अम्ल क्षारक और लवण Science Class 7 Chapter 5 Ncert Solutions
अम्ल क्षारक और लवण Science Class 7 Chapter 5 Ncert Solutions
1.अम्लों और क्षारकों के बीच अंतर बताइए।
Ans-अम्लों (Acids) और क्षारकों (Bases) दो प्रकार के रासायनिक पदार्थ हैं जो एक दूसरे से अंतर्भूत होते हैं। ये दोनों पदार्थ pH मान के आधार पर पहचाने जाते हैं। निम्नलिखित हैं अम्लों और क्षारकों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर:
(i).रसायनिक स्वभाव: अम्ल एक रसायनिक पदार्थ होते हैं जो हाइड्रोजन आयन (H+) को उत्पन्न करते हैं। क्षारक भी रसायनिक पदार्थ होते हैं, जो हाइड्रोक्साइड आयन (OH-) को उत्पन्न करते हैं।
(ii).pH मान: अम्लों का pH मान 0 से 7 तक होता है। pH मान 7 न्यूट्रल होता है, जबकि क्षारकों का pH मान 7 से 14 तक होता है।
(iii).रासायनिक प्रतिक्रिया: अम्लों का मुख्य लक्ष्य होता है हाइड्रोजन आयन (H+) समर्पित करना, जबकि क्षारकों का मुख्य लक्ष्य होता है हाइड्रोक्साइड आयन (OH-) समर्पित करना।
(iv).रासायनिक गुणधर्म: अम्लों की स्वाद खट्टा होता है और वे रंगत बदलते हैं। क्षारकों का स्वाद तीखा होता है और वे रंगत नहीं बदलते हैं।
(v).वातावरणीय प्रभाव: अम्ल वातावरण में प्रायः अपार्थित होते हैं, जबकि क्षारक वातावरण में आसानी से प्राप्त हो सकते हैं।
ये थे कुछ महत्वपूर्ण अंतर अम्लों और क्षारकों के बीच। इन दोनों के प्रकार और गुणधर्मों का अध्ययन रासायनिक रीढ़ की प्रभावी परिभाषाओं, उदाहरणों और उनके उपयोगों को समझने में मदद करता है।
2.अनेक घरेलू उत्पादों, जैसे खिड़की साफ़ करने के मार्जकों आदि में अमोनिया पाया जाता है। ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। इनकी प्रकृति क्या है?
Ans-अमोनिया (Ammonia) और लाल लिटमस (Red Litmus) दोनों रसायनिक पदार्थ हैं जो विभिन्न प्रक्रियाओं में उपयोग होते हैं। इनकी प्रकृति के बारे में निम्नलिखित विवरण है:
(i).अमोनिया: अमोनिया (NH₃) एक गैस होता है जो शर्करा, गोबर, मल और अन्य जीवाश्म से उत्पन्न होता है। यह एक अच्छी गंध वाला, शुद्ध और शक्तिशाली उर्वरक है। अमोनिया ज्यादातर उद्योगों में उपयोग होता है, जैसे कि कीटनाशकों, उर्वरकों, औषधीय उत्पादों, और घरेलू कार्यों में सफाई के लिए।
(ii).लाल लिटमस: लाल लिटमस एक प्रकाशकार रंगीन छानबीन का एक परत होता है जो लिची वृक्ष की पत्तियों से प्राप्त किया जाता है। यह नीले और लाल रंग के प्रदर्शन कर सकता है। लाल लिटमस अवांछित (अदांयक) होता है, जिसका मतलब है कि जब इसे एक अम्ल के साथ प्रयोग किया जाता है, तो यह नीले रंग में परिवर्तित हो जाता है।
इस प्रकार, अमोनिया एक उर्वरक है जो साफ़ करने और अन्य उद्योगों में उपयोग होता है, जबकि लाल लिटमस एक इंडिकेटर होता है जो रसायनिक प्रयोगों में रंग परिवर्तन का संकेत करता है।
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3.उस स्रोत का नाम बताइए, जिससे लिटमस विलयन को प्राप्त किया जाता है। इस विलयन का क्या उपयोग है?
