मध्यकालीन भारत के प्रमुख वंश एवं शासक

मध्यकालीन भारत के प्रमुख वंश एवं शासक

मध्यकालीन भारत के प्रमुख वंश एवं शासक

1.गुलाम वंश (1206 ई.-1290 ई.)कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 ई.-1210 ई.):
तराइन के द्वितीय युध्द पश्चात् 1192 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक, मुहम्मद गोरी के भारतीय साम्राज्य का गवर्नर बना। 1206 ई. में मुहम्मद गोरी की मृत्यु के पश्चात् कुतुबुद्दीन ऐबक, का अनौपचारिक राज्यरोहण लाहौर में किया गया था।कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का प्रथम तुर्क शासक था। और उसी को भारत में तुर्की राज्य का संस्थापक माना जाता है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुबमीनार का निर्माण कार्य प्रारम्भ करवाया। कुतुबमीनार का शेष भाग इल्तुतमिश ने पूरा। कराया था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में, अढाई दिन का झोपड़ा' नामक मस्जिद का निर्माण भी करवाया था। 

2.इल्तुतमिश (1211 ई.-1236 ई.): इल्तुतमिश, कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद था। इल्तुतमिश तुर्किस्तान की इल्बरी जाती का तुर्क था। दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठने से पूर्व वह बदायु का सूबेदार था। 

3.रजिया (1236 ई.-1240 ई.): रजिया मध्यकाल की प्रथम मुस्लिम शासिका थी। रजिया दिल्ली सल्तनत की पहली तुर्क सुल्तान थी, सिसने अमीरों व मालिकों को अपनी आज्ञा मानने पर बाध्य किया। कालांतर में रजिया ने पर बाध्य किया। कालांतर में रजिया ने अल्तूनिया से विवाह कर दिल्ली पर पुन: कब्जा करने का प्रयत्नकिया, जो असफल रहा। अन्तत: 12 अक्टुबर, 1240 ई. को कुछ लुटेरों ने रजिया व अल्तूनिया की हत्या कर दी। 

4.ग्यासुद्दीन बलबन (1265-1287 ई.): 1265 ई. में सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु हो गई। चूंकि सुल्तान के कोई पुत्र नहीं था, अत: बलबन, ग्यासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली सल्तनत के राजसिंहासन पर बैठा। 

5.खिलजी वंश (1290 ई.-1320 ई.) जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290 ई.-1296 ई.): भारत में खिलजी शासन का संस्थापक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी था।जलालुद्दीन, भिलसा, चन्देरी और देवगिरि के सफल अभियान से अपार धन लेकर लौट रहे अपने भतीजे अलाउद्दीन से मिलने कड़ा (इलाहाबाद) गया, जहां अलाउद्दीन ने धोखे से उसकी हत्या करवा दी। 

6.जलालुद्दीन खिलजी (1296 ई.-1316 ई.): जलालुद्दीन खिलजी का जन्म 1266-67 ई. में हुआ था। जलालुद्दीन  दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था, जिसने दक्षिण भारत में विजय पताका फाहरायी। इनके राज दरबार में अमीर खुसरो तथा हसन सरीखे विद्वान थे। 

7.तुगलक वंश (1320 ई.-1414 ई.) ग्यासुद्दीन तुगलक (1320 ई.-1325 ई.): खुसरो की हत्या के पश्चात् ग्यासुद्दीन तुगलक ने सर्वप्रथम दिल्ली के सिंहासन हेतु खिलजी वंशज की खोज की, परन्तु कोई सफलता नहीं मिलने पर, वह स्वयं, 8 सितम्बर, 1320 ई. को ग्यासुद्दीन तुगलक शाह गाजी के नाम से सिंहासन पर बैठा। 

8.मुहम्मद बिन तुगलक (1325 ई.-1351 ई.): 1325 ई. में ग्यासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र जूना खां मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली सल्तनत के राजसिंहासन पर बैठा। मोरक्को निवास इब्नबतूता, मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में 1333 ई. में दिल्ली आया था। दिल्ली सल्तनत की राजधानी दिल्ली का दौलताबाद स्थानान्तरण। 

9.फिरोज तुगलक (1351 ई.-1388 ई.): फिरोज तुगलक ने सिहार-फिरोजपुर, जौनपुर, फिरोजाबाद नगरों की स्थापना की थी। दिल्ली के सुल्तानों में वह प्रथम सुल्तान था, जसने इस्लाम के कानूनों और उलेमा वर्ग को राज्य के शासन में प्रधानता दी थी। 

सैय्यद वंशीय शासक (1414 ई.-1451 ई.)
शासक                      शासक काल 
खिज्र खां                    (1414 ई.-1421 ई.) 
मुबारक शाह                (1421 ई.-1433 ई.)
मुहम्मद शाह                 (1434 ई.-1445 ई.) 
अलाउद्दीन आलामशाह    (1445 ई.-1451 ई.) 

