जन्माष्टमी पर निबंध Janmashtami par nibandh Essay on Janmashtami

जन्माष्टमी पर निबंध Janmashtami par nibandh Essay on Janmashtami

आप इस जन्माष्टमी पर निबंध में इस त्योहार के महत्व, परंपरा, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में लिख सकते हैं और कैसे लोग इसे धूमधाम से मनाते हैं, उसे वर्णन कर सकते हैं

जन्माष्टमी पर निबंध

जन्माष्टमी पर निबंध Janmashtami par nibandh Essay on Janmashtami

जन्माष्टमी हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को मनाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की आषाढ़ी नवमी को धूमधाम से मनाया जाता है।

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के पूजन, भजन, कथा गायन और नृत्य आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। युवा और बच्चे धार्मिक गानों का आनंद लेते हैं और दिनभर मेले और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।

इस त्योहार को मनाने का मुख्य उद्देश्य भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को याद करना और उनके दिव्य संदेशों को अपने जीवन में अमल में लाना है।

जन्माष्टमी भारतीय हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को मनाने के लिए समर्पित है। इसे हिंदी माह भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आयोजित किया जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का इतिहास पुराणों और महाभारत के अनुसार है। उनके माता-पिता, वसुदेव और देवकी, उन्हें वृंदावन के राजा नंद और यशोदा को चुराने के लिए भगवान विष्णु के अवतार के रूप में धारण किया गया था।

जन्माष्टमी के दिन, भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में भजन, कीर्तन, पूजा, आरती और रासलीला का आयोजन होता है। भक्त इस दिन व्रत रखकर उनका जन्मदिन ध्यान से मनाते हैं और उनके चरित्र, गुण और लीलाएं याद करते हैं।हैं।

जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत और अन्य भारतीय समुदायों में धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म समय अमावस्या और रोहिणी नक्षत्र के अंतर्गत हुआ था, जो भगवान के अवतार का एक रोचक पहलू है। यह त्योहार भक्ति, पूजा, भजन, कथा-कीर्तन, और प्रसाद वितरण के साथ मनाया जाता है। भगवान के अनुयायी इस दिन पर्व को ख़ास ध्यान देकर उनका स्मरण करते हैं और उनके जीवन और संदेशों को समझने का प्रयास करते हैं।

जन्माष्टमी का मुख्य उद्देश्य
जन्माष्टमी का मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण के जन्मदिन को धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाना होता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण के जीवन, महिमा और मार्गदर्शन को स्मरण करते हुए भक्ति और धर्मिक उन्नति को बढ़ावा देने का भी एक अवसर है।

जन्माष्टमी का व्रत 
कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत भक्तों द्वारा भगवान के जन्मदिन पर पालन किया जाता है और इसे धार्मिक उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। व्रत के दौरान भक्तों को नियमित भजन, कथा पाठ, आरती, और प्रसाद वितरण किया जाता है। इस विशेष दिन पर ज्यादातर लोग नृत्य, संगीत, और साधु-संतों के सत्संग भी करते हैं।

मटकी फोड़
जन्माष्टमी पर मटकी फोड़ने का रिवाज बहुत मजेदार होता है। यह भगवान कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर किया जाता है, जिससे भगवान के बचपन के मीठे और नाखुनदार खेल को याद करते हैं। इस धार्मिक अवसर पर लोग मटकी में दही, मक्खन या पानी भरकर उसे ऊंचाई से लटकाकर तोड़ते हैं। यह प्रक्रिया मटकी को तोड़ने के लिए समूहिक भजन और कीर्तन के साथ आत्मीयता भरी होती है।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के लिए सामग्री
1.श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र - बाल रूप या मुरलीधार भगवान कृष्ण की मूर्ति को पूजनीय स्थान पर स्थापित करें।

2.फूल-पुष्प या मला की सामग्री जैसे गुलाब, जाई, चमेली, चंदन और तुलसी की पत्तियां।

3.धूप और दीप-धूप बत्ती और घी के दिए के लिए दीप।

4.नैवेद्य-मक्खन, दही, पंजीरी, मिष्ठान, फल, पानी, पुष्प, और भगवान कृष्ण को पसंदीदा खाद्य पदार्थ।

5.गोपी चंदन या कुमकुम - भगवान कृष्ण की मूर्ति को चंदन या कुमकुम से चिह्नित करने के लिए।

6.गंगाजल या पानी-पूजन के लिए शुद्ध जल।

7.आरती की थाली-आरती आदि करने के लिए सजाई गई थाली।

यह सामग्री आपको श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा के लिए तैयार करने में मदद करेगी। पूजा के समय, भक्ति और श्रद्धा से कार्य करें और प्रसाद को सभी को बाँटें। जय श्रीकृष्णा!

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि
1.पूजा स्थल की तैयारी: एक सुखासन या आसन पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति, पिक्चर या छवि स्थापित करें। उसके आसपास धूपदीप, अगरबत्ती और पुष्प रखें।

2.अंग पूजा: पूजा की शुरुआत गणेश जी की पूजा से करें। उन्हें दीपक और फूल से पूजें।

3.शुद्धि करें: हाथ धोकर और पानी से अपने आप को शुद्ध करें।

4.जल अर्पण: जल अर्पण करके भगवान को पूजें।

5.देवी-देवताओं की पूजा: भगवान श्रीकृष्ण के अलावा मां यशोदा, नंद जी, गोपियों, बलराम और अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा करें।

6.भजन और कीर्तन: कृष्ण भजन और कीर्तन गाएं और उन्हें आराधना करें।

7.पूजा विधान: भगवान को फूल, चावल, बेलपत्र, घी, दही, शक्कर और मिष्ठानुषार भोग अर्पित करें।

8.आरती: पूजा के अंत में आरती उतारें और भगवान की कृपा की बिनती करें।

कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार भारत के विभिन्न भागों में धूमधाम से मनाया जाता है और श्रद्धाभाव से उत्साहपूर्वक समर्पित किया जाता है।

*श्री कृष्ण आरती*

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला 
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक

चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग,  मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।

अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।

जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू 
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू 

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।। 

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