Ans-लाल लिटमस विलयन को "लिटमस पत्थर" नामक एक प्राकृतिक पदार्थ से प्राप्त किया जाता है। यह पत्थर लिची वृक्ष (Roccella tinctoria) के पत्तों से प्राप्त होता है।
लाल लिटमस विलयन का प्रयोग रसायनिक प्रयोगों में इंडिकेटर के रूप में किया जाता है। यह एक प्रदर्शक होता है जो एक पदार्थ के pH मान को जांचने के लिए उपयोग किया जाता है। जब लाल लिटमस विलयन एक अम्लीय पदार्थ के साथ मिलता है, तो यह नीले रंग में परिवर्तित हो जाता है, जबकि यदि यह किसी क्षारकीय पदार्थ के साथ मिलता है, तो उसे कोई परिवर्तन नहीं होता है। इसके माध्यम से, विज्ञानियों और रसायनज्ञों को विभिन्न पदार्थों के pH मान का मापन करने में मदद मिलती है।
4.क्या आसुत जल अम्लीय/क्षारकीय/उदासीन होता है? आप इसकी पुष्टि कैसे करेंगे।
Ans-आसुत जल या मिट्टी का पानी उदासीन होता है, यानी यह न तो अम्लीय होता है और न ही क्षारकीय। इसकी पुष्टि शरीरिक या रसायनिक परीक्षण द्वारा की जा सकती है।
शरीरिक परीक्षण के लिए, आप मिट्टी के पानी को उच्चतम गुणवत्ता वाले एक विशेष परीक्षण प्रयोगशाला या रोग विज्ञानी के पास भेज सकते हैं। वे प्रयोगशाला या व्यक्ति आपके नमूने को विभिन्न रसायनिक परीक्षण विधियों के माध्यम से जांचेंगे और आपको बताएंगे कि आपके नमूने में कोई अम्लीय या क्षारकीय तत्व हैं या नहीं।
रसायनिक परीक्षण के लिए, आप रसायनज्ञों की सहायता ले सकते हैं जो आपके नमूने को विशेष परीक्षण विधियों के माध्यम से जांचेंगे। इन परीक्षणों में वे प्रोटोन के साथ इंटरैक्शन करने की क्षमता, pH स्तर, आयन विन्यास, और अन्य रासायनिक गुणधर्मों की जांच कर सकते हैं और आपको नतीजे दे सकते हैं।
इन दोनों तरीकों के माध्यम से, आप आसुत जल की पुष्टि कर सकते हैं और यह जान सकते हैं कि यह अम्लीय, क्षारकीय, या उदासीन है।
5.उदासीनीकरण के प्रक्रम को एक उदाहरण देते हुए समझाइए।
Ans-एक उदाहरण के रूप में, हम एक उदासीनीकरण प्रक्रम के माध्यम से जीवाश्म को देख सकते हैं। जीवाश्म, जो मृत प्राणी या वनस्पति के अवशेष होते हैं, अम्लीय प्रदूषण का एक स्रोत हो सकते हैं। इसे उदासीन करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का उपयोग किया जा सकता है:
(i).सामग्री का चयन: जीवाश्म को उदासीन करने के लिए, हम सामग्री का चयन करते हैं जो उसे उदासीन कर सके। एक उदासीनीकरण प्रक्रम में, हम एक उदासीनकरण यंत्र का उपयोग कर सकते हैं जो विशेष रसायनिक या बायोलॉजिकल तत्वों का उपयोग करके उदासीनीकरण प्रक्रिया को संचालित करता है।
(ii).प्रक्रिया की शुरुआत: उदासीनीकरण प्रक्रिया की शुरुआत में, जीवाश्म को उदासीन करने के लिए उदासीनकरण यंत्र में सामग्री को डाला जाता है। यह सामग्री उदासीनीकरण यंत्र के अंदर उत्पन्न अम्लीय प्रदूषण को खत्म करने की क्षमता रखती है।
(iii).विभाजन: उदासीनीकरण प्रक्रिया में, सामग्री को विभाजित किया जाता है ताकि उसके अम्लीय प्रदूषण को नष्ट किया जा सके। यह विभाजन प्रक्रिया रसायनिक या बायोलॉजिकल तत्वों के माध्यम से हो सकती है जो उदासीनीकरण यंत्र में मौजूद होते हैं।
(iv).परिष्कृत उत्पादन: उदासीनीकरण प्रक्रिया के अंत में, उदासीन की गई सामग्री को परिष्कृत किया जाता है ताकि इसे सुरक्षित और पर्यावरण के लिए अवशेष को नष्ट किया जा सके। परिष्कृत उत्पाद आमतौर पर नष्ट होने योग्य होता है और पर्यावरण में कोई अशुद्धि नहीं छोड़ता है।
यह उदाहरण उदासीनीकरण की प्रक्रिया का सामान्य विवरण है और वास्तविक प्रक्रिया उदाहरण के अनुसार भिन्न हो सकती है। उदासीनीकरण प्रक्रिया विभिन्न पदार्थों के लिए अलग-अलग होती है और उनके अनुसार विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
