है, और उनका संघर्ष समाज को उन्नति की दिशा में प्रोत्साहित करता है।
2.क्या आज भी समाज में स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव किया जाता है? कक्षा में चर्चा कीजिए।
Ans-जी हां, आज भी कुछ स्थितियों में समाज में स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव दिख सकता है। यह भेदभाव विभिन्न रूपों में दिख सकता है, जैसे वेतन में, पदों में, शिक्षा में आदि। महिलाओं को समाज में अधिकार, स्वतंत्रता और समानता के लिए लड़ना पड़ सकता है। हालांकि, यह भी सच है कि समय के साथ स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव में सुधार हो रहा है और लोग उन्हें समान अवसर देने के पक्ष में आ रहे हैं। सामाजिक जागरूकता, कानूनी सुधार और शिक्षा के माध्यम से स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव को कम करने के प्रयास जारी हैं।
3.सावित्री बाई और महात्मा फुले ने समाज-हित के जो काम किए उनकी सूची बनाइए।
सावित्री बाई और महात्मा फुले ने समाज-हित के जो काम किए उनकी सूची इस प्रकार है-
(क) भारत के प्रथम कन्या विद्यालय की स्थापना की।
(ख) शूद्र बच्चों के पालन-पोषण का कार्य आरंभ किया।
(ग) सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
(घ) किसान स्कूल की स्थापना की।
(ङ) छूआछूत व्यवस्था को मिटाने का प्रयास किया।
(च) 1852 में महिला मण्डल की स्थापना की।
(छ) विधवा स्त्रियों के मूंडन को रोकने के लिए आंदोलन किया।
(ज) पहला बाल हत्या प्रतिबन्धक गृह खोला।
(झ) असहाय स्त्रियों के लिए पहला अनाथाश्रम खोला।
(ण) महाराष्ट्र का पहला अन्तरजातीय विवाह करवाकर समाज में अन्तरजातीय विवाह के लिए राहें खोलीं।
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