Ashadh Gupt Navratri आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर निबंध Ashadh Gupt Navratri Essay in Hindi

Ashadh Gupt Navratri Ashadh Gupt Navratri Essay in Hindi आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर निबंध

Ashadh Gupt Navratri Ashadh Gupt Navratri Essay in Hindi आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर निबंध

Ashadh Gupt Navratri Ashadh Gupt Navratri Essay in Hindi आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर निबंध
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारत में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह नवरात्रि त्योहार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है, जिसे आषाढ़ नवरात्रि भी कहा जाता है। इस त्योहार का महत्वपूर्ण अवसर है जब मां दुर्गा की पूजा की जाती है और उन्हें नौ रूपों में पूजा जाता है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान लोग नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा और आराधना करते हैं। हर दिन एक रूप की पूजा के बाद लोग भक्ति और श्रद्धा के साथ मां दुर्गा के गुणों और महत्व का पाठ करते हैं। इसके अलावा, यज्ञ, हवन, भजन, कीर्तन और माता के भजनों का आयोजन भी किया जाता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की कथा:
कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब दुर्योधन राज्य का शासक था और भगवान कृष्ण द्वारा सहायता प्राप्त करने के लिए पांडवों को उनका प्रयास करना था। दुर्योधन द्वारा पांडवों को कई दुष्ट प्रकरणों में धकेला गया और उन्हें अन्याय का सामना करना पड़ा।

पांडवों को अपने अधिकार को पुनः प्राप्त करने के लिए भगवान कृष्ण ने उन्हें अद्भुत और रहस्यमयी उपाय बताया। वे बताए गए उपाय के अनुसार, पांडवों को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में नवरात्रि के नौ दिनों तक अपनी प्रार्थना,उपासना और व्रत करने की आवश्यकता थी। इस प्रकार, पांडवों ने दुर्योधन की सत्ता के खिलाफ लड़ाई में अपने अधिकार को पुनः प्राप्त किया।

इसीलिए, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में हिन्दू विश्वास है कि इसका उपयोग नये शुरुआतों को आरंभ करने, सफलता प्राप्त करने, नवचेतना का जागरण करने और नए कार्यों की शुरुआत करने के लिए किया जा सकता है। यह नवरात्रि अपने मन को संकल्पित करने, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त करने और अपने जीवन को सामर्थ्यपूर्ण बनाने का एक महान अवसर प्रदान करती है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में, देवी दुर्गा के नौ रूप:
1.शैलपुत्री
2.ब्रह्मचारिणी
3.चंद्रघंटा
4.कूष्मांडा
5.स्कंदमाता
6.कात्यायनी
7.कालरात्रि
8.महागौरी
9.सिद्धिदात्री

ये नौ देवियाँ आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में पूजी जाती हैं। प्रत्येक देवी का अपना विशेष महत्व होता है और उन्हें उचित रूप से पूजन करना चाहिए।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में, देवी दुर्गा के किस दिन किस देवी की पूजा की जाती हैं। ये नौ देवीयाँ हैं:

1.शैलपुत्री: पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

2. ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।

3. चंद्रघंटा: तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती हैं। 

4. कूष्मांडा: चौथी दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती हैं। 

5. स्कंदमाता: पांचवे दिन देवी स्कंदमाता पूजा की जाती हैं। 

6. कात्यायनी: छठे दिन देवी कात्यायनी पूजा की जाती हैं।

7. कालरात्रि: सातवें दिन देवी कालरात्रि पूजा की जाती हैं।

8. महागौरी: आठवीं दिन देवी महागौरी पूजा की जाती हैं।

9. सिद्धिदात्री: नौवीं दिन देवी सिद्धिदात्री पूजा की जाती हैं। 

ये नौ देवियाँ आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में पूजी जाती हैं। प्रत्येक देवी का अपना विशेष महत्व होता है और उन्हें उचित रूप से पूजन करना चाहिए।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि:
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि उत्सव हिंदू धर्म में मान्यता प्राप्त है और इसे उत्साह से मनाया जाता है। यह नवरात्रि का एक खास अवधि है जो आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आती है। इस नवरात्रि की पूजा विधि में निम्नलिखित कदम हो सकते हैं:

