हड़प्पा सभ्यता Class 12 History Chapter 1 ईंटें,मनके तथा अस्थियाँ Ncert Question answer

हड़प्पा सभ्यता Class 12 History Chapter 1 ईंटें,मनके तथा अस्थियाँ Ncert Question answer

हड़प्पा सभ्यता Class 12th

हड़प्पा सभ्यता Class 12 History Chapter 1 ईंटें,मनके तथा अस्थियाँ Ncert Question answer

उत्तर दिजिए (लगभग 100-150शब्दों में) 

1.हड़प्पा सभ्यता के शहरों में लोगों को उपलब्ध भोजन सामग्री की सूची बनाइए। इन वस्तुओं को उपलब्ध कराने वाले समूहों की पहचान कीजिए। 
उत्तर-हड़प्पा सभ्यता के शहरों में लोगों को उपलब्ध भोजन सामग्री की सूची  इस प्रकार थें। 
  • पेड़-पौधों के उत्पाद 
  • मांस, मछली, अंडे
  • अनाज-जैसे गेहूँ, जो, चावल, बाजरा, सरसो, सफेद चना दाले, राई,मटर और तिलहन। 
  • दुध, दही, घी और शहद। 
  • समूह:-संग्रहकर्ता, मछुवारे, किसान, व्यापारी,आखेटक। 
2.पुरातात्विद हड़प्पाई समाज में सामाजिक-आर्थिक भिंन्नाताओं का पता किस प्रकार लगाते हैं?वे कौन सी भिंन्नाताओं पर ध्यान देते हैं? 
उत्तर-पुरातात्विद हड़प्पाई समाज में सामाजिक-आर्थिक भिंन्नाताओं का पता लगाने के लिए विधियों और तकनीकों का प्रयोग करते थे।इनमें दो प्रमुख विधियाँ है-शवाधानों का अध्ययन और विलासिता की वस्तुओं की खीज। 

शवाधान- संभवत: मिस्त्र के विशाल पिरामिड जिनमें से कुछ हड़प्पा सभ्यता के समकालीन से परिचित हैं। इनमें से कई पिरामिड राजकीय शवाधान थे जहाँ बहुत बड़ी मात्रा में धन-संपति दफनाई गई थी। हड़प्पा स्थलों से मिले सवाधानों में आमतौर पर मृतकों को गर्तों में दफनाया गया था। कभी-कभी शवाधान गर्त की बनावट एक-दूसरे से भिन्न होती थी-कुछ स्थानों पर गर्त की सतहों पर ईंटों की चिनाई की गई थी। कुछ कब्रों में मृदभाण्ड तथा आभूषण मिले हैं जो संभवत: एक ऐसी मान्यता की ओर संकेत करते हैं जिसके अनुसार इन वस्तुओं का मृत्योपरांत प्रयोग किया जा सकता था। पुरुषों और महिलाओं, दोनों के शवाधानों से आभूषित मिले हैं।कहीं-कहीं पर मृतकों को ताँबे के दर्पणों के साथ दफनाया गया था। पर ऐसा लगता है कि हड़प्पा सभ्यता के निवासियों का मृतकों के साथ बहुमुल्य वस्तुएं दफनने में विश्वाश नहीं था। 

विलासिता-सामाजिक भिन्नाता को पहचानने की एक अन्य विधि है ऐसी पुरावस्तुओं का अध्ययन जिन्हें पुरातात्विद मोटे तौर पर, उपयोगी तथा विलास की वस्तुओं में वर्गीकृत करते हैं। पहले वर्ग में रिज़मर्रा के उपयोग की वस्तुएं सम्मिलित हैं जिन्हें पत्थर मिट्टी जैसे सामान्य पदार्थों से आसानी से बनाया जा सकता है। इनमें चक्कियाँ, मृदभाण्ड, सूइयाँ, झाँवा आदि शामिल हैं। ये वस्तुएं सामान्य रूप से बस्तियों में सर्वत्र पाई गई हैं। पुरातात्विद उन वस्तुओं को कीमती मानते हैं जो दुर्लभ हों अथवा मँहगी, स्थानीय स्तर पर अनुपलब्ध पदार्थों से अथवा जटिल तकनीकों से बनी हों। इस प्रकार फयाॅंन्स (घिसी हुई रेत अथवा बालू तथा रंग और चिपचिपे पदार्थों के मिश्रण को पका कर बनाया गया पदार्थ) के छोटे पात्र संभवत: किमती माने जाते थे क्योंकि इन्हें बनाना कठिन था। 

