मित्रता Class 8th Hindi Chapter-3 Ncert Question answer
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लिखें-
1.आप किस प्रकार कह सकते है की मित्रों के चुनाव की उपयुक्त पर हमारे जीवन की सफलता निर्भर करती है?
उत्तर-मित्रों के चुनाव की उपयुक्त पर हमारे जीवन की सफलता पर हमारे जीवन की सफलता निर्भर करती है क्योंकि संगीत का गुप्त प्रभाव हमारे आचरण पर पड़ता है और यदि हमें अच्छी संगति अच्छे मित्र मिलते है तो वे हमें सफलता की ओर ले जाते है जबकि बुरी संगति हमारे जीवन को खाक में मिला देती है।
2.विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषध है। आश्य स्पष्ट करें।
उत्तर-विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषध है-ऐसा इसलिए कहा गया है कि यदि हमें विश्वासी मित्र मिल गया तो अपने जीवन में चाहे जैसे भी कदम की आलोचलना करके वह हमें सही दिशा की ओर उन्मुख करेगा। हम अपनी गलती रूपी बीमारी को उसकी आलोचलना रूपी औषधि से दूर कर सकेंगे।
3.मित्र का चुनाव करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-मित्र का चुनाव करते समय हमें निम्नांकित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(i)हमारे अच्छे विचारों (सकल्पों)को दृढ़ करने वाला है।
(ii)हमें दोषों और त्रुटियों से बचाए।
(iii)हमारे सत्य पवित्रता और मर्यादा के प्रति प्रेम को पुष्ट करें,
(iv)जब हम जीवन मार्ग में मतोत्साहित हो, तो हमें उत्साहित करें।
(v)वह बुद्धिमान हो और हमारे आनंद में सम्मिलित हो,
(vi)हमें कर्तव्य पथ की ओर अग्रसर करने वाला हो।
4.सच्ची मित्रता में उत्तम वैध की-सी विपुनता और परख होती है, अच्छी-से अच्छी माता का-सा धैर्य और कोमलता होती है। इस पंक्ति के आधार पर अच्छे मित्र की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-इस पंक्ति में एक अच्छे मित्र को वैध की सी विपुनता और परखवाला बताया गया है। जिस प्रकार एक वैध रोग को आसानी से जान लेता है। और रोग की प्रकृति ओर संक्रामकता के अनुसार इलाज करता है। इलाज में चाह उसे कड़वी दवा देनी हो तब भी नहीं हिचकता, उसी प्रकार मित्र को भी कठोर निर्णय लेने में नहीं हिचकना चाहिए ओर अपनी आलोचना रूपी दवासे मित्र का भला करना चाहिए। मित्र में मॉं जैसा धैर्य होना चाहिए ताकि तब धैर्यपूर्वक मित्र को सच्चे मार्ग की ओर उन्मुख कर सके। मित्र में कोमलता भी होनी चाहिए, क्योंकि कोमल स्वभाववाला ही किसी के दुःख से प्रवित हो सकता है और उसके दुःख को अपना दुःख समझते हुए दुःख को दूर कर सकता है।
5.हमारा विवेक कुंठित न हो, इसके लिए हमें क्या-क्या प्रयास करना चाहिए?
उत्तर-हमारा विवेक कुंठित न हो, इसके लिए हमें सर्वप्रथम बुरे लोगों से मित्रता नहीं करनी चाहिए, जो अश्लील, अपवित्र और फूहड़ बातों से हमें हँसना चाहा क्योंकि ऐसी बातों को यदि हम आरंभ में एक सामान्य बात समझ लें तो धीरे-धीरे उन बुरी बातों में अभ्यस्त होते-होते हमारी घृणा कम हो जाएगी, जिससे हमारे विवेक कुंठित हो जाएगा और हमें भले-बुरे की पहचान न रह जाएगी।अत: हमें बुरी संगति से बचना चाहिए।
6.लेखक ने युवा पुरुष के लिए कुसंगति और अच्छी संगति को किस-किस के समान माना है? उसने ऐसा क्यों माना है?
उत्तर-लेखक ने युवा पुरुष के लिए कुसंगति को पैरों में बँधी चक्की के समान तथा अच्छी संगति को सहारा देनेवाली बाहु के समान माना है। लेखक ने युवा पुरुष के लिए कुसंगति को पैरों में बँधी चक्की के समान इसलिए माना जाता है कि जिस प्रकार पैरों में बँधी चक्की व्यक्ति को निरंतर गड्ढे या नीचे की ओर ले जाती है, उसी प्रकार कुसंगति भी व्यक्ति को अवनति के गड्ढे या तर्ग में गिरती जाती है। वही अच्छी संगति व्यक्ति को सहारा की ओर अग्रसर करती है।
7.आप किस तरह के लोगों से मित्रता करना चाहेंगे? कारण सहित लिखे।
उत्तर-हम उत्तम संकल्पों से युक्त एवं दृढ़ लोगों से मित्रता करना चाहेंगे जो हमें दोषों और त्रुटियों से हमें बचाएंगे। हमारे पुष्प करेंगे। जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे तब वे हमें सचेत करेंगे। जब हम हतोत्साहित होंगे, तब हमें उत्साहित करेंगे।तात्पर्य यह है कि हम उस तरह के लोगों से मित्रता करना चाहेंगे जो हमें उत्तमता पूर्वक जीवन निर्वाह करने में हर तरह से सहायता देंगे।
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