आधुनिक भारत-यूरोपीयों का भारत आगमण Europiyon ka Bharat Agman
पुर्तगाली: 1498 ई. में पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने भारत की खोज की थी। फ्रांसिस्को डी-अल्मीडा भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर था, जो 1505 ई. से 1509 ई. तक भारत में रहा। अल्फ्रांसो-डी-अल्बुकर्क भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्ताविक संस्थापक था, वह 1509 ई. से 1515 ई. तक भारत में रहा। उसने 1510 ई. में गोवा पर अधिकार करके, उसे प्रमुख पुर्तगाली व्यापारिक केंद्र बना दिया था। 1538 ई. में 'ग्रेसिया-डी-नुनोन्हा' नया पुर्तगाली गवर्नर बना, जिसने सिलोन के अधिककांश भागों पर अधिकार किया। नए पुर्तगाली गवर्नर अल्फ्रांसो व डिसूजा (1542-1545 ई.) के साथ प्रसिध्द जेसुइट सन्त फ्रांसिस्को जेवियर भी भारत आए, भारतीय इतिहास में यह घटना महत्वपूर्ण मानी जाती है। पुर्तगाली भारत में गोवा, मदन दीव, पर 1961 ई. तक शासन करते रहे। पुर्तगालियों के भारत आगमन से भारत में तम्बाकू की खेती, जहाज निर्माण एवं प्रिटिंग प्रेस का सूत्रीपात हुआ। 1556 ई. में पुर्तगालियों ने भारत में प्रथम प्रिटिंग प्रेस स्थापित किया।
डच: 20 मार्च, 1602 को भारत में व्यापार के लिए प्रथम डच कम्पनी 'यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कम्पनी' का प्रादुर्भाव हुआ। डचों ने भारत में कोरेमंडल तट, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात तथा बंगाल में कारखाने स्थापित किए। सत्रहवीं शताब्दी में भारत में मसाले के व्यापार पर डचों का एकाधिकार था। डचों द्वारा भारत से नील, शोरा एवं सूती वस्त्र का निर्यात किया जाता था। बंगाल से डच मुख्यत: सूती वस्त्र, रेशम, शोरा और अफ़म आदि का निर्यात करते थे। लगभग तीन शताब्दी तक पूर्वी समूहों पर डचों का अधिकार रहा, परन्तु अंग्रेज ने भारत में डच शक्ति को स्थिर होने नहीं दिया।
अंग्रेज: यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों में भारत में सार्वधिक प्रभावी अंग्रेज थे। दिसम्बर 1600 ई. ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई, जिसे ब्रिटिश महामारी अलिजाबेथ प्रथम से 15 वर्षों के लिए पूर्वी व्यापार का एकाधिकार प्राप्त। अंग्रेज ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपना पहला कारखाना 1611 ई. में मसौलीपट्टम और पटापुली में स्थापित किया। कालांतर में कलकत्ता ही फोर्ट विलियम का निर्माण हुआ। 1700 ई. में स्थापित फोर्ट विलियम का प्रथम गवर्नर सर चालर्स आयर बना।
फ्रांसीसी: सम्राट लुई चौदहवें के मंत्री कॉलबर्ट द्वारा 1664 ई. में 'फ्रेंच ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना की गई थी। इसे 'कम्पेन देस इंडेस ओरियण्टलेस' कहा जाता था। 1668 ई. में फ्रैंसिस कैरो के नेतृत्व में इस कम्पनी ने सूरत में अपना प्रथम व्यापारिक कारखाना स्थापित किया। 1742 ई. के पश्चात् फ्रांसीसी वयापारिक लाभ प्राप्त करने की अपेक्षा राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में संलग्न हो गए क्योंकि इस वर्ष डुप्ले फ्रांसीसी कम्पनी का गवर्नर बनकर भारत आया और उसके नेतृत्व में फ्रांसीसियों ने अपनी शक्ति का खूब विस्तार किया। अत: फ्रांसीसियों की साम्राज्यवादी नीति के कारण अंग्रेज व फ्रांसीसियों में संघर्ष प्रारंभ हुआ। अंग्रेज और फ्रांसीसियों के मध्य हुए युध्द, 'कर्नाटक युध्द' के नाम से चर्चित हैं।
डेन: डेनमार्क की ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1616 ई. में हुई थी। इस कम्पनी ने 1620 ई. में त्रेंकोबरा (तमिलनाडु) और 1676 ई. में सेरामपुर बंगाल में अपनी व्यापारिक कोठियां स्थापित की थी। सेरामपुर डेनों का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। 1845 ई. में डेनों ने अपनी भारतीय वाणिज्यिक कम्पनी को अंग्रेज को बेच दिया।
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