दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)–दीपावली पर निबंध हिंदी में
परिचय:-
दुर्गा पूजा की तरह दिवाली भी भारत के बड़े त्योहारों में एक है। यह हमारे देश में बड़े उत्साह के साथ मनायी जाती है। इसमें सभी तरह की जातियों, धर्मों और संप्रदायों के लोग दिल खोलकर भाग लेते हैं और सारे भेदभाव भुला देते हैं। अत:, दिवाली हमारा एक महान राष्ट्रीय पर्व है।
पौराणिक कथाएं:-
दिवाली के आरंभ की अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार श्रीरामचंद्र जब 14 वर्ष के बाद रावण को मारकर सीता और लक्ष्मण के साथ के साथ अयोध्या लौटे तब सभी जगह खुशी के दिये जलाये गये। उसी विजय की स्मृति में यह दिवाली हर वर्ष मनायी जाने लगी। दूसरी कथा के अनुसार दिवाली उस दिन शुरू हुई, जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया। इसी खुशी में दिवाली का श्रीगणेश हुआ। तीसरी कथा है कि जब भगवान विष्णु राजा बलि के दान से प्रसन्न हुए, तब यह वर दिया कि सभी लोग बलि के नाम पर घी दिये जलायेंगे। एक कथा यह भी प्रचलित है कि जब भगवान शंकर ने महाकाली का क्रोध शांत किया, तभी से दिवाली मनायी जाने लगी।
महत्व:-
कथा चाहे जो भी हो, इन बातों से एक बात बिलकुल साफ है कि दीवाली हर साल हम भारतवासियों को जीवन का नया संदेश देने आती है और यह बताती है कि सत्य की जीत और असत्य की हार एक-न-एक दिन अवश्य होती है। यह हमारे जीवन का अंधकार दूर कर फुलझारियों की तरह नया प्रकाश बिखेरती है। हम अपने अंदर नवीनता का अनुभव करते हैं।
तैयारी:-
दीवाली आने के पहले से ही लोग अपने-अपने घर की सफाई, पुताई-रँगाई शुरू कर देते हैं। छोटे-बड़े, अमीर-गबीर सभी तरह के लोग दीवाली के स्वागत की तैयारी में लग जाते हैं। किसी शुभ कार्य का आरंभ भी दिवाली के दिन होता है। दीवाली आती है अमावस्या की रात में। मकान के छतों छज्जों और मुंडेरों पर दीपों की माला सजायी जाती है। बच्चे पटाखे और रंग-बिरंगे फुलझरियां छोड़ते हैं। हर जगह रोशनी-ही-रोशनी दिखायी देती है। रोशनी की इस जगमगाहट में सबके चेहरों पर खुशी की लहर छा जाती है। लोग बाजार की रोशन और सजावट देखने घर से बाहर जाते हैं। मिठाईयाँ खाते-खिलाते रात के कुछ घंटे बीत जाते हैं। व्यापारी और सेठ-साहूकार रात में धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, नये-नये कपड़े और बरतन खरीदते हैं।
सामाजिक:-
दीवाली का धार्मिक महत्व तो है ही, इसका सामाजिक महत्व भी है। वर्षाऋतु के बाद मकानों की मरम्मत और उसकी पुताई, खिड़कियों और दरवाजों की रँगाई, पास-पड़ोस की सफाई-हमारे यहाँ इसी दिवाली के उपलक्ष्य में होती है। साल में एक बार ऐसा करना जरूरी समझा जाता है। इस प्रकार, सारी गंदगी दूर हो जाती है।
सामाजिक महत्व:-
दीवाली हमारे जीवन में नवीन प्रकाश लाती है, हमारे आसपास के वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाती है। यह हमें भाईचारे, सहयोग, सुख और शांति का संदेश देती है।
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