10.लोदी वंशीय शासक (1451 ई.-1526 ई.) बहलोल लोदी ने दिल्ली के सिंहासन पर अपने को सुशोभित कर 1451 ई. में लोदी वंश (प्रथम अफगान साम्राज्य) की स्थापना की थी। सिकन्दर लोदी (1489 ई.-1517 ई.) लोदी वंश का सर्वश्रेष्ट शासक था। 1504 ई. में उसने राजस्थान के शासकों पर नियन्त्रण रखने तथा व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा हेतु 'आगरा' नगर की स्थापना की थी। 1506 ई. में आगरा सिकन्दर लोदी की राजधानी घोषित हुई। इब्राहिम लोदी (1517 ई.-1526) के समय में लोदी साम्राज्य के पतन का पथ-प्रशस्त हो गया। इब्राहिम लोदी का राणा सांगा (मेवाड़ के शासक) के साथ घटोली का युध्द (1517 ई.) हुआ। जिसमें इब्राहिम लोदी की पराजय हुई। अप्रैल 1526 ई. में पानीपत के प्रथम युध्द में बाबर के हाथों इब्राहिम लोदी की पराजय हुई, लोदी वंश का अन्त हो गया। इसके साथ ही दिल्ली सल्तनत का भी अन्त हो गया। 

11.मुगल वंशीय शासक (1526 ई.-1858 ई.) बाबर (1526 ई.-1530 ई.): बाबर महान विजेता तैमूर का वंशज था और उसकी माता कुतलुक निगारखानम पराक्रमी चंगेज खां की वंशजा थी। 21 अप्रैल, 1526 ई. को बाबर और दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इब्राहिम लोदी के मध्य पानीपत के मैदान में घमासान युध्द लड़ा गया, यह युध्द 'पानीपत के प्रथम युध्द के नाम से जाना जाता है। 'पानीपत' प्रथम युध्द में बाबर को निर्णायक विजय प्राप्त हुई, इस विजय के परिणामस्वरूप बाबर का दिल्ली और आगरा पर आधिपत्य हो गया। इसके साथ ही दिल्ली सल्तनत के शासक का अन्त हुआ और भारत में मुगल वंश के शासन की स्थापना हुई। 

12.हुमायूं(1530 ई.-1540 ई. तथा 1555 ई. 1556 ई.): हुमायूं 1533 ई. में दिन पनाह नामक नए शहर की स्थापना की थी। हुमायूं तथा शेरखां (शेरशाह) के मध्य बक्सर के निकट चौसा नामक स्थान पर 1539 ई. में युध्द हुआ था, जिसमें हुमायूं को पराजय का सामना करना पड़ा। मई 1540 ई. में कन्नौजो (विलग्राम) के युध्द में शेरशाह ने हुमायूं को पुन: पराजित कर दिल्ली, आगरा पर आधिपत्य कर लिया और हुमायूं को गद्दी छोड़कर भागना पड़ा। 

13.अकबर (1556 ई.-1605 ई.): अकबर का जन्म अमरकोट के राणा वीरसाल के महल में 15 अक्टुबर, 1542 ई. को हुआ था। अकबर 1550 ई. में गद्दी पर आसीन हुआ। अकबर ने दार्शनिक एवं धर्मशास्त्रीय विषयों पर वाद-विवाद हेतु फतेहपुरसीकरी में एक 'इबादतखाना' (प्रार्थना भवन) का निर्माण 1575 ई. में कराया था। अकबर ने सभी धर्मों में सामंजस्य स्थापित करने हेतु 1582 ई. में तौहीद-ए-इलाही' या दीन ए इलाही' नामक एक नवीन धर्म प्रवर्तित किया। 3 अक्टुबर 1605 ई. को अकबर बीमार पड़ा तथा कुछ दिनों तक मृत्यु से जूझने के बाद 25-26 अक्टुबर 1605 ई. की रात्रि में उसकी मृत्यु हो गई। अक्टुबर को सिकन्दर (आगरा) में मुस्लिम रीति से दफनाया गया। 

14.जहांगीर (1605 ई.-1627 ई.): 30 अगस्त 1569 ई. को जहांगीर का जन्म हुआ था, जहांगीर के बचपन का नाम सलीम था। अक्टुबर की मृत्यु के पश्चात् सलीम का 'जहांगीर' के नाम से आगरा के किले में राज्याभिषेक हुआ। जहांगीर के सिंहासन पर बैठते ही सबसे पहले उसके पुत्र खुसरो ने 1606 ई. में आगरा से पंजाब जाकर विद्रोह कर दिया। जहांगीर ने उसे 'भैरोवल के मैदान' में परास्त किया तथा जहांगीर के आदेश पर उसे अंधा कर दिया गया। खुसरो को सहायता एवं आशीर्वाद देने के अभियोग में सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव को जहांगीर ने मृत्यु दण्ड दिया तथा उनकी सारी सम्पति जब्त कर ली। मई 1611 ई. में जहांगीर ने मेहरून्निसा (नूरजहां) नामक विधवा से विहाह करके उसे 'नूरमहल' की उपाधि दी। 

