राम का भरत को संदेश Class 8 Hindi Chapter 10 Ncert Question answer

राम का भरत को संदेश Class 8 Hindi Chapter 10 Ncert Question answer

राम का भरत का संदेश

राम का भरत को संदेश Class 8 Hindi Chapter 10 Ncert Question answer

निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लिखें-

1.इस पाठ में श्रीराम ने किसे समझाने का प्रयास किया है? 
उत्तर-इस पाठ में श्रीराम ने अपने छोटे भाई भरत को समझाने का प्रयास किया है। 

2.राम ने भरत को क्या-क्या करने की सलाह दी? 
उत्तर-राम ने भरत को सलाह दी कि जब तक हमारे गुरु, मुनि और राजा जनक हमारे साथ है तब तक चिंता करने की अवश्यकता नहीं है।वे ही रक्षा करेंगे। बड़ों की आज्ञा का पालन करते रहने से पतन नहीं होता। गुरुजनों की आज्ञा के अनुसार ही राजधर्म का पालन करना चाहिए। 

3.तुलसीदास जी के अनुसार मुखिया को कैसे होना चाहिए?
उत्तर-तुलसीदास जी के अनुसार मुखिया को मुख के समान होना चाहिए, जो खाता-पीता तो अकेला समान रूप से पालन पोषण करता है। 

4.पाठ के अनुसार राजधर्म क्या है? 
उत्तर-अपने राज्य की प्रजा परिजन एवं परिवार के सुख-दुख का ध्यान रखकर न्यापूर्वक शासन ही राजधर्म है। 

5.राम ने भरत को क्या भेंट किया तथा भरत ने उसे किस प्रकार स्वीकार किया? 
उत्तर-राम ने भरत को अपनी चरण पादुका अर्थात खड़ाऊँ को प्रजा की रक्षा करनेवाले दो पहरेदार प्रेम रूपी रत्न को सहेज कर रखनेवाले सीप जाप करने के लिए रामनाम के दो अक्षर, रघुकुल की रक्षा करने के लिए दो किवाड़ तथा सेवारूपी धर्म की राह दिखानेवाले दो नेत्र की तरह स्वीकार किया। 

6.निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें-
(क)अस बिचारी सब सोच बहाई। 
      पालहु अवध अवधि भरि जाई। 

उत्तर-प्रस्तुत पंक्तियों द्वारा श्री राम ने भरत को सीख देते हुए कहा कि गुरु, पिता, माता और स्वामी की आज्ञा का पालन करने से कुमार्ग पर भी चलने पर व्यक्ति का पतन नहीं होता, ऐसा विचार कर सब प्रकार की चिंता छोड़कर अयोध्या जाओं और सम्पूर्ण वनवास की अवधि भर उन लोगों की शिक्षा के अनुसार शासन करो। 

(ख)तुम्ह मुनि मातु सचिव सिख मानी। 
      पालेहु पुहुमि प्रजा रजधानी 

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से श्रीराम ने भरत को अयोध्या के राज्य भार की जिम्मेदारी हेतु मानसिक रूप से तैयार होने की सीख दी है।श्रीराम ने भरत से कहा कि देश, खजाना, कुटूम्ब, परिवार आदि सबकी जिम्मेदारी तो गुरु वसिष्ठजी की चरण-रज पर है। तुम तो मुनि वसिष्ठजी माताओं और मंत्रियों की शिक्षा के अनुसार पृथ्वी, प्रजा और राजधानी का सिर्फ पालन करना। परिणामस्वरूप भरत आयोध्य का शासन-भार संभालने को तैयार हो जाता है।

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