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6.निम्नलिखित कथन यदि सही हैं, तो (T) अथवा गलत हैं, तो (F) लिखिए।
(क)नाइट्रिक अम्ल लाल लिटमस को नीला कर देता है।(F)
(ख)सोडियम हाइड्रॉक्साइड नीले लिटमस को लाल कर देता है।(F)
(ग)सोडियम हाइड्रॉक्साइड और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक-दूसरे को उदासीन करके लवण और जल बनाते हैं।(T)
(घ)सूचक वह पदार्थ है, जो अम्लीय और क्षारकीय विलयनों में भिन्न रंग दिखाता है।(T)
(च)दंत क्षय, क्षार की उपस्थिति के कारण होता है।(F)
(क)नाइट्रिक अम्ल लाल लिटमस को नीला कर देता है।(F)
(ख)सोडियम हाइड्रॉक्साइड नीले लिटमस को लाल कर देता है।(F)
(ग)सोडियम हाइड्रॉक्साइड और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक-दूसरे को उदासीन करके लवण और जल बनाते हैं।(T)
(घ)सूचक वह पदार्थ है, जो अम्लीय और क्षारकीय विलयनों में भिन्न रंग दिखाता है।(T)
(च)दंत क्षय, क्षार की उपस्थिति के कारण होता है।(F)
7.दोरजी के रैस्टोरेन्ट में शीतल (मृदु) पेय की कुछ बोतलें हैं। लेकिन दुर्भाग्य से वे चिह्नित नहीं हैं। उसे ग्राहकों की माँग के अनुसार पेय परोसने हैं। एक ग्राहक अम्लीय पेय चाहता है, दूसरा क्षारकीय और तीसरा उदासीन पेय चाहता है। दोरजी यह कैसे तय करेगा, कि कौन-सी बोतल किस ग्राहक को देनी है।
Ans-यहां कुछ संभावित तरीके हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है:-
जिस बोतल के पेय से नीला लिटमस पत्र लाल हो जाए तो उसका स्वभाव अम्लीय होगा। जिस बोतल के पेय से लाल लिटमस पत्र नीला हो जाए, उस बोतल के पेय का स्वभाव क्षारकीय होगा।
8.समझाइए, एेसा क्यों होता हैः
(क) जब आप अतिअम्लता से पीड़ित होते हैं, तो प्रतिअम्ल की गोली लेते हैं।
(ख) जब चींटी काटती है, तो त्वचा पर कैलेमाइन का विलयन लगाया जाता है।
(ग) कारखाने के अपशिष्ट को जलाशयों में बहाने से पहले उसे उदासीन किया जाता है।
(क) जब आप अतिअम्लता से पीड़ित होते हैं, तो प्रतिअम्ल की गोली लेते हैं क्योंकि प्रतिअम्ल (अल्काली) अम्ल के खारिज करने का कार्य करता है। यह अम्ल तत्व आपके शरीर में मौजूद अतिअम्ल को न्यूट्रलाइज करके उसके प्रभाव को कम करता है। इसके परिणामस्वरूप, आपको अतिअम्लता से होने वाली तकलीफ में राहत मिलती है।
(ख) जब चींटी काटती है, तो त्वचा पर कैलेमाइन का विलयन लगाया जाता है। कैलेमाइन एक प्रकार का एमोनिया होता है जो चींटी की काटने के परिणामस्वरूप उद्भव होता है। यह उदासीन किया जाता है ताकि चोट के स्थान पर आपके त्वचा में जलन और दर्द कम हो और संक्रमण की संभावना कम हो जाए। त्वचा पर कैलेमाइन का विलयन लगाने से ज्यादातर लोगों को त्वचा की कटने के पश्चात आने वाली तकलीफ में राहत मिलती है।
(ग) कारखाने के अपशिष्ट को जलाशयों में बहाने से पहले उसे उदासीन किया जाता है। इसका कारण यह है कि अपशिष्ट में रहने वाले कारबनेटेड और अमोनिया सम्मिश्रित यूष्माग्रस्त पदार्थ पानी की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं और जलाशयों की मानदंडों को प्रभावित कर सकते हैं। उदासीनीकरण इस प्रक्रिया का एक हिस्सा है जिसमें अपशिष्ट को उदासीन करके उसके प्रभाव को कम कर दिया जाता है, जिससे पानी की गुणवत्ता पर अवरोध नहीं होता और जलाशय और नदियों को प्रदूषण से बचाया जा सकता है।
9.आपको तीन द्रव दिए गए हैं, जिनमें से एक हाइड्रोक्लोरिक अम्ल है, दूसरा सोडियम हाइड्रॉक्साइड और तीसरा शक्कर का विलयन है। आप हल्दी को सूचक के रूप में उपयोग करके उनकी पहचान कैसे करेंगे?