3.क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि हड़प्पा सभ्यता के शहरों की जल निकास प्रणाली, नगर-योजना की ओर संकेत करती है? अपने उत्तर के कारण बताइए। 
  • जल निकासी प्रणालियाँ केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं थीं बल्कि ये कई छोटी बस्तियों में भी मिली थीं। 
  • लोथल में आवासों के निर्माण के लिए जहाँ कच्ची ईंटों का प्रयोग हुआ था, वहीं नालियाँ पकी ईंटों से बनाई गई थी। 
  • हर घर का ईंटों के फर्श से बना अपना एक स्नानघर होता था। जिसकी नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुड़ी हुई थीं। 
  • सड़कों तथा गलियों को लगभग एक 'ग्रिड' पध्दति में बनाया गया था और ये एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
  •  पहले नालियों के साथ गलियों को बनाया गया था और फिर उनके अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया था। 
  • घरों के गंदे पानी को गलियों की नालियों से जोड़ना था तो प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवश्यक था। 
  • हर आवास गली की नालियों से जोड़ा गया था।मुख्य नाले गारे में जमाई गई ईंटों से बने थे और इन्हें ऐसी ईंटों से ढँका गया था जिन्हें सफाई के लिए हटाया जा सके। 
  • घरों की नालियाँ पहले एक हौदी या मलकुंड में खाली होती थीं जिसमें ठोस पदार्थ जमा हो जाता था और गंदा पानी गली की नालियों में बह जाता था। 
4.हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थों की सूची बनाइए। कोई भी एक प्रकार का मनका बनाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। 
उत्तर-मनके बनाने के लिए कई प्रकार के पदार्थ प्रयोग में लाए जाते थे- कार्जीलियन, जैस्पर, स्फटिक, फ़्वाटर्ज तथा सेलखड़ी जैसे पत्थर, ताँबा, काँसा तथा सोने जैसी धातुएं तथा फयॉन्स और पकी मिट्टी आदि। कुछ मनके दो या दो से अधिक पत्थरों को मिलाकर भी बनाए जाते थे। कुछ मनकों पर सोने का टोप होता था।पुरातत्विदों द्वारा किए गए प्रयोगों ने यह दर्शाया है कि कार्जीलियन का लाल रंग, पीले रंग के कच्चे माल तथा उत्पादन के विभिन्न चरणों में मनकों को आग में पका कर प्राप्त किया जाता था। पत्थर के पिंडों को पहले अपरिष्कृत आकारों में तोड़ा जाता था, और फिर बारीकी से शक्ल निकाल कर इन्हें अंतिम रूप दिया जाता था।

हड़प्पा सभ्यता Class 12 History Chapter 1 ईंटें,मनके तथा अस्थियाँ Ncert Question answer

5.चित्र 1 को देखिए और उसका वर्णन कीजिए। शव किस प्रकार रखा गया है?उसके समीप कौन सी वस्तुएं रखी गई हैं। क्या शरीर पर कोई पुरावस्तुएं हैं? क्या इनमे कंकाल के लिंग का पता चलता है?
हड़प्पाई सवाधन

उत्तर-इस शव को देखने से यह पता चलता है कि शव को उत्तर तथा दक्षिण दिशा में रखकर एक गर्त में दफनाया गया है। कब्र में मृदभाण्ड और कुछ आभूषण मिले हैं जो संभवत: एक ऐसी मान्यता की ओर संकेत करते हैं जिसके अनुसार इन वस्तुओं का मृत्योपरांत प्रयोग किया जा सकता था।शव के समीप सिर के सामने कुछ मृदभाण्ड रखें है, तथा मृतक के शरीर में कुछ आभूषण मिले हैं जिससे की आभूषण को देख कर यह स्पष्ट होता है कि यह शव एक स्त्री का था। 

