प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ Class 11 Geography chapter 5 Notes in Hindi

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ Class 11 Geography Chapter 5 Notes in Hindi

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

1.बहुवैकल्पिक प्रश्न :
(i) इनमें से भारत के किस राज्य में बाढ़ अधिक आती है?
(क) बिहार                           
(ख) पश्चिम बंगाल
(ग) असम                            
(घ) उत्तर प्रदेश

(ii)उत्तरांचल के किस जिले में मालपा भूस्खलन आपदा घटित हुई थी?
(क) बागेश्वर                      
(ख) चंपावत
(ग) अल्मोड़ा                       
(घ) पिथोरागढ़

(iii)इनमें से कौन-से राज्य में सर्दी के महीनों में बाढ़ आती है?
(क) असम                         
(ख) पश्चिम बंगाल
(ग) केरल                         
(घ) तमिलनाडु

(iv) इनमें से किस नदी में मजौली नदीय द्वीप स्थित है?
(क) गंगा                          
(ख) बह्मपुत्र
(ग) गोदावरी                    
(घ) सिंधु

(v) बर्फानी तूफान किस तरह की प्राकृतिक आपदा है?
(क) वायुमंडलीय            
(ख) जलीय
(ग) भौमिकी                   
(घ) जीवमंडलीय

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ Class 11 Geography Chapter 5 Notes in Hindi
2.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 से कम शब्दों में दें।
(i)संकट किस दशा में आपदा बन जाता है?
Ans-संकट आपदा उत्पन्न करता है जब किसी स्थिति या परिस्थिति में जीवन, संपत्ति, और सामाजिक तंगी का खतरा होता है और सामरिक अवसर और संघर्ष समाप्त होते हैं।
(ii)हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अधिक भूकंप क्यों आते हैं?
Ans-हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अधिक भूकंप उसके भूभाग के संघटित तंत्रों, टेक्टोनिक प्लेट में विस्तार और संघटितता के कारण आते हैं। यह इस क्षेत्र की जटिल भूमिरेखाएं और समंदरी टेक्टोनिक प्लेट के मिलन स्थान के कारण होता है।
(iii)उष्ण कटिबंधीय तूफान की उत्पत्ति के लिए कौन-सी परिस्थितियाँ अनुकूल हैं?
Ans-उष्ण कटिबंधीय तूफान की उत्पत्ति के लिए जलवायु में उंची तापमान, प्रायः 27°C से अधिक, वायुमंडल में उच्च नमी, और अल्पद्वीपीय क्षेत्रों में कम वायुचाप होना अनुकूल है।
(vi)पूर्वी भारत की बाढ़, पश्चिमी भारत की बाढ़ से अलग कैसे होती है?
Ans-पूर्वी भारत की बाढ़ मुख्य रूप से मॉनसून के कारण होती है, जबकि पश्चिमी भारत की बाढ़ गर्म हवाओं और पश्चिमी विक्षोभों के कारण होती है।
(v)पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा क्यों पड़ते हैं?
Ans-पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा पड़ते हैं क्योंकि यहां वर्षा कम होती है और हृदय भूमि स्थिति कारण सूखा होता है। इसके कारण मॉनसून द्वारा आने वाली बारिश की कमी होती है।

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ Class 11 Geography Chapter 5 Notes in Hindi

3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दें।
(i) भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करें और इस आपदा के निवारण के कुछ उपाय बताएँ।
Ans-भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की पहचान धरती के तत्वों के परिवर्तन, धरातल की दृढ़ता कम होना, भू-मात्रा विनाश, गंभीर जल संकट आदि से की जा सकती है। भूस्खलन के निवारण के लिए कुछ उपाय शामिल हैं: वनों की संरक्षा और विस्तार, पहाड़ों की अभिसंर्पणीयता का सुनिश्चित करना, मात्रा विनाश को रोकने के लिए पानी के नियंत्रण, उचित जल संचयन तंत्रों का विकास, पर्यावरणीय प्रबंधन के माध्यम से संरक्षण, भूस्खलन उत्पन्न कारकों का पहचान और प्रबंधन। साथ ही, सक्रिय नीतियों का अनुपालन, जनसंख्या नियंत्रण, अत्याधुनिक तकनीकी समाधानों का उपयोग आदि भूस्खलन को निवारित करने में मददगार हो सकते हैं।
(ii) सुभेद्यता क्या है? सूखे के आधार पर भारत को प्राकृतिक आपदा भेद्यता क्षेत्रों में विभाजित करें और इसके निवारण के उपाय बताएँ।
Ans-सुभेद्यता (Vulnerability) एक भूमिका है जो आपदा के प्रति संकटग्रस्तता को व्यक्त करती है। भारत में सूखे के आधार पर प्राकृतिक आपदा भेद्यता क्षेत्रों की व्याख्या अधिकांशतः जलसंकट, कृषि असुरक्षा, पानी की अभाव, ग्रामीण और आदिवासी जीवनों पर निर्भरता, पानी की संरचना की कमजोरी और जलसंरचना के अभाव के आधार पर की जा सकती है। इसके निवारण के लिए उपाय शामिल हैं: जल संचयन की अवधारणा, सिंचाई प्रणालियों का विकास, पानी के संग्रह और बाँधों का निर्माण, पानी का उपयोग करते समय जल संरक्षण, कृषि तकनीकियों का सुधार, समुदायों की जागरूकता और धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का सम्मान। साथ ही, बाढ़ और खादरों के प्रबंधन, पानी की सभायात्रा के विकास, जल संरक्षण की नीतियों का पालन, वैज्ञानिक और तकनीकी अद्यतन, समुदायों के सहयोग, जलसंरक्षण के लिए सामाजिक और आर्थिक सुधार आदि उपाय भेद्यता को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
(v)किस स्थिति में विकास कार्य आपदा का कारण बन सकता है?
Ans-विकास कार्यों का आपदा का कारण बनने का संभावित कारक है संतुलनहीनता और अव्यवस्था। जब विकास कार्य नियोजन में संतुलन, योजना और प्रबंधन में कमी होती है, पारिस्थितिकीय, सामाजिक, आर्थिक और पारंपरिक प्रभावों का उपेक्षण होता है, और लोगों के साथ सामंजस्य नहीं किया जाता है, तब इससे आपदाएं पैदा हो सकती हैं। उदाहरण के रूप में, विकास कार्यों में वायुमंडलीय प्रदूषण का ध्यान न रखना, असमय में बारिश से प्रभावित इलाकों में बांधों का निर्माण करना, प्राकृतिक संसाधनों की अनुचित उपयोग करना, और सामुदायिक सहभागिता की कमी होना इस तरह की स्थितियों का कारण बन सकते हैं। आपदा प्रबंधन में सकारात्मक विकास नीतियों, सशक्त संगठन, तकनीकी ज्ञान, सामुदायिक सहभागिता, और वातावरणीय सुदृढ़ता के संयोजन द्वारा इस परिस्थिति को सुधारा जा सकता है।

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