15.शाहजहां (1628 ई.-1650 ई.): शाहजहां का जन्म लाहौर में 5 जनवरी, 1592 ई. को हुआ था। 1628 ई. में आगरा के राजसिंहासन पर शाहजहां का राज्यरोहण हुआ।शाहजहां का विहाह नूरजहां की भतीजी, आसफखां की पुत्री 'अर्जुमन्द बानू बेगम' से 1612 ई. में हुआ था। शाहजहां 6 सितम्बर 1657 ई. में गंभीर रूप से रोगग्रस्त हो गया, ऐसी स्थिति में उसके चार पुत्रों दारा शिकोह, शुजा औरंगजेब और मुराद के मध्य उत्तराधिकार का युध्द प्रारम्भ हो गया। शाहजहां के अंतिम आठ वर्ष (1658 ई.-1666 ई.) आगरा के किले के शाहबुर्ज में एक बंदी के रूप में व्यतीत हुए। 1666 ई. में शाहजहां की मृत्यु हो गई। 

16.औरंगजेब (1658 ई.-1707 ई.): मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब का जन्म 1618 ई. में उज्जैन के निकट दोहद नामक स्थान पर हुआ था। उत्तराधिकार युध्द में विजय प्राप्त करने के पश्चात् 21 जुलाई, 1658 ई. को औरंगजेब आगरा के सिंहासन पर बैठा, लेकिन उसका वास्ताविक राज्याभिषेक एक वर्ष पश्चात् 5 जून, 1659 ई. को अत्यन्त धूमधाम के साथ दिल्ली में हुआ था। 

17.बहादुरशाह जफर द्वितीय (1837 ई.-1857 ई.): अकबर द्वितीय का पुत्र बहादुरशाह जफर द्वितीय मुगल साम्राज्य का अंतिम मुगल सम्राट था। 1857 ई. के विद्रोह में वह विद्रोहियों का नेता घोषित किया गया था। अत: अंग्रेज ने उसे बंदी बना कर रंगून निर्वासित कर दिया था, जहां 1862 ई. इस अंतिम मुगल सम्राट की मृत्यु हो गई। 

18.मराठा राज्य-सत्रहवीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के विघाटन का सूत्रपात प्रारम्भ हुआ, इससे स्वतंत्र राज्यों का विभिन्न क्षेत्रों में उदय हुआ, उनमें राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सशक्त राज्य 'मराठा राज्य' था, जिसकी स्थापना शिवाजी ने की थी। मराठों के मूल प्रदेश के संदर्भ में आधुनिक इतिहासकारों का मत है कि मराठे या मराठे आर्य तथा दर्विदों के मिश्रण थे। आजकल जिस प्रदेश को 'महाराष्ट्र' कहा जाता है, यह भू-क्षेत्र मराठवाड़ा कहलाता था, जो कालान्तर में 'महाराष्ट्र' कहलाने लगा। 

19.शिवाजी (1627 ई.-1680 ई.): मराठा राज्य के संस्थापक शिवाजी का जन्म 1627 ई. को पूना के निकट शिवनेर में हुआ था। शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले बिजपुर राज्य की सेवा में नियुक्त थे, शिवाजी की माता जीजाबाई यादव परिवार की राजकुमारी थी। शिवाजी के गुरु समर्थ स्वामी रामदास थे। 1656 ई. में शिवाजी ने अपनी राजधानी रायगढ़ बनाई। कूटनीति के तहत शिवाजी, मई 1666 ई. में मुगल दरबार में उपस्थित हुए, जहां उनके साथ तृतीय श्रेणी के मनसबदारों की भांति व्यहार किया गया और उन्हें नजरबन्द भी कर दिया गया, लेकिन नवम्बर 1666 ई. में ही वे अपने पुत्र शम्भाजी जी साथ मुगलों की कैद से भाग निकले। अंतत: विवश होकर 1668 ई. में औरंगजेब ने शिवाजी के साथ संधि कर ली और शिवाजी को राजा किउपाधि एवं बराबर की जागीर प्रदान की। तत्पश्चात् 1674 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ के दुर्ग में महाराष्ट्र के स्वतंत्र शासक के रूप में अपना राज्यभिषेक भी कराया और 'छत्रपति' की उपाधि धारण की। 

Post a Comment

Previous Post Next Post

Offered

Offered