6.मोहनजोदड़ो की कुछ विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए। 
उत्तर-मोहनजोदड़ो का मतलब होता है, मुर्दों का टीला दक्षिण एशिया में बसे इस शहर को सबसे पुराना शहर माना जाता है।इस पुराने शहर को इतने व्यवस्थित ढंग से बनाया गया था। जिसकी कल्पना भी नहीं कि जा सकती। पाकिस्तान सिंध में लगभग इसका 4600 साल पहले इसका निर्माण हुआ था। जब इतिहासकार ने मोहनजोदड़ो की खुदाई की तो इसमें बड़ी-बड़ी इमारतें, जलकुंड,चित्रकारी, और धातु से बने बरतन, मुद्राएं, मूर्तियाँ और भी ना जाने बहुत सी चीज मिली थी जिससे यह पता चलता है कि यहाँ एक व्यवस्थित शहर बसा हुआ था। इतिहासकारों के मुताबिक यह शहर करीब 200 हैक्टेयर में बसा हुआ था। 
  • मोहनजोदड़ो को हड़प्पा सभ्यता का सबसे शहरी केंद्र माना जाता है। 
  • इस सभ्यता की नगर-नियोजन, गृह निर्माण, मुद्रा,मोहरों आदि की अधिकांश जानकारी मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है। 
  • नियोजित शहरी केंद्र: यह नगर दो भागो में विभाजित था, एक छोटा लेकिन कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया। 
  • पुरातात्विदों ने इन्हें क्रमश: दुर्ग और निचला शहर का नाम दिया है। 
  • दुर्ग की ऊँचाई का कारण यह था कि यहाँ की संरचनाएं कच्ची ईंटों के चबूतरे पर बनी थीं। 
  • दुर्ग को दीवार से घेरा गया था जिसका अर्थ है कि इसे निचले शहर से अलग किया गया था। 
  • निचला शहर भी दीवार से घिरा गया था। 
  • इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरों पर बनाया गया था।जो नींव का कार्य करते थे। 
7.हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल की सूची बनाई तथा चर्चा कीजिए कि ये किस प्रकार प्राप्त किए जाते होंगे। 
उत्तर-हड़प्पावासी शिल्प-उत्पादन हेतु माल प्राप्त करने के लिए कई तरीके अपनाते थे। उदाहरण के लिए, उन्होंने नागेश्वर और बालकोट में जहाँ संख आसानी से उपलब्ध था, सुदूर अफ़ग़ानिस्तान में सोतुघई, जो अत्यंत कीमती माने जाने वाले नीले रंग के पत्थर लाजवर्द मणि के सबसे अच्छे स्रोत के निकट स्थित था तथा लोथल जो कार्निलियन (गुजरात में भड़ौच), सेलखड़ी (दक्षिण राजस्थान तथा उत्तरी गुजरात से) और धातु (राजस्थान से) के स्त्रोतों के निकट स्थित था। कच्चा माल प्राप्त करने की एक अन्य नीति थी-राजस्थान के खेतड़ी अँचल (ताँबे के लिए) तथा दक्षिण भारत (सोने के लिए) जैसे क्षेत्रों में अभियान भेजना। इन अभियानों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के साथ संपर्क स्थापित किया जाता था।

8.चर्चा कीजिए पुरातत्वविद किस प्रकार अतीत का पुनर्निर्माण करते हैं।
उत्तर-पुरावस्तुओं की पुन: प्राप्ति पुरातात्विक उद्यम का आरंभ मात्र है। इसके बाद पुरातात्विद अपनी खोजों को वर्गीकृत करते हैं। वर्गीकरण का एक सामान्य सिध्दांत प्रयुक्त पदार्थ; जैसे-पत्थर, मिट्टी, धातु, अस्थि, हाथीदाँत आदि के संबंध में होता है। दूसरा, और अधिक जटिल, उनकी उपयोगिता के आधार पर होता है: पुरातात्विदों को यह तय करना पड़ता है कि उदाहरण: कोई पुरावस्तु एक औज़ार है या एक आभूषण है या फिर दोनों अथवा आनुष्ठानिक प्रयोग की कोई वस्तु। किसी पुरावस्तु की उपयोगिता की समझ अक्सर आधुनिक समय में प्रयुक्त वस्तुओं से उनकी समानता पर आधारित होती है-मनके, चक्कियाँ, पत्थर के फलक तथा पात्र इसके स्पष्ट उदाहरण हैं। पुरातात्विद किसी पुरावस्तु की उपयोगिता को समझने का प्रयास उस संदर्भ के परीक्षण के माध्यम से भी करते हैं जिसमें वह मिली थी: क्या वे घर में मिली थीं, नाले में, कब्र में, या फिर भट्टी में? कभी-कभी पुरातात्विदों को अप्रत्यक्ष साक्ष्यों का सहारा लेना पड़ता है। 