Ans-हल्दी को सूचक के रूप में उपयोग करके तीनों द्रवों की पहचान करने के लिए निम्नलिखित कदम अनुसरण कर सकते हैं:
(i).हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (Hydrochloric Acid): हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक अम्ल है जिसमें सुगंध नहीं होती है। इसका प्रयोग विभिन्न विज्ञानिक प्रयोगों में होता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को हल्दी के साथ मिश्रित करने पर, हल्दी का रंग बदलने की कोई प्रभाव नहीं होगा।
(ii).सोडियम हाइड्रॉक्साइड (Sodium Hydroxide): सोडियम हाइड्रॉक्साइड एक क्षारक है जिसका गंध नहीं होता है। इसका प्रयोग विभिन्न रसायनिक प्रयोगों में होता है। जब हल्दी को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ मिश्रित किया जाता है, तो हल्दी का रंग नीला हो जाता है।
(iii).शक्कर का विलयन (Sugar Solution): शक्कर का विलयन मीठा होता है और इसका प्रयोग खाद्य पकवान और मिठाई बनाने में होता है। जब हल्दी को शक्कर के साथ मिश्रित किया जाता है, तो हल्दी का रंग पीला या गहरा हो जाता है।
इस प्रकार, हल्दी को सूचक के रूप में उपयोग करके आप हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सोडियम हाइड्रॉक्साइड और शक्कर का विलयन पहचान सकते हैं।
10.नीले लिटमस पत्र को एक विलयन में डुबोया गया। यह नीला ही रहता है। विलयन की प्रकृति क्या है? समझाइए।
Ans-नीले लिटमस पत्र को एक विलयन (solution) में डुबोया जाता है जिससे यह नीला हो जाता है। विलयन एक प्रकार का मिश्रण होता है जिसमें दो या अधिक पदार्थों को मिलाकर एक समान रूप से फैलाया जाता है।
विलयन में, एक पदार्थ (सोल्यूट) दूसरे पदार्थ (सॉल्वेंट) में विलीन हो जाता है। सॉल्वेंट एक अधिकतम रुप से मिश्रण का हिस्सा होता है और सोल्यूट को विलीन करता है ताकि दोनों पदार्थ संघटित हों और एक नया उत्पाद बनाएं।
नीले लिटमस पत्र का विलयन एक ऐसे सॉल्वेंट में किया जाता है जो नीले रंग के विलीन को संघटित करता है। इस प्रक्रिया में, विलयन में मिलाए गए पदार्थों के रासायनिक विशेषताओं के कारण, नीले लिटमस पत्र का रंग नीला ही रहता है। यह विलयन प्रक्रिया पिगमेंट के रासायनिक गुणों का प्रभाव होता है जो रंग को स्थिर रूप से बदलते हैं।
इस प्रकार, नीले लिटमस पत्र को विलयन में डुबाने से यह नीला रंग प्राप्त करता है और इसे उपयोग कर के अम्लीय और क्षारकीय पदार्थों का मापन किया जा सकता है।
11. निम्नलिखित वक्तव्यों को ध्यान से पढ़ेंः
(क)अम्ल और क्षारक दोनों सभी सूचकों के रंगों को परिवर्तित कर देते हैं।
(ख)यदि कोई सूचक अम्ल के साथ रंग परिवर्तित कर देता है, तो वह क्षारक के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता।
(ग)यदि कोई सूचक क्षारक के साथ रंग परिवर्तित करता है, तो वह अम्ल के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता।
(घ)अम्ल और क्षारक में रंग परिवर्तन सूचक के प्रकार पर निर्भर करता है।
ऊपर लिखे वक्तव्यों में से कौन-से वक्तव्य सही हैं?
(i) सभी चार
(ii) (क) और (घ)
(iii) (ख) (ग) और (घ)
(iv) केवल (घ)
Ans-(iv) केवल (घ)
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Science 7