1.स्नान: नवरात्रि के प्रारंभ में, आपको स्नान करना चाहिए। इससे शुद्धता और पवित्रता का आभास होता है।

2.कलश स्थापना: एक कलश लें और उसे शुद्ध जल से भरें। इस कलश को पूजा स्थल पर स्थापित करें। कलश के ऊपर एक सप्तधातु का लोटा रखें और उसमें सुपारी, पंचामृत, मिश्री, गंगाजल, सिन्दूर, हल्दी आदि डालें। कलश के चारों ओर रक्षा सूत्र बांधें।

3.देवी का आवाहन: नवरात्रि के प्रत्येक दिन, देवी का आवाहन करें। मंत्रों द्वारा माता को आमंत्रित करें और उनकी कृपा की प्रार्थना करें।

4.पूजा का समय: नवरात्रि के प्रत्येक दिन, सुबह और शाम को पूजा का समय निर्धारित करें। इस समय में अपने पूजा स्थल पर बैठें और माता की पूजा करें।

5.आरती: माता की पूजा के बाद, उनकी आरती करें। धूप, दीपक, गुग्गुल, और गंध की सहायता से आरती करें।

6.भोग: माता को भोग चढ़ाएं। माता के प्रिय भोजन को प्रस्तुत करें, जैसे चावल, पूरी, हलवा, मिठाई आदि। उनको प्रसाद के रूप में भोग चढ़ाना न भूलें।

7.भजन-कीर्तन: नवरात्रि में भजन और कीर्तन का अत्यंत महत्व होता है। माता के भजन गाएं और उनकी महिमा को याद करें।

8.व्रत और उपवास: नवरात्रि में आप अपने व्रत और उपवास का पालन कर सकते हैं। यह आपकी श्रद्धा और पूर्णता को दर्शाता है।

यहां दी गई पूजा विधि आपको आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान माता की पूजा करने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करती है। आप इन निर्देशों का पालन करके नवरात्रि के उत्सव को और भी अद्यात्मिक बना सकते हैं।


*माँ दुर्गा आरती Durga Maa Aarti*

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।

जय अम्बे गौरी,…।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।

जय अम्बे गौरी,…।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।

जय अम्बे गौरी,…।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी। सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।

जय अम्बे गौरी,…।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।

जय अम्बे गौरी,…।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।

जय अम्बे गौरी,…।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे। मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

जय अम्बे गौरी,…।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी। आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।

जय अम्बे गौरी,…।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू। बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

जय अम्बे गौरी,…।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

जय अम्बे गौरी,…।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

जय अम्बे गौरी,…।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

जय अम्बे गौरी,…।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै। कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।


आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आयोजन:
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आयोजन भारत में विभिन्न राज्यों में भी अलग-अलग रूपों में होता है। कुछ स्थानों पर इसे जगन्नाथ यात्रा के रूप में मनाया जाता है, जहां मां दुर्गा की विग्रह को रथ पर निकालकर यात्रा की जाती है। इसके अलावा, उत्सवी प्रदर्शनी, मेले, नृत्य, संगीत और नाटिका का आयोजन भी होता है जो लोगों को आनंद और मनोरंजन का अवसर प्रदान करता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का महत्व:
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का महत्व हिन्दू धर्म में विशेष है। इसे मनाने से लोगों को आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति का अनुभव होता है। यह त्योहार लोगों को साहस, शक्ति, और अच्छाई की प्रेरणा देता है और उन्हें नए आदर्शों और साधनों की प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित करता है। यह भक्ति, संगठन और समरसता की भावना को स्थापित करता है और समाज में एकता और समरसता का माहौल बनाने में मदद करता है।

इस प्रकार, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि हिन्दू समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय त्योहार है जो धार्मिक और सामाजिक एकता को प्रमोट करता है और लोगों को मां दुर्गा के आशीर्वाद की प्राप्ति का अवसर प्रदान करता है।

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