9.हड़प्पाई समाज में शासकों द्वारा किए जाने वाले संभावित कार्यों की चर्चा कीजिए। 
उत्तर-सत्ता के केंद्र अथवा सत्ताधारी लोगों के विषय में पुरातात्विक विवरण हमें कोई त्वरित उत्तर नहीं देते। कुछ पुरातात्विद इस मत के है कि हड़प्पाई समाज में शासक नहीं थे तथा सभी की सामाजिक स्थिति समान थी। दूसरे पुरातात्विद यह मानते है कि यहाँ कोई एक नहीं बल्कि कई शासक थे जैसे मोहनजोदड़ो हड़प्पा आदि के अलग-अलग राजा होते थे। कुछ और यह तर्क देते हैं कि यह एक ही राज्य था जैसे कि पुरावस्तुओं में समानताओं, नियोजित बस्तियों के साक्ष्यों,ईंटों के आकार में निश्चित अनुपात, तथा बस्तियों के कच्चे-माल के स्रोतों के समीप संस्थापित होने से स्पष्ट है।अभी तक की स्थिति में अंतिम परिकल्पना सबसे युक्तिसंगत प्रतीत होती है क्योंकि यह कदाचित् संभव नहीं लगता कि पूरे समुदायों द्वारा इकट्ठे ऐसे जटिल निर्णय लिए तथा कार्यान्वित किए जाते होंगे।हड़प्पा सभ्यता के शासन का स्वरूप चाहे जो भी हो इतना तो निश्चित है कि यहाँ का प्रशासन अत्यधिक कुशल एवं उत्तरदायी था। 

10.हड़प्पा स्थलों से मिले कौन-कौन से जानवरों की हड्डियाँ शामिल हैं।
उत्तर-हड़प्पा स्थलों से मिली जानवरों की हड्डियों में मवेशियों, भेड़ बकरी, भैंस तथा सूअर की हड्डियाँ शामिल हैं। पूरा-प्राणिविज्ञानियों अथवा जीव-पुरातत्वविदों द्वारा किए गए अध्ययनों से संकेत मिलता है कि ये सभी जानवर पालतू थे। जंगली प्रजातियों जैसे वराह (सूअर), हिरण तथा घड़ियाल की हड्डियाँ भी मिली हैं। हम यह नहीं जान पाए हैं कि हड़प्पा-निवासी स्वयं इन जानवरों का शिकार करते थे अथवा अन्य आखेटक-समुदायों से इनका मांस प्राप्त करते थे। मछली तथा पक्षियों की हड्डियाँ भी मिली हैं। 

हड़प्पा सभ्यता Class 12 History Chapter 1 ईंटें,मनके तथा अस्थियाँ Ncert Question answer

11.हड़प्पा शहरों की किसी भी तीन विशेषताओं का उल्लेख करें। 
  1. हड़प्पा सभ्यता की सबसे अनूठी विशेषता शहरी केंद्र यानी शहरों का विकास था
  2. सार्वधानीपूर्वक नियोजित जत निकासी प्रणाली भी हड़प्पा शहरों की सबसे विशिष्ट विशेताओं में से एक थी। 
  3. हड़प्पा क्षेत्रों में दफनाने पर मृतकों को आमतौर पर गड्ढ़ों में रखा जाता था।
सैधव सभ्यता के प्रमुख स्थल:नदी, उत्खननकर्ता एवं वर्तमान स्थिति-
प्रमुख स्थल-हड़प्पा                    
नदी-रावी
उत्खननकर्ता-दयाराम साहनी एवं माधोस्वरूप वत्स
वर्ष-1921
स्थित-पाकिस्तान का मोंटगोमरी जिला 

