तालाब बाँधता धरम सुभाव Class 8 Chapter 18 Ncert Question answer
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लिखें-
1.तालाबों को 'धरम सुभाव' क्यों कहा गया है?
उत्तर-तालाबों को लोक कल्याण करनेवाले उनके स्वभाव के काराण 'धरम सुभाव' कहा गया है।
2.छात्रसाल अपने बेटे जगतराज से क्यों नाराज हुए।
उत्तर-छात्रसाल अपने बेटे जगतराज से इसलिए नाराज हुई क्योंकि उसने बीजक (सूत्र संकेत) की सूचना के अनुसार खजाना खोद निकाला था।
3.छेर-छेरा त्योहार क्या है? यह किस राज्य में मनाया जाता है?
उत्तर-पूस माह की पूर्णिमा पर मनाया जावेवाला पर्व छेर-छेरा में लोगों के दल निकलते है, घर-घर जाकर गीत गाते हैं और ग्रहस्थ से धन एकत्र करते हैं। हरेक घर अपने सामथ्र्य से धान का दान करता है। इसी कोष से आनेवाले दिनों में तालाब और अन्य सार्वजनिक स्थानों की मरम्मत और नए काम पूरे किए जाते हैं। छेर-छेरा त्योहार में मनाया जाता है।
4.जो समाज को जीवन दे'-इस वाक्य का क्या आशय है?
उत्तर-'जो समाज को जीवन दे'-इस वाक्य का आशय है कि जो दूसरे को जीवन दे सकता है, वह निर्जीव नहीं हो सकता अर्थात् उसमें भी जीवन अवश्य है। भारतीय समाज में तालाब में जीवन की कल्पना भी की गई है। उसका प्राण-प्रतिष्ठा समरोह
5.बिंदुसार कैसे बना!?यह कहाँ पर स्थित है?
उत्तर-लोगों की मान्यता है कि कोई तालाब अकेला नहीं है। वह भरे-पूरे जल परिवार का एक सदस्य है। उसमें सबका पानी है और उसका पानी सब में है। ऐसी ही मान्यता रखनेवालों ने एक ऐसा तालाब बना दिखा, जिसका नाम बिंदुसागर (जगन्नाथपुरी) है।यह जुड़े हुए भारत का प्रतिक है, जिसमें दूर-दूर से अलग-अलग दिशाओं से पूरी आनेवाले भक्त अपने साथ अपने क्षेत्र का थोड़ा-सा पानी ले आते हैं और उसे बिंदुसागर में अर्वित कर देते है।
6.'तालाब बाँधता धरम सुभाव' पाठ के आधार पर तालाब के लाभों का वर्णन करें।
उत्तर-तालाब के अनेक लाभ है।तालाब जल का भंडारण धरती के नीचे के जल-स्तर को ऊँचा बनाए रखने में उपयोगी है। तालाब से जल संकट से बचा जा सकता है। तालाब से किसी गाँव की समृध्दि का भी पता लगाया जा सकता है। तालाब के जल-स्तर को देखकर आनेवाले समय की भविष्यवाणी की जा सकती है। वनवासी समाज में तो तालाब का स्थान मन पर ही नहीं वरन तन पर भी है। उनके जीवन को एक अनिवार्य अंग तालाब हैं जिसके माध्यम से वे अपना जीवन यापन करते हैं।
7.अमावस और पनों के दिन किस प्रकार के सार्वजनिक हित वाले कार्य किए जाते थे?
उत्तर-अमावस और पनों के दिन पुराने समाजों में सार्वजनिक काम से जुड़ने का विधान रहा है। इन दोनों दिन किसान अपने खेत में काम नहीं करते थे। बल्कि इन दोनों दिन लोग अपने क्षेत्र के तालाब आदि का देखरेख व मरम्मत किया करते थे।सार्वजनिक हित में श्रामदान करते थे। तालाब के हित धान या पैसा एकत्र करते थे।
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