श्री मनसा देवी की आरती Shri Mansa Devi ki Aarati

श्री मनसा देवी की आरती Shri Mansa Devi ki Aarati


श्री मनसा देवी की आरती Shri Mansa Devi ki Aarati


माँ मनसा देवी की आरती में व्यक्त भक्ति और पूजन की भावना होती है। आरती में माँ मनसा की गुणगान होती है, जिनका समर्थन करते हुए उनके विभिन्न रूपों का स्मरण किया जाता है। माँ मनसा को प्रार्थना की जाती है कि वह भक्तों की इच्छाएं पूरी करें और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करें। इस आरती के माध्यम से भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं और माँ मनसा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


 *माँ मनसा देवी की आरती*

जय मनसा माता, मैया जय मनसा माता।

जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥ 

जरत्कारु मुनि पत्नि, तुम बासुक भगनी,

मैया तुम बासुक भगनी।

कश्यप की तुम कन्या, आस्तिक की माता,

मैया आस्तिक की माता॥

गर्व-धन्वन्तरी-नाशिनी, हंसवाहिनी देवी, 

मैया हंसवाहिनी देवी।

सुर-नर-मुनि-गण ध्यावत,

जय मनसा माता।

मैया जय मनसा माता॥

पर्वतवासिनी, संकटनाशिनी, अक्षय धनदात्री,

मैया अक्षय धनदात्री।

पुत्र-पौत्रादि प्रदायनी, मनवांछित फलदाता,

मैया मनवांछित फल दाता॥

मनसा जी की आरती जो कोई नर गाता,

मैया जो कोई नर गाता।

कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पाता,

मैया सब कुछ है पाता॥

*मनसा देवी के चमत्कारी मंत्र*
 मनसा देवी के चमत्कारी मंत्र का जाप –ॐ विप्रवर्गं श्र्वेत वर्णं सहस्र फ़ण संयुतम् |
आवाहयाम्यहं देवं शेषं वै विश्व रूपिणं ||
ऊँ शेषाये नमः शेषं अवह्यामि | ईशान्यां अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः |
यह मंत्र माँ मनसा देवी की पूजा और आराधना में उपयोग किया जाता है।
"ऊँ विप्रवर्गं श्वेतवर्णं सहस्र फण संयुतम्" इस भाग में, व्यक्ति द्वारा माँ मनसा की महिमा और दिव्यता की प्रशंसा की जाती है।
"आवाहयाम्यहं देवं शेषं वै विश्व रूपिणं" यह वाक्य द्वारा भक्त अपने मन में माँ मनसा को आमंत्रित करते हैं, जैसे कि वे अपने मन की एकाग्रता से माँ को प्रकट करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
"ऊँ शेषाये नमः शेषं अवह्यामि" इस भाग में व्यक्ति माँ मनसा की उपासना करते हुए उन्हें आमंत्रित करते हैं, और वे उन्हें अपने पास आने के लिए आह्वानित करते हैं।
"ईशान्यां अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः" इस भाग में व्यक्ति माँ मनसा को अपनी शरण में लेते हैं और उनसे अपने जीवन को सुरक्षित रखने की प्रार्थना करते हैं।
यह मंत्र भक्तों की श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करने में मदद करता है और माँ मनसा की कृपा को प्राप्त करने का साधना मार्ग प्रदान करता है।
*प्राण प्रतिष्ठा मन्त्र*
ॐ मनोजुतिर्जुषता माज्यस्य बृस्पतिर्यज्ञ मिमन्तनो त्वरिष्टं यज्ञ ठरंसमिनदधातु |विश्वेदेवसेइहं मदन्ता मों प्रतिष्ठ ||
अस्मै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्मै प्राणाः क्षरन्तु च,
अस्ये देवत्वमर्चाये मामहेति च कश्चन ||
यह मंत्र प्राण प्रतिष्ठा के दौरान उपयोग किया जाता है और इसका अर्थ निम्नलिखित होता है:
"ॐ मनोजुतिर्जुषता माज्यस्य बृस्पतिर्यज्ञ मिमन्तनो त्वरिष्टं यज्ञ ठरंसमिनदधातु" इस भाग में, व्यक्ति यज्ञ में भाग लेने की इच्छा और समर्पण की भावना को व्यक्त करते हैं। व्यक्ति यज्ञ के द्वारा अपने मन की पवित्रता को साबित करने का संकेत देते हैं।
"विश्वेदेवसेइहं मदन्ता मों प्रतिष्ठ" इस भाग में व्यक्ति प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से अपने जीवन को देवताओं के आदर्शों पर आधारित बनाने की इच्छा व्यक्त करते हैं। वे चाहते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा वे देवताओं के आस्तित्व में एकाग्रता प्राप्त करें।
"अस्मै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्मै प्राणाः क्षरन्तु च" इस भाग में, व्यक्ति प्राणों की स्थिति की प्रार्थना करते हैं कि वे स्थिर रहें और उनकी स्थिति कभी नष्ट न हो।
"अस्ये देवत्वमर्चाये मामहेति च कश्चन" इस भाग में, व्यक्ति चाहते हैं कि वे इस प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा देवत्व की प्राप्ति करें और उनके जीवन में श्रीराम की भक्ति बनी रहे।
इस मंत्र के जाप द्वारा व्यक्ति अपनी प्राणिक शक्तियों को उन्नति देने और दिव्यता को प्रकट करने का प्रयास करते हैं, साथ ही देवताओं के आदर्शों का पालन करने की संकल्पना करते हैं।

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