प्रमुख स्थल-मोहनजोदड़ो              
नदी-सिंधु
उत्खननकर्ता- राखालदास बनर्जी
वर्ष-1922
स्थित-पाकिस्तान के सिंध प्रांत का लरकाना जिला

प्रमुख स्थल-चन्हूदड़ो              
नदी-सिंधु
उत्खननकर्ता-गोपाल मजुमदार
वर्ष-1931
स्थित-सिंध प्रांत(पाकिस्तान) 

प्रमुख स्थल-कालीबंगा              
नदी-घग्घर
उत्खननकर्ता-बी. बी. लाल एवं बी. के.थापर
वर्ष-1953
स्थित-राजस्थान का हनुमानढ़ जिला 

प्रमुख स्थल-कोटदीजी             
नदी-सिंधु
उत्खननकर्ता-फजल अहमद
वर्ष-1953
स्थित-सिंध प्रांत का खैरपुर स्थान

प्रमुख स्थल-रंगपुर           
नदी-मादर
उत्खननकर्ता-रंगनाथ राव
वर्ष-1953-54
स्थित-गुजरात का काठियावाड़ जिला

प्रमुख स्थल-रोपड़          
नदी-सतलज
उत्खननकर्ता-यज्ञदत्त शर्मा
वर्ष-1953-56
स्थित-पंजाब का रोपड़ जिला

प्रमुख स्थल-लोथल            
नदी-भोगवा
उत्खननकर्ता-रंगनाथ राव
वर्ष-1955 एवं 1962
स्थित-गुजरात का अहमदाबाद जिला

प्रमुख स्थल-आलमगीरपुर        
नदी-हिन्डन
उत्खननकर्ता-यज्ञदत्त शर्मा
वर्ष-1958
स्थित-उत्तर प्रदेश का मेरठ जिला

प्रमुख स्थल-सुतकांगेडोर       
नदी-दाश्क
उत्खननकर्ता-ऑरेज स्टाइल, जार्ज डेल्स
वर्ष-1927 एवं 1962
स्थित-पाकिस्तान के मकरान में समुद्र तट के किनारे

प्रमुख स्थल-बनमाली           
नदी-रंगाई
उत्खननकर्ता-रवीन्द्र सिंह विष्ट
वर्ष-1974
स्थित-हरियाणा का हिसार जिला

प्रमुख स्थल-धौलावीरा        
उत्खननकर्ता-रवीन्द्र सिंह विष्ट
वर्ष-1990-91
स्थित-गुजरात के कच्छ जिला

सिंधु काल में विदेशी व्यापार

आयातित वस्तुएं              प्रदेश
ताँबा                            खेतड़ी, बलूचिस्तान, ओमान
चाँदी                            अफगानिस्तान, ईरान
सोना                           कर्नाटक,अफगानिस्तान,टिन
टिन                             अफगानिस्तान, ईरान 
गोमोद                          सौरष्ट्रा  
लाजवर्त                        मेसोपोटामिया
सीसा                           ईरान

सिंध और चोलिस्तान (थार रेजिस्तान से लगा हुआ पाकिस्तान का रेगिस्तानी क्षेत्र)में बस्तियों की संख्या के सबंध में ये आँकड़े देखिए। 
                                           सिंध    चोलिस्तान

बस्तियों की कुल संख्या                   160     239  
आरंभिक हड़प्पा स्थल                       52      37
विकसित हड़प्पा स्थल                       65      136
एन स्थलों पर विकसित हड़प्पा बस्तियाँ  43      132  
त्याग दिए गए आरंभिक हड़प्पा स्थल     29       33      

आरंभिक भारतीय पुरातत्वि के प्रमुख कालखंड

20 लाख वर्ष                  निम्न पूरापाषाण
(वर्तमान से पूर्व)
80,000                       मध्य पूरापाषाण
35,000                        उच्च पूरापाषाण
12,000                         मध्य पाषाण
10,000                         नवपाषाण (आरंभिक कृषक तथा पशुपालाक) 
6,000                          ताम्रपाषाण (ताँबे का पहली बार प्रयोग) 
2600                           हड़प्पा सभ्यता
1000                            आरंभिक लौहकाल,महापाषाण शवाधान
600                             आरंभिक ऐतिहासिक काल
                   

Post a Comment

Previous Post Next Post

Offered

Offered