अपवाह तंत्र Class 11 Geography Chapter 3 Notes

अपवाह तंत्र Class 11 Geography Chapter 3 Notes in Hindi

अपवाह तंत्र Class 11 Geography Chapter 3 Notes in Hindi

अपवाह तंत्र Class 11 Geography Chapter 3 Notes in Hindi

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए :

(i)निम्नलिखित में से कौन-सी नदी ‘बंगाल का शोक’ के नाम से जानी जाती थी?

(क) गंडक            

(ख) कोसी

(ग) सोन              
(घ) दामोदर 

(ii)निम्नलिखित में से किस नदी की द्रोणी भारत में सबसे बड़ी है?
(क) सिंधु            
(ख) बह्मपुत्र
(ग) गंगा√              
(घ) कृष्णा

(iii)निम्नलिखित में से कौन-सी नदी पंचनद में शामिल नहीं है?
(क) रावी          
(ख) सिंधु
(ग) चेनाब         
(घ) झेलम

(iv)निम्नलिखित में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी में बहती है?
(क) सोन          
(ख) यमुना
(ग) नर्मदा√         
(घ) लूनी

अपवाह तंत्र Class 11 Geography Chapter 3 Notes
2.निम्न में अंतर स्पष्ट करें :
(i)नदी द्रोणी और जल-संभर;
द्रोणी: यह एक ऐसी नदी है जो अपने बेड में नियमित रूप से विसर्जित होती है और निरंतर जल विहार करती है। इसका मतलब होता है कि इस नदी की जल प्रवाह संचालित रहती है और इसके किनारे पर्यटन, कृषि और जीवन का विकास होता है।
जल-संभर: इसका मतलब होता है जल के संग्रहण की एक जगह या बांध। यह एक संरचित संरचना होती है जो जल को रोकती है और उसे संग्रहित करती है, जिससे उपयोग के लिए जल स्टोर किया जा सकता है।
(ii)वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप;
वृक्षाकार: वृक्षाकार अपवाह प्रारूप एक ऐसी प्रकृतिशील संरचना होती है जिसमें जल की प्रवाह एक मुख्य स्रोत से अन्य साधारणतः उपवन या वृक्षों के आस-पास होती है। इसका आकार वृक्ष के ब्रांचों और दालों के समान होता है।
जालीनुमा अपवाह प्रारूप: जालीनुमा अपवाह प्रारूप एक ऐसा प्राकृतिक प्रकार का होता है जिसमें जल की प्रवाह एक जालीनुमा या जालीदार संरचना के माध्यम से होती है। इसमें जल एक जालीदार संरचना के रूप में बहती है, जिससे पानी का गतिविधि माध्यमिक रूप से नियंत्रित होता है। जालीनुमा अपवाह प्रारूप अक्सर वनस्पति विभिन्नताओं के माध्यम से पानी की संचार को सुनिश्चित करता है।
(iii) अपकेंद्रीय और अभिकेंद्रीय अपवाह प्रारूप;
अपकेंद्रीय अपवाह प्रारूप: इसमें जल की प्रवाह एक ही स्रोत से एक ही दिशा में होती है, अर्थात् इसमें जल की प्रवाह का केंद्र एक स्थान पर स्थित होता है। उदाहरण के रूप में, एक छोटी नदी जो एक पर्वत से निकलती है और समुद्र या झील में गिरती है एक अपकेंद्रीय अपवाह प्रारूप होगी।
अभिकेंद्रीय अपवाह प्रारूप: इसमें जल की प्रवाह एक स्रोत से बाहर निकलती है, फिर एक समय के बाद दूसरी दिशा में मुड़ती है और फिर समुद्र या झील में गिरती है। इसका एक उदाहरण नील नदी हो सकता है, जो सुदीर्घ दूरी तय करने के लिए अपनी प्रवाह दिशा बदलती है।
(iv) डेल्टा और ज्वारनदमुख।
डेल्टा: यह एक भूमिगत संरचना है जो नदी के मुख के पास बनती है। जब एक नदी या नदी समुद्र या सागर में मिलती है, तो उसके पानी के आदान-प्रदान के कारण एक बड़ी भूमिगत समूह बनता है जिसे डेल्टा कहा जाता है। यहां पानी स्थिर होता है और सहायक नहरों द्वारा अलग होता है, जिससे उपजाऊ मृदा जमा होती है और वनस्पति विकसित होती है।
ज्वारनदमुख: ज्वारनदमुख वह स्थान है जहां एक नदी समुद्र या सागर में मिलती है और उस स्थान पर जल की प्रवाह अत्यधिक तेजी से होती है। यह वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान होता है क्योंकि यह जल प्रवाह और उच्च प्रदूषण संबंधित मुद्दों का केंद्र हो सकता है।
अपवाह तंत्र Class 11 Geography Chapter 3 Notes
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।
(i)भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के सामाजिक-आर्थिक लाभ क्या हैं?
Ans-भारत में नदियों को आपस में जोड़ने से सामाजिक-आर्थिक लाभ होते हैं। इससे जल संसाधन बढ़ते हैं, पानी का रासायनिक और नैगरिक उपयोग होता है और नदी किनारे कृषि, पर्यटन और परिवहन का विकास होता है।
(ii)प्रायद्वीपीय नदी के तीन लक्षण लिखें।
Ans-प्रायद्वीपीय नदी के तीन लक्षण हैं: 
  • इन्हें विशाल प्रमाण में जलसंचार करने की क्षमता होती है। 
  • ये विशाल बेड के साथ बहती हैं और अपने संचार मार्ग को बदल सकती हैं। 
  • इनमें महत्वपूर्ण संरचनाएं जैसे भूगर्भजल संदर्भ, बैंक, और देशों की सीमाएं होती हैं।
4.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों से अधिक में न दें।
(i)उत्तर भारतीय नदियों की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं? ये प्रायद्वीपीय नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं?
Ans-उत्तर भारतीय नदियों की महत्त्वपूर्ण विशेषताएं उनकी स्थानिकता, जलसंसाधन की प्राकृतिक रूप से बहुतायत, कृषि और आर्थिक उपयोग, और पानी के बहाव की योग्यता है। ये उच्च पर्वतों से निकलती हैं और बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं। प्रायद्वीपीय नदियों की तुलना में, उनमें कम जलसंचार और कम प्रमाण में बेड होता है जो जल की प्रवाह को प्रभावित करता है। उत्तर भारतीय नदियाँ मौसमी वृष्टि के कारण उच्च प्रवाह का अनुभव करती हैं और अपने क्षेत्रीय महत्व के कारण भारतीय सभ्यता और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
(ii)मान लीजिए आप हिमालय के गिरिपद के साथ-साथ हरिद्वार से सिलीगुड़ी तक यात्रा कर रहे हैं। इस मार्ग में आने वाली मुख्य नदियों के नाम बताएँ। इनमें से किसी एक नदी की विशेषताओं का भी वर्णन करें।
Ans-हिमालय के गिरिपद से हरिद्वार और सिलीगुड़ी तक की यात्रा में मुख्य नदियों के नाम गंगा, यमुना, गोमती, गांडकी, कोसी और तेस्ता शामिल हैं। इनमें से एक नदी, यमुना, का विशेषता यह है कि यह पवित्र मानी जाती है और हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री है और यह गंगा नदी का महत्वपूर्ण सहायक नदी है। यह नदी कृष्ण और कावेरी जैसे महत्वपूर्ण नदियों के लिए जल संरक्षण का स्रोत है और नैतिक महत्व होने के साथ-साथ पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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