नागार्जुन का जीवन परिचय Nagarjun ka Jivan Parichay Biography of Nagarjuna the Indian poet
लेखक का नाम—वैद्यनाथ मिश्र
जन्म—11 जून सन् 19 11
जन्म स्थान—गाँव सतलखा, जिला मधुबनी, राज्य बिहार
पिता—गोकुल मिश्र
माता—श्रीमती उमादेवी
पत्नी—अपराजिता देवी
नागार्जुन का जन्म:-
नागार्जुन हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि एवं लेखक रहे हैं।नागार्जुन का जन्म 11 जून सन् 1911 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गोकुल मिश्र तथा माता का नाम श्रीमती उमादेवी था। वे बचपन से ही लेखन के प्रति रुचि रखते थे और अपने कविताएं अपने दोस्तों के साथ साझा किया करते थे।उन्हें आधुनिक हिंदी कविता के महान कवि माना जाता है और उनकी कविताओं में समाजिक, राजनैतिक, आंतर्जालिक और व्यक्तिगत विषयों का विस्तारपूर्वक विचार किया गया है।
नागार्जुन की शिक्षा:-
नागार्जुन की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी।उनको किताबों से बहुत ज्यादा लगाव था।नागार्जुन जो की ब्राह्मण परिवार से थे जिसके कारण उनकी संस्कृत विषय पर पकड़ बहुत अच्छी थी।नागार्जुन की स्कूली शिक्षा तरौनी, गनौली और पचगछिया के संस्कृत पाठशाला से हुई थी। नागार्जुन जो कि एक सामान्य परिवार से थे इसलिए उनकी पढ़ाई मिथिलांचल से ही हुई।और उनकी संस्कृत की पढ़ाई हुई थी।
नागार्जुन की पहली कविता:-पहली कविता "राम के प्रति"1935 में विश्वबंधु पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। उनकी प्रथम मैथली कविता बुकलेट है। उसके बाद उनकी कविताएं स्थानीय पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीं। उन्होंने कविता के साथ-साथ नाटक, कहानी, उपन्यास और लघुकथाओं की भी रचनाएं कीं।
नागार्जुन के काव्य में सामाजिक न्याय, अन्याय, धर्म, भाषा, राष्ट्रीयता, जातिवाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार आदि विषयों पर गहरा प्रभाव दिखता है। उनकी कविताओं में उन्होंने अक्सर संवेदनशीलता, विचारशीलता, और अद्वितीय भावनाओं का सजीव प्रयोग किया।
नागार्जुन के सहित्य पुरस्कार:-
नागार्जुन के योगदान को मान्यता देने के लिए उन्हें कई बार पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें सहित्य अकादमी पुरस्कार और साहित्य अकादमी की रत्न पदक सम्मान शामिल हैं। उनके अद्वितीय कवितायों ने हिंदी साहित्य को गहराई और महत्त्वपूर्णता दी है और उन्होंने आधुनिक हिंदी कविता को नई दिशा दी है।
नागार्जुन का साहित्य में योगदान:-
नागार्जुन (नागार्जुना) एक प्रसिद्ध भारतीय बौद्ध दार्शनिक और कवि थे। वह भारतीय बौद्धवाद के महान बौद्ध सिद्धान्तों के प्रभावशाली वक्ताओं में से एक माने जाते हैं। उनकी रचनाएँ विभिन्न भाषाओं में लिखी गई हैं, परंतु उनकी मुख्य रचनाएँ संस्कृत में हैं। उनके साहित्य का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान भारतीय बौद्धवाद के विकास में हुआ है।
नागार्जुन के मशहूर रचना:-
नागार्जुन की मशहूर रचना "मध्यमिक शास्त्र" है, जिसे "मध्यमिककारिका" भी कहा जाता है। इस ग्रंथ में वे सुनिश्चित करते हैं कि सबकुछ शून्यता (शून्यवाद) से उत्पन्न होता है और सब धार्मिक और दार्शनिक सिद्धांतों की सत्यता शून्यता के आधार पर ही मान्य होती है। इस ग्रंथ में उन्होंने अनात्मता और सभी धार्मिक प्रतीतियों के मिथ्यात्व का विश्लेषण किया है।
नागार्जुन के साहित्य ने भारतीय बौद्धवाद को गहराई से विचार करने और समझने का मार्ग प्रदान किया है। उनके ग्रंथों ने अनेक बौद्ध और दार्शनिक परंपराओं को प्रभावित किया है और आधुनिक विचारधारा में भी महत्वपूर्ण योगदान किया है। उनकी विचारधारा ने न केवल भारतीय दार्शनिक संस्कृति को विकसित किया है, बल्कि विश्व धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं को भी प्रभावित किया है।
नागार्जुन के कविताएं:-
- हज़ार-हज़ार बाहों वाली / नागार्जुन
- सतरंगे पंखोवाली / नागार्जुन
- खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
- युगधारा / नागार्जुन
- इस गुब्बारे की छाया में / नागार्जुन
- मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा / नागार्जुन
- अपने खेत में / नागार्जुन
- भूल जाओ पुराने सपने / नागार्जुन
नागार्जुन के उपन्यास:-
- गरीबदास(1989)
- रतिनाथ की चाची (1948)
- पारो (1975)
- नई पौध (1953)
- इमरतिया (1968)
- बाबा बटेरसनाथ (1954)
- उग्रतारा (1963)
- दुखमोचन (1957)
- हिरक जयंती (1961)
- वरुण के बेटे (1957)
नागार्जुन के कविता संग्रह:-
युगधारा (1953)
सतरंगे पंखोंवाली (1959)
प्यासी पथराई आँखें (1962)
तालाब की मछलियाँ (1974)
खिचड़ी विप्लव देखा हमने (1980)
तुमने कहा था (1953)
हजार-हजार बाँहोंवाली (1981)
आखिर ऐसा क्या कह दिया मैने (1982)
पुरानी जूतियों का कोरस (1983)
रत्नगर्भ (1984)
ऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या! (1985)
इस गुब्बारे के छाया में (1990)
भूल जाओ पुराने सपने (1994)
पका है यह कटहल, अपने खेत में (1997)मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा
अन्य कवि